घग्घर में बढ़ी पानी की आवक, डूबा भद्रकाली काजवे

माता भद्रकाली मंदिर के पास बने काजवे को जिला प्रशासन ने एहतियातन करवाया बंद

  • पुलिस जवानों को किया तैनात
  • घग्घर बाढ़ नियंत्रण का कंट्रोल रूम बनाया

हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। घग्घर नदी प्रवाह क्षेत्र में पानी का प्रवाह तेज हो रहा है। इसका कारण घग्घर बहाव क्षेत्र में बादलों की मेहरबानी है। गुल्ला चिक्का हैड पर मंगलवार को 40252 क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी। इसी तरह खनौरी हैड पर 9575, चांदपुर हैड 11700, ओटू हैड पर 3900, घग्घर साइफन में 4300, नाली बेड में 3000 तथा आरडी 42 जीडीसी में 1300 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा था। इससे पहले सोमवार को हरियाणा के ओटू हैड से राजस्थान क्षेत्र के लिए पानी प्रवाहित करने के बाद सोमवार शाम पांच बजे घग्घर नदी का पानी टाउन के नजदीक माता भद्रकाली मंदिर को पार कर गया था। सोमवार को घग्घर नदी के गुल्ला चिक्का हैड पर 35021 क्यूसेक पानी चल रहा था। इसी तरह खनौरी हैड पर 8050, चांदपुर हैड पर 11700, ओटू हैड पर 3350, घग्घर साइफन में 1900 व नाली बेड में 1750 क्यूसेक पानी चल रहा था।

नाली बेड में जल्द 3000 क्यूसेक पानी चलने की संभावना जताई जा रही थी। मंगलवार को नाली बेड में 3000 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा था। मंगलवार को माता भद्रकाली मंदिर के पास बने काजवे (पुल) के ऊपर से पानी गुजरने लगा। माता भद्रकाली मंदिर जाने वाले श्रद्धालु इस पुल के ऊपर से पानी के बीच से होकर गुजरते रहे। घग्घर नदी में पानी की बढ़ती मात्रा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन की ओर से एहतियात के तौर पर माता भद्रकाली मंदिर का हनुमानगढ़ टाउन से जाने वाला रास्ता बेरिकेड लगाकर मंगलवार को बंद करवा दिया गया। मौके पर टाउन पुलिस थाना के जवानों की तैनाती की गई है ताकि कोई श्रद्धालु काजवे के ऊपर से न गुजरे। साथ ही काजवे के पास संकेतक लगाकर लिखा गया कि भद्रकाली मंदिर जाने वाले श्रद्धालु सतीपुरा की तरफ से आएं। उधर, घग्घर के नाली बेड में 3000 क्यूसेक पानी प्रवाहित करने के बाद जल संसाधन विभाग के अधिकारी अलर्ट मोड पर आ गए हैं। अधिकारियों की ओर से किसानों को निजी बंधों की निगरानी करने के लिए कहा गया है।

क्योंकि घग्घर नदी क्षेत्र में कमजोर बंधे होने की वजह से इनमें कटाव की आशंका भी बनी रहती है। शिवालिक की पहाड़ियों में ज्यादा बारिश होती है तो नाली बेड में पानी की मात्रा बढ़ने पर इन कमजोर बंधों के टूटने की आशंका रहती है। वर्ष 1995 में घग्घर के बंधे टूटने से हनुमानगढ़ शहर का आधा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ चुका है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो पानी आने से घग्घर के आसपास के क्षेत्र का भूजल स्तर बढ़ेगा। इससे आगामी रबी सीजन में किसान ट्यूबवैल चलाकर खेतों को सिंचित कर सकेंगे। गौरतलब है कि चालू मानसून सीजन में दूसरी बार घग्घर नदी में पानी प्रवाहित किया गया है। इससे घग्घर क्षेत्र के किसान उत्साहित हो रहे हैं। इससे पहले करीब दो माह पहले जुलाई में नाली बेड में पानी की आवक से धान उत्पादक किसानों को काफी राहत मिली थी। अब बारिश होने के बाद नदी में फिर से पानी की आवक तेज हो रही है। हनुमानगढ़ में धान की मांग देश ही विदेशों में खूब रहती है। प्रति वर्ष करीब 35 हजार हेक्टेयर में जिले में धान की बिजाई होती है। इस बार भी काफी बड़े क्षेत्र में पैदावार की उम्मीद है।

जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर

जिला प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी देते हुए उपखण्ड अधिकारी डॉ. अवि गर्ग ने बताया कि नवरात्रों में टाउन के नजदीक माता भद्रकाली मंदिर में नौ दिन तक मेला भरता है। रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु माता भद्रकाली मंदिर पहुंचते हैं। इस बार नवरात्रों में घग्घर नदी में तीन हजार क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है। मंगलवार को यह पानी माता भद्रकाली मंदिर के पास बने हुए काजवे (पुल) के ऊपर से बहने लगा। इसके चलते अलग-अलग व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गई है। मेले के दृष्टिगत पहले से ही पुलिस की व्यवस्था थी, लेकिन अब सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस जवानों की संख्या बढ़ाई गई है। घग्घर बाढ़ नियंत्रण का भी कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसके अलावा पंचायती राज कार्मिकों को भी ड्यूटी पर लगाया गया है कि वे मुनियादी करवाएं कि श्रद्धालु हनुमानगढ़ टाउन के रास्ते से माता भद्रकाली मंदिर न आएं। दर्शनार्थी ढालिया की तरफ से आने वाले रास्ते से ही मंदिर आएं। पीडब्ल्यूडी व ग्राम पंचायत की मदद से रास्ते पर रास्ता बंद होने संबंधी सूचना प्रदर्शित करते बैनर लगवाए गए हैं।

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