
Haryana: कैथल, सच कहूं /कुलदीप नैन। पैरालंपिक तीरंदाजी में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले कैथल जिले के हरविंदर सिंह को राष्ट्रपति भवन में भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। गांव अजीमपुर में पहुंचने पर हरविंदर सिंह का स्थानीय लोगों ने फूल-मालाओं और ढोल-नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया।
हरविंदर ने 2012 में पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला से तीरंदाजी की शुरूआत की थी। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने 2018 के पैरा एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। 2021 में भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। 2023 में चीन में आयोजित एशियन पैरा गेम्स में कांस्य पदक और 2024 में पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर हरविंदर ने इतिहास रच दिया। वे पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने। हरविंदर की इस उपलब्धि ने न केवल कैथल बल्कि पूरे देश को गर्व का मौका दिया है। उनकी कहानी मेहनत, लगन और देशभक्ति का जीवंत उदाहरण है।
पिता बोले, बेटे पर गर्व | Haryana
हरविंदर के पिता ने गर्व भरे लहजे में कहा, मुझे अपने बेटे पर बहुत गर्व है। उसने न केवल हमारा, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया। वहीं, हरविंदर की पत्नी ने भावुक होते हुए कहा, परिवार के संघर्षों का फल मिला है। जब कोई अवार्ड मिलता है तो दिल को सुकून और गर्व महसूस होता है।
कोविड के समय जमीन को समतल करके तीरंदाजी के लिए ग्राउंड बनाया
हरविंदर ने कहा कि उन्होंने अपनी कमजोरी को अपना औजार बनाया और संघर्ष किया। यहां तक कि जब कोविड के समय सभी अकादमी बंद हो गई थी तो वह निराश नहीं हुए और इस आपदा को अवसर में बदला। उनके पिता ने सहयोग किया और खेतों की जमीन को समतल करके तीरंदाजी के लिए टारगेट लगाकर ग्राउंड बना लिया और वहां लगातार इसका अभ्यास किया और वही मेहनत का नतीजा है कि अब सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है। इसके लिए वह सरकार का भी धन्यवाद करते हैं कि मेरी मेहनत को सराहना दी है।