राजस्थान की गर्माती राजनीति

Editorial
अशोक गहलोत और सचिन पायलट

आजकल राजस्थान चुनावी मोड में है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आए दिन सरकारी खजाने का मुंह जनता के लिए खोल रहे हैं। नित नई घोषणाएं हो रही हैं। मुख्यमंत्री ने बुधवार देर रात 100 यूनिट बिजली प्रत्येक उपभोक्ता के लिए मुफ्त कर विरोधियों को भी सकते में डाल दिया। अशोक गहलोत को भाजपा की बजाए अपनी ही पार्टी के नेता सचिन पायलट के विरोध का अधिक सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट की आपसी खींचतान चर्म पर है।

बेशक कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने पायलट के बगावती तेवरों पर कुछ रोक लगाई है और सुलह के बाद केंद्रीय नेतृत्व के साथ दोनों नेता मीडिया के सामने भी फोटो खिंचवाने के लिए आए लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के बिना दोनों नेता अभी भी किसी एक फ्रेम में दिखाई नहीं दिए। चुनावों तक दोनों नेताओं में सीजफायर बना रहेगा यह कहना बड़ा ही मुश्किल है। दोनों धड़ों का यह विवाद कांग्रेस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दूसरी तरफ भाजपा भी राजस्थान में कई खेमों में बंटी हुई है। हालांकि अजमेर की रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश भाजपा के नेतृत्व में संतुलन साधने का प्रयास किया है और प्रमुख नेताओं को मंच पर स्थान दिया।

सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और भाजपा के तेजतर्रार एवम् विपक्ष के नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ की फोटो भी मंच के पीछे प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ पोस्टर पर लगी हुई थी। इससे प्रधानमंत्री ने इन नेताओं के बीच शक्ति संतुलन का संकेत दिया। भाजपा किसी भी सूरत में वसुंधरा राजे की अनदेखी करने का जोखिम नहीं लेना चाहती। प्रधानमंत्री के संबोधन में वसुंधरा राजे का जिक्र होना इस बात का प्रमाण है। प्रधानमंत्री के भाषण से एक बात स्पष्ट है कि भाजपा राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे की बजाए प्रधानमंत्री के विकास मॉडल पर चुनाव लड़ना चाहती है।

कर्नाटक में हार के बाद भाजपा राजस्थान में फूंक-फूंककर कदम रख रही है। भाजपा अशोक गहलोत और सचिन पायलट के टकराव का फायदा उठाने की रणनीति बना रही है। चूंकि गहलोत की कांग्रेस संगठन में मजबूत पकड़ है इसलिए भाजपा सचिन पायलट को चक्रव्यूह में फंसाना चाहती है और पूर्वी राजस्थान जहां पर पायलट का प्रभाव है उन सीटों पर भाजपा नजर गडाए हुए है जो कांग्रेस के इन दो दिग्गजों की कलह की वजह से भाजपा की झोली में जा सकती हैं। कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर से राजस्थान की राजनीति गरमाई हुई है।

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