Pakistan GDP and inflation: कराची। पाकिस्तान इस समय भीषण आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा है। एक ओर बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है, वहीं दूसरी ओर शासन की नाकामी और राजनीतिक टकराव ने आम नागरिकों की परेशानियाँ कई गुना बढ़ा दी हैं। देश में खाद्यान्न संकट इतना गहरा हो गया है कि लोगों को रोटी और आटे जैसी बुनियादी आवश्यकताओं के लिए तरसना पड़ रहा है। Pakistan News
स्थानीय समाचार पत्रों के अनुसार, कराची सहित कई शहरों में आटा और गेहूं की कीमतें लगातार चढ़ रही हैं। ब्रांडेड आटे का पाँच किलो का पैकेट जहाँ कुछ माह पहले 500 रुपये में मिलता था, वही अब 700 रुपये तक पहुँच गया है। बाजार में जमाखोरी और कालाबाज़ारी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि बड़े व्यापारी पुराने स्टॉक को रोककर ऊँचे दाम वसूल रहे हैं।
स्थानीय भोजनालयों में भी रोटियों की कीमतों में अचानक वृद्धि
तंदूर और स्थानीय भोजनालयों में भी रोटियों की कीमतों में अचानक वृद्धि हुई है। पहले जो नान 22–23 रुपये में मिलता था, अब 25 रुपये में बिक रहा है। इसी प्रकार चपाती की कीमत 11–12 रुपये से बढ़कर 14–15 रुपये हो गई है। यह स्थिति निम्न आय वर्ग और दिहाड़ी मजदूरों पर भारी पड़ रही है, क्योंकि उनका अधिकांश भोजन इन्हीं तंदूरों पर निर्भर रहता है। Pakistan News
केवल आटा ही नहीं, बल्कि चीनी और घी जैसी वस्तुएँ भी महँगी हो गई हैं। चीनी की कीमत 200 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गई है, जबकि 16 किलो घी का टिन हाल के महीनों में 6,500 रुपये से बढ़कर 7,900 रुपये हो गया है। आर्थिक जानकारों का मानना है कि मौजूदा गेहूं संकट का सीधा संबंध बाढ़ से नहीं है, क्योंकि नई फसल मार्च–अप्रैल में ही काट ली गई थी। दरअसल, जमाखोरों और निवेशकों ने अवसर का लाभ उठाकर कृत्रिम संकट पैदा किया है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय बेलआउट पैकेज पर निर्भर रही है। आईएमएफ के ताजा आँकड़ों के अनुसार, देश की जीडीपी वृद्धि दर केवल 2.6 प्रतिशत दर्ज की गई है और कुल अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 373 अरब डॉलर है। राजनीतिक अस्थिरता, बढ़ती महँगाई और विदेशी कर्ज़ के बोझ ने इस पड़ोसी देश की हालत को और अधिक जटिल बना दिया है। Pakistan News















