रिर्जव फारेस्ट व सेंचुरी एरिया खिल्लांवाला से दिन के उजाले में ही काटी जा रही है लकड़ी, बाइकों पर लाद कर लकड़ी को लाया जाता है जंगल से बाहर
खिजराबाद (सच कहूँ/राजेन्द्र कुमार)। Khizrabad News: रिर्जव फारेस्ट व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया खिल्लांवाला व उसके आस-पास नेशनल पार्क से लगता जंगल अवैध कटान की भेंट चढ़ गया है। बाइक सवार दिन भर यहां से बिना किसी अनुमति के जंगल से लकड़ी काट कर ढोते है उसके बाद उसे किसी ट्रैक्टर-ट्राली या बुग्गी में लाद कर बाजार में बेचने के लिए ले जाया जाता है। पूरे एरिया में न केवल लकड़ी बल्कि पत्तों का भी जमकर अवैध कटान हो रहा है। जंगल के आस-पास के गांवों में लगे चिप्परों पर इन पत्तो व लकड़ी को काट कर बाजार बेचा जा रहा है। Yamunanagar News
प्रतापनगर से जैसे ही खिजरी रोड पर जैसे ही थोड़ी दूर चला जाता है तो रास्ते में पत्तों से भरी बुग्गियां, ट्रैक्टर-ट्रालियां सब दिखाई दे जाएंगी। इसके बाद खिजरी के पास अंदर जंगल के रास्तें हो या थोड़ी दूर खिल्लावालां रिर्जव फारेस्ट व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया के रास्ते सब जगह यही हाल दिखाई देता है। खिल्लांवाला जंगल से तो मोटरसाइकिलों पर सुबह होते ही लकड़ी लाद कर लाने का सिलसिला जारी हो जाता है। सुबह हो दोपहर हो या शाम हो लकड़ी से लदी बाइकस व बुग्गियां जंगल से भर-भर आती देखी जा सकती है। वन विभाग की चौकी या पोस्ट मेन खोल के एंट्री गेट पर बनी है उसके सामने से ही यह खेल सारा दिन चलता है। Yamunanagar News
अगर कोई यहां पर मीडियाकर्मी या अन्य व्यकित पहुंच जाए तो लकड़ी काटने वालों के साथ वनकर्मी भी अपना कालर बचाने को बहाने बनाने शुरु कर देते हैं। लकडी काटने वालों का एक कामन सा बहाना है कि ब्याह शादी के लिए लकड़ी ले जा रहे है, जबकि आजकल शादियों में गैस सिलेंडर का प्रयोग होता है। यही बहाना वनरक्षक भी लगाते है। यानी किसी भी समय लकड़ी लाते हुए लोग पकड़े जाए तो ब्याह शादी के लिए बहाना बना दिया जाता है। जबकि यह काम दिन रात चलता है ओर जंगल से मोटे-मोटे पेड़ों को काट कर बाजाार में बेचा जाता है। केवल खिल्लांवाला ही नहीं आस-पास के की बीटों में ही भी यही खेल चलता है। शनिवार को जब सच कहूं की टीम जंगल के इस रास्ते पर पहुंची तो यहां पर इसी तरह दर्जनों मोटरसाइकिलों पर लकड़ी लाद कर ले जाई जा रही थी।
पेड़ों के पत्तों पर बेचा जा रहा है आस-पास लगी कटर मशीनों को
जंगल के आस-पास इस एरिया में इतने चिप्पर लगे हुए हैं कि अगल जंगल से लकड़ी या पत्ते न कटे तो शायद एक भी चिप्पर न चल सके, मगर सारा दिन जंगलों से पेड़ों के पत्तें व टहनियां लाद कर इन चिप्परों पर लाई जाती है। महीने में कई लाख का माल जंगलों से इन चिप्परों पर पहुंचा दिया जाता है। मगर कोई वन स्टाफ पूछता तक नहीं है।
उच्चस्तरीय जांच की जरुरत के अलावा स्टाफ को एक दूसरी बीट पर बदलने की जरुरत | Yamunanagar News
इस बारे में पर्यावरण प्रेमी काफी चिंतित है, उनका कहना है कि इन जंगलों में अवैध कटान की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए,ताकि जंगलों की हालत का पता चल सके ओर जंगलों को बचाया जा सके। इसके साथ ही स्टाफ को हर छह महीने में एक से दूसरी बीट या ब्लाक में भेजने का नियम होना चाहिए ताकि किसी प्रकार की सांठगांठ न हो सके।
वहीं इस बारे में डीएफओ वीरेंद्र गिल से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने मोटरसाइकिलों पर लकड़ी लादने के बारे में जब स्टाफ से पूछा तो पता चला कि गांव में किसी शादी के लिए लकड़ी जा रही थी। जब उनसे कहा गया कि लकड़ी काटने वालों ने यह परमानेंट बहाना बना रखा है तो उनका कहना था कि वह अपने स्तर पर जांच करवाएंगे कि आखिर वहां चल क्या रहा है।
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