सर्वोच्च पद का संदेश पूरे भारत में हो स्थापित

Draupadi Murmu Speech

राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मू के पदासीन होने से देश के उस वर्ग में व्यक्तिगत हर्ष व्याप्त हुआ है जो अभी तक उपेक्षित, असंरक्षित और विदेशी आक्रमणों का शिकार होता आया है। भारतीय लोकतंत्र में आदिवासियों की छोटी-बड़ी उपलब्धियों से ही ऐसा समीकरण बना है, जब देश के प्रथम नागरिक के रूप में हम एक आदिवासी महिला को देखेंगे। यह वाकई नया भारत है। संविधान निमार्ताओं ने इसी समावेशी भारत की कल्पना की थी, जिसमें हर वर्ग को शीर्ष स्तर पर प्रतिनिधित्व मिलेगा।

हम सबको जो जीवन में जनजातीय क्षेत्रों में काम करते रहे, उनके मध्य एकरस राष्ट्र के भाव को फैलते हुए उनके आर्थिक सामाजिक उन्नयन में जुटे रहे वे जानते हैं जनजातीय समाज को किन खतरों, घृणा युक्त एकाकीपन और विदेशी धन से धर्मान्तरण के हमले झेलने पड़े। द्रौपदी मुर्मू उस दर्द और विषाद पर सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक और हर्ष का कारण बनी हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार जिन 42 संगठनों को आतंकवाद और विद्रोही गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित किया गया है उनमें से 35 केवल जनजातीय क्षेत्रों में सक्रिय हैं। नक्सलवादी व माओवादी सब जनजातीय क्षेत्रों को अपना शिकार बनाना अधिक सरल और सुविधाजनक मानते हैं। विदेशी धन और चर्च के असीम निवेश से अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में धर्मान्तरण तीव्र गति से हुआ है।

द्रौपदी मुर्मू पर देश के इतने बड़ी समाज की आशाओं, अपेक्षाओं और सपनों का बोझ है। बोझ नहीं बल्कि जिम्मेदारी है। उनका विनम्र जीवन, सामान्य गृहस्थी, अति सामान्य पृष्ठ्भूमि, भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा में रचे पगे होना, इन सबकी परीक्षा का काल अब प्रारम्भ होता है। प्रशंसा तो पद की होती है, बड़े पद पर बैठने वाले में सबको सिर्फ गुण ही दिखते हैं। जनजातीय समाज का विकास भारत के समक्ष सर्वाधिक बड़ी चुनौती है। कई प्रदेश जनजातीय क्षेत्रों में व्याप्त आतंकवाद के कारण वामपंथी आतंकवाद प्रभावित घोषित किये गए हैं। देश के शहरी नागरिकों को इस बात का अहसास भी शायद कम होगा कि द्रौपदी मुर्मू और उनके सहजातीय जनजातीय समाज के करोड़ों लोग भारत की सीमाओं के प्रथम रखवाले हैं।

देश के लगभग 12 करोड़ आदिवासी निस्संदेह गर्व का एहसास करेंगे, वे अपने जीवन में सुधार लाने को प्रेरित होंगे। सर्वोच्च पद का संदेश पूरे देश में साकार होना चाहिए, आदिवासियों या देश की सियासत की यह उपलब्धि केवल सांकेतिक न रह जाए, यह अपने स्तर और अपनी सीमा में रहते अगली राष्ट्रपति को भी सुनिश्चित करना होगा। दुनिया हमारी समृद्ध विविधता के एक नए रूप से रूबरू होने जा रही है। द्रौपदी मुर्मू ने देश में एक असामान्य हर्ष और आशा का संचार किया है। यह नरेंद्र मोदी की आंतरिक आध्यात्मिक गहराई का सुपरिणाम है। द्रौपदी मुर्मू का चयन और उन पर देश के विश्वास को टिकना यह मोदी युग का एक क्रन्तिकारी कदम है।

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