Haryana Crime: प्रताप नगर, सच कहूं राजेंद्र कुमार। खनन विभाग के अवैध खनन के अलावा अवैध खनिज परिवहन को रोकने के दावे पूरी तरह से फुस्स हो चुके है। भूड़कला से ताजेवाला जाने वाला कच्चा रास्ता कोलीवाला- मांडेवाला एरिया में चल रहे क्रशिंग व स्क्रीनिंग प्लांटस को अवैध खनिज के परिवहन का सेफ रुट बन चुका है। ताजेवाला एरिया में खनन घाट न होने की वजह से यहां पर खनन नहीं किया जा सकता है। न ही इस रास्ते से अवैध खनिज का परिवहन हो सकता है। मगर न तो अवैध खनन रुक रहा है न ही खनिज का परिवहन। इस रुट पर बहादुरपुर पंचायत की जमीन के अलावा हरियाणा पावर जेनरेशन कारपोरेशन का एरिया पड़ता है मगर अवैध खनिज परिवहन के यह रास्ते पूरी तरह से इन वाहनों के लिए खुले हुए हैं।
मांडेवाला गांव के समीप से एक कच्चा रास्ता पुल से उतर कर सीधा ताजेवाला की ओर जाता है यही रास्ता मांडेवाला व कोलीवाला के अलावा देवधर के समीप लगे क्रशिंग व वाशिंग यूनिटस के लिए कच्चे माल की लाइफ लाइन बना हुआ है। यह अवैध खनिज इन्हीं यूनिटस पर खपाया जाता है। इस रास्ते पर वन विभाग के जंगल के उत्तर की ओर जितनी भी खेती की जमीनें थी सबको इतना गहरा खोद दिया गया है कि कई बड़े डंपर एक दूसरे के ऊपर खड़े कर दिया जाएं तब भी डूब जाए, यानी ताजेवाला से एक समांतर नहर बना दी गई है। जबकि यहां पर न कोई माइनिंग ब्लाक है न ही कोई स्टाक की साइट। जमीनें खोदते-खोदते ताजेवाला जाने वाले इस रास्ते जो कभी 25 से 30 फीट से भी अधिक होता था उसको इतना संकरा बना दिया गया है कि वहां अगर जरा सा भी कोई वाहन फिसल जाए तो सीधा खाईयों में गिर।
इसके बावजूद इस एरिया में न केवल अवैध खनन चल रहा है बल्कि अवैध खनिज सामग्री से भरे वाहनों के लिए भी एक सुगम रास्ता बना हुआ है। यह रास्ता अधिकतर एचपीजीसीएल की जमीन पर बना हुआ है । जिससे अवैध खनिज सामग्री से भरे वाहन आसानी से निकल रहे है, इस जमीन पर बड़ी मात्रा में पेड़ पौधे भी खड़े है जिनके बीच से रास्ता बनाया गया है। मगर एचपीजीसीएल के अधिकारी इसको रोकने का कोई प्रयास नहीं कर रहे। जबकि यहां से मात्र एक या डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर एचपीजीसीएल एक्सईएन कार्यालय है जहां पर एसडीओ समेत अधिकतर अधिकारी बैठते हैं इसके साथ ही इन अधिकारियों के आवास भी यहीं बने हुए है। उनको तो जैसे इससे कोई मतलब नहीं है। खनन विभाग का तो कोई स्टाफ इधर आता ही नहीं है। ऐसे में अवैध खनन पर लगाम लगाने के दावे खोखले नहीं तो क्या हैं।
वन विभाग के कर्मचारी बताते है कई बार विभाग के एचपीजीसीएल के एसडीओ समेत तमाम अधिकारियों को पत्र लिखकर रास्ते को बंद कराने या खाई आदि खोदने के बारे में लिखा जा चुका है मगर कोइ सुनता नहीं है। लोग बार-बार शिकायत उनके विभाग की करते हैं जबकि उनका यहां पर कोई रोल नहीं है न ही खनन विभाग का कोई स्टाफ इधर आता हैै।