कैथल, सच कहूँ/ कुलदीप नैन। ईरान-इजरायल युद्ध का प्रभाव भारत के चावल बाजार पर भी दिखना शुरू हो गया है। निर्यातकों की पेमेंट ईरान में रुक गई है। अगले ऑर्डर पर भी ब्रेक लगे हुए हैं। युद्ध के कारण ईरान के व्यापारियों ने पेमेंट को फिलहाल होल्ड पर डाल दिया है। भारत के निर्यातकों द्वारा जो बासमती चावल ईरान में भेजा जाता है, वह इस समय गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर पड़ा है। ऐसे में निर्यातकों को माल खराब होने का डर सता रहा है। एक्सपर्ट की माने तो चावल का बाजार करीब 10 से 12% टूट चुका है। चावल खराब होने का प्रभाव निर्यातकों की आमदनी पर पड़ेगा।
चावल के दामों में गिरावट आई…
युद्ध के बाद से ही चावल के रेट में भी गिरावट आई है। एक्सपोर्ट बंद होने से डिमांड घटी है। पहले चावल 7100 से 7200 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था। अब इसका भाव 6200 से 6300 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है। इसका असर धान की रोपाई पर भी पड़ सकता है। यदि दाम और गिरे तो किसान इस किस्म की रोपाई नहीं करेंगे। इससे अगले साल मंडियों में धान की कमी हो सकती है।
धान के सीजन में घट सकते हैं रेट
इसके साथ ही अगर वे चावल को वहां भेज नहीं पाते हैं और उनको नुकसान ज्यादा होता है, तो धान के सीजन में किसानों से खरीदी जाने वाली बासमती धान की खरीद पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। किसानों से खरीदे जाने वाले बासमती धान के रेट एक्सपोर्टरों के पास पेमेंट न होने के चलते घट सकते हैं।
कैथल राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रधान तरसेम गोयल ने कहा कि निर्यात के लिए विकल्प तलाशा जाए, हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है, क्योंकि ईरान जितना बड़ा खरीददार मिलना संभव नहीं है। सरकार की ओर से कोई रास्ता निकला जाए तो संभव है राइस इंडस्ट्री से संकट के बादल छंट सकते हैं। आगामी दिनों में अगर पोर्ट पर पड़ा माल नहीं बिका और पेमेंट नहीं आई तो इसका प्रभाव बासमती धान की बिक्री पर भी पड़ सकता है।