कैथल में 250 पार लेकिन फसल अवशेष जलाने के मामले सिर्फ चार
- हर साल प्रदूषण के लिए किसानो को दोषी मना जाता था, इस बार कौन बढ़ा रहा प्रदूषण?
कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Kaithal News: कैथल सहित पूरे हरियाणा में पिछले दो दिन में एक्यूआई 300 के पार पहुंच गया है। ऐसे में आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कतों जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इस बार कृषि विभाग के अधिकारी भी फसल अवशेष प्रबंधन पर पूरी तरह से सक्रिय है और जिले में नाममात्र की घटनाये सामने आई है लेकिन प्रदूषण के बम अब भी फूट रहा है। ऐसे में अब किसे दोषी माना जायेगा ? कुछ लोगो का कहना है कि दिवाली पर हुई आतिशबाजी के बाद जिले में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। दिवाली पर लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े। लोगों का कहना है कि दिवाली की रौनक अब शहर के लिए धुएं और प्रदूषण का कारण बन गई है।
आतिशबाजी के चलते शहर की हवा खतरनाक स्तर तक दूषित हो गई। देर रात तक आसमान में आतिशबाजी का शोर और पटाखों से निकलने वाली चिंगारियां दिखाई पड़ रही थी। जिसके परिणामस्वरूप मंगलवार दिन में यह 273 दर्ज किया गया तो रात को 300 के आंकड़े को पार कर गया जोकि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक श्रेणी में आंका जाता है। बता दें कि इस बार लाेगों की ओर से दो दिन लगातार बड़ी दिवाली मनाई गई।
कैथल में पराली जलाने के मामले सिर्फ चार | Kaithal News
हर बार प्रदूषण का ठीकरा किसानों के सिर फूटता आया है। लेकिन इस बार फसल अवशेष जलाने के मामलो में बड़ा अंतर है। विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार जिले में पराली जलाने के अभी तक सिर्फ 4 मामले सामने आए हैं। इस बार पराली जलाने की घटनाओ में बड़ी कमी आई है। पूरे हरियाणा में अभी तक सिर्फ 55 जगहों पर पराली जलाने के मामले दर्ज किये गये है जबकि पिछले साल अब तक 655 मामले सामने आ चुके थे।
ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई हर साल जो किसानो पर प्रदुषण का ठीकरा फोड़ा जाता था वो सही था? क्योकि कैथल सहित पुरे हरियाणा में अभी तक जो मामले सामने आये है उनको देखकर लगता नहीं कि ये प्रदुषण सिर्फ किसान द्वारा फसल अवशेष जलाने से बढ़ता हो ? बहुत से अन्य कारण भी हैं जो इस प्रदुषण को बढ़ाने में बराबर के हिस्सेदार है लेकिन किसानो को दोषी मानकर सरकारे और जनता बाकि चीजो से ध्यान हटा लेती थी।
प्रदूषण के अन्य कारको की तरफ नहीं किसी का ध्यान
दरअसल, अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन, सड़कों की धूल, इंडस्ट्री, बड़ी बड़ी चिमनिया और एसयूवी कारों के अलावा बढ़ रहे प्रदूषण का एक बड़ा कारण लगातार कम होता वन क्षेत्र भी है. लेकिन कुछ पर्यावरणविदों ने प्रदूषण के लिए सिर्फ किसान को ही खलनायक बना दिया है। हालाँकि इस बात से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पराली जलाने से प्रदुषण नहीं होता लेकिन एक सच्चाई ये भी है इसके साथ अन्य बहुत से संसाधन भी जिम्मेदार है। प्रदुषण के अन्य कारणों में ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और धूल से प्रदूषण कायम रहा है , जिस और बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
कृषि मंत्री कह चुके है प्रदूषण के लिए सिर्फ किसान को जिम्मेदार मानना गलत
हरियाणा सरकार के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने पिछले साल एक बयान मे कहा भी था कि ऐसा कहना गलत है कि सारा प्रदूषण किसान कर रहा है. दिल्ली में सिर्फ किसानों की वजह से प्रदूषण नहीं है, दिल्ली की आबादी और अन्य कई संसाधन भी इसके लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार है. जहां लोग ज्यादा होंगे, वहां प्रदूषण भी ज्यादा होगा. एयरपोर्ट और प्लेन से भी प्रदूषण होता है. कंस्ट्रक्शन के काम से भी होता है। Kaithal News
300 से ऊपर खतरनाक
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार बोर्ड की ओर से प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए कड़े प्रयास किए जा रहे है। पेड़ पौधों पर पानी का छिडक़ाव किया जा रहा है। बारिश के बाद प्रदूषण सामान्य था, दीपावली पर आतिशबाजी के बाद प्रदूषण बढ़ा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा माना जाता है, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के मध्य खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब, 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है।
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