
Heart Attack symptoms in women: बड़ौत,संदीप दहिया। दिल को स्वस्थ और खुशहाल बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। यह हमारे जीवन का आधार है। इसलिए हर साल हार्ट हेल्थ के बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है।विश्व हृदय दिवस के अवसर पर बड़ौत स्थित मेडिसिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर शोभित तोमर बताते हैं कि आज लोग आराम को काफी महत्व देने लगे हैं जो कि सेहत के लिए किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। उन्होंने हार्ट के खतरे, और उनके उचित उपाय के विषय में बताते हुए सतर्कता बरतने के लिए कहा।
हार्ट अटैक के पेशेंट का एक एक मिनट महत्त्वपूर्ण | Heart Attack symptoms
उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक की स्थिति में शुरूआती एक घंटे तो जोखिम से बचाव के लिए जरूरी हैं ही, लेकिन एक हार्ट पेशेंट के लिए उसका हर एक मिनट महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में दिल का मरीज जितनी जल्दी हॉस्पिटल पहुंचेगा, उसका इलाज उतनी जल्दी शुरू कर सकते हैं। हार्ट अटैक की स्थिति में बिना वक्त गंवाए, सबसे पास के हॉस्पिटल में पहुंचकर इलाज कराना जरूरी होता है। फर्स्ट एड लेने के बाद एक बार स्टेबल हो जाते हैं, तो फिर मरीज चाहें तो अपने भरोसेमंद अस्पताल या डॉक्टर को दिखा सकता है।
रूटीन फूड का रखे विशेष ध्यान
व्यायाम या जिम करने वालों को बाहर से अतिरिक्त कुछ लेने से बेहतर है कि रूटीन फूड पर फोकस करें। प्रत्येक व्यक्ति को तैलीय भोजन से परहेज कर दाल, दलिया, सोयाबीन आदि पौष्टिक फूड्स को डाइट में शामिल करना चाहिए।
बच्चो की बीमारी को न करे नजरअंदाज, कराये बीमारी की जाँच
डॉक्टर शोभित बताते है कि तीन से चार साल की उम्र में ही बच्चों में लगातार खांसी, जुकाम, बुखार, थकान या ग्रोथ में रुकावट की परेशानी देखने को मिल रही हो, तो पेरेंट्स को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे बच्चों का ईसीजी और टूडी ईको-कार्डियोग्राफी जरूर कराएं।
धमनियो में रक्त के जमने के कारण बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा
उन्होंने बताया कि कोरोनरी धमनियों में रक्त का प्रवाह अगर प्रभावित होता है,या रक्त गाढ़ा हो जाता है इससे ब्लॉकेज होता है । ये हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकते हैं। इसमें हार्ट की पंपिग कमजोर हो जाती है। दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए 25 साल के बाद दिल से संबंधित जरूरी जांच कराते रहना चाहिए। खून के प्रवाह को बनाए रखना चाहिए। कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) हार्ट अटैक का कारण बन जाता है।
हार्ट अटैक के लक्षण
थकान, बहुत ज्यादा पसीना आना, सांस फूलना व घबराहट जैसे लक्षण दिखे, तो तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए। हर उम्र वर्ग के लोगों को अपना कोलेस्ट्राल ठीक रखना चाहिए। हाथ या छाती में दर्द महसूस हो या फिर जबड़े से लेकर नाभि तक दर्द महसूस हो तो सतर्क हो जाना चाहिए। यह संभव है कि डायबिटीज के मरीज ऐसे दर्द के लक्षण महसूस नहीं कर पाएं। ऐसे में शुगर के मरीज अपने दिल को लेकर ज्यादा सतर्क रहें और डॉक्टर की सलाह पर जरूरी टेस्ट कराते रहें।
हार्ट अटैक से बचने के उपाय
काम और आराम में तालमेल बैठाएं। गहरी नींद लें। फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं। काम करते रहें। योग व व्यायाम जरूर करें। तनाव से दूरी बनाएं। मोटापा दिल के लिए सबसे घातक लक्षण है, फैट को जमने न दें और वजन को कंट्रोल में रखें। ईको, टीएमटी, ईसीजी, सीटी एंजियोग्राफी कराने के साथ बीपी, शुगर व कोलेस्ट्राल की जांच समय समय पर कराते रहना चाहिए।तंबाकू और स्मोकिंग से बचकर रहे। इससे आर्टरी पिचक जाती हैं, जो जानलेवा हो सकती है। वहीं प्रेग्नेंट महिलाओं को 25वें हफ्ते के बाद बीपी को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। अगर कोई दिक्कत महसूस हो, तो ईको टेस्ट करा लेना चाहिए। इसके अलावा किसी के परिवार में हार्ट डिजीज की हिस्ट्री रही हो, तो उन्हें 25 साल के बाद इससे संबंधित टेस्ट जरूर कराते रहना चाहिए
हार्ट अटैक का इलाज
हार्ट ब्लॉकेज के मामले में बैलून से या स्टेंट से इलाज काफी सरल और प्रभावकारी है। अगर ब्लॉकेज ज्यादा हों या मेन आर्टरी में ब्लॉकेज हों, तो बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है। ऐसे में एंजियोग्राफी टेस्ट से ही सर्जरी से जुड़ा फैसला लिया जाता है। आज बिना सर्जरी के पैर के रास्ते से वॉल्व को चेंज कर सकते हैं और अब मरीज को 24 से 48 घंटे में छुट्टी दे सकते हैं। कुल मिलाकर सभी को हार्ट अटैक या ब्लॉकेज से बचने के लिए सतर्कता जरूरी है।इसके लिए जागरूक बनें और अपनी जीवनशैली को सुधारें।