….और रह गई सिर्फ भूख, दर्द और बेबसी

Corona and Unemployment

कोरोना की मार। गरीब व मध्यम वर्ग पर पड़ी कोरोना काल की सबसे ज्यादा मार

(Corona and Unemployment)

सच कहूँ/देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। कोरोना काल में सबसे ज्यादा मार गरीब व मध्यम वर्ग पर पड़ी है, जिसके चलते हुए उन्हें सिर्फ दर्द, भूख और बेबसी ही नसीब हुई। रोजगार चले जाने से रोटी नहीं मिली और भूखमरी तक की नोबत आ गई। दिहाड़ी-मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा करने वाले लाखों मजूदरों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा। रेहड़ी-फड़ी, आॅटो चालकों, रिक्शा वालों, टैक्सी चालकों का काम धंधा पूरी तरह ठप्प हो गया। हालांकि सरकार द्वारा प्रयास भी किया गया कि गरीब वर्ग को राशन मुहैया करवाया जाए, लेकिन सरकार द्वारा जो राशन दिया गया वह प्रर्याप्त नहीं था। कोरोना काल के चलते काम धंधे बंद होने से गरीब परिवारों की हालत दयनीय हो चुकी है। रोजगार खत्म होने से ज्यादातर परिवारों में रोटी के भी लाले हैं।

प्रवासी मजूदरों को झेलना पड़ा सबसे ज्यादा संकट

कोरोना काल की सबसे अधिक मार प्रवासी मजदूरों पर देखने को मिली। उत्तर प्रदेश, बिहार, छतीसगढ़ इत्यादि प्रदेशों से लाखों की संख्या में मजदूर रोजी-रोटी के लिए अन्य प्रदेशों में आते हैं। कोरोना के प्रथम चरण में एकाएक लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई और रेल, बसें सभी बंद कर दी गईं। लाखों मजदूर पैदल ही अपने घरों को चल निकले। वहीं इस बार कोरोना काल के भय के कारण कोरोना की दूसरी लहर से पहले हजारों मजदूर पिछली स्थिति को भांपते हुए अपने घरों को चले गए और आज की स्थिति यह है कि धान की रोपाई के लिए हरियाणा व पंजाब के किसान इन मजदूरों को वाहन भेजकर बिहार व उत्तर प्रदेश से वापिस हरियाणा व पंजाब लाने को मजबूर हैं।

सिर्फ राशन ही तो परिवार की जरूरत नहीं?

हालांकि सरकार की ओर से कोरोना काल के दौरान बीपीएल व पीडीएस परिवारों को 10 किलोग्राम प्रति व्यक्ति गेहूँ या बाजरा, प्रति कार्ड एक किलोग्राम चीनी दी गई। नमक भी दिया गया लेकिन दो माह पहले से नमक नही दिया जा रहा। सरसों के तेल को बंद कर दिया गया है और 250 रुपए प्रति कार्ड खाते डालने की योजना बनाई गई है। ऐसे में इस राशन से परिवार का पेट नहीं पाला जा सकता।

देश के इतिहास में पहली बार देखी ऐसी भयावह तस्वीर: अरोड़ा

हरियाणा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार हुआ कि जब मजदूरों को पैदल अपने बच्चों को कंधों पर बिठाकर दूसरे प्रदेशों में जाना पडा। मजदूरों के दर्द को देश कभी भुला नही पाएगा। कोरोना काल में गरीब व मजदूरों की सहायता करने में सरकार नाकामयाब हुई है। सरकार को चाहिए था के गरीब मजदूरों, रिक्शा चालकों, आॅटो चालकों व अन्य वर्ग के लोगों के खातों में 5-5 हजार रूपए डालते लेकिन इन लोगों की सरकार की ओर कोई संभाल न हुई।

अनाथ हुए बच्चों का जिम्मा लिया सरकार ने: सांसद नायब सैनी

कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी ने कहा कि कोरोना काल संकट का समय रहा। ऐसे समय में सरकार ने गरीब व मजदूरों की हर प्रकार से मद्द की। जहां मुफ्त अनाज सरकार की ओर से दिया गया वहीं कोरोना काल में जो बच्चे अनाथ हुए हैं, उनके पालन पोषण का जिम्मा भी सरकार ने उठाया है।

फेलियर साबित हुई भाजपा-जजपा सरकार: सैलजा

प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा कुमारी सैलजा ने कहा कि कोरोना काल में आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कोरोना काल में भाजपा-जजपा सरकार फेलियर सरकार साबित हुई है। आमजन के लिए कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त नहीं की गई।

आज तक नहीं मिला एक दाना राशन: धर्मपाल

नम आंखे लिए धर्मपाल का कहना है कि वह वर्षों से कुरुक्षेत्र में रह रहा है। कोरोना काल से पहले चावल पॉलिस फैक्ट्री में काम कर रहे थे। कोरोना के काम बंद हो गया, मजदूरी का कार्य कहीं मिलता नहीं। थोड़ी-बहुत जो दिहाड़ी से सालों में सेविंग की थी, खत्म हो चुकी है। सरकार की ओर से राशन एक बार भी नहीं मिला। अब परिवार को कैसे पालूं?

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