Gums Swelling Treatment: कुरुक्षेत्र सच कहूँ/देवीलाल बारना। आजकल दांतों की समस्या हर आयु वर्ग के लोगों में आम देखी जा सकती है। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक दांतों की समस्या हो रही है। इसका बड़ा कारण खानपान में बदलाव माना जा रहा है। पुराने समय में दांतों की समस्या न के बराबर थी। आमतौर पर देखा जा सकता है कि काफी लोग ज्यादा उम्र होने के बावजूद भी अपने दांतों को सुरक्षित रखे हुए हैं। लेकिन मसाले वाला खाना खाने व फास्टफूड के कारण दांतों की दिक्कत आजकल काफी बढ़ने लगी है। ऐसे में दैनिक सच कहूँ से विशेष बातचीत में दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश शर्मा ने कई ऐसे राज खोले, जिससे आम लोग अनजान रहते हैं।
डॉ. राकेश शर्मा ने कहा कि दांतों व मसूड़ों को सुरक्षित रखने के लिए खाने पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। गर्म के साथ ठंडा खाने से दांतों पर टैंपरेचर डिफ्रेंस आ जाता है, जिससे माईक्रो क्रैश दांतों में आ जाता है, जिससे दांतों के दर्द की दिक्कत आती है। उन्होंने कहा कि गर्म खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक न लें। आईसक्रीम के साथ गर्म चीज न लें, व गर्म चीजों के साथ ठंडी चीजें न लें।
खाने के बाद ब्रश जरूर करें | Gums Swelling Treatment
डॉ. राकेश शर्मा का कहना है कि दांतों की सफाई के लिए ब्रश करना बहुत जरूरी है। खाना खाते समय दांतों में खाने के कण फंस जाते हैं, जिसे ब्रश के माध्यम से साफ अवश्य करें। इलेक्ट्रिक ब्रश के प्रयोग पर उन्होंने कहा कि आजकल इलेक्ट्रिक ब्रश आ गए हैं, जिनमें मोशन होते हैं, इनका प्रयोग किया जा सकता है। विशेषकर बच्चों के लिए इलेक्ट्रिक ब्रश ठीक रहता है। एप के माध्यम से पता चल सकता है कि बच्चों ने ब्रश किया या नहीं। ब्रश इलेक्ट्रिक हो या फिर साधारण, लेकिन ब्रश सख्त नहीं होना चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि जब तक ब्रश बुढ़ा न हो जाए बदलते नहीं। हर तीन माह बाद ब्रश बदलना चाहिए।
पिट फिशर सीलेंट बच्चों के लिए दांतों के लिए लाभदायक
डॉ. राकेश शर्मा ने कहा कि दांतों पर बहुत शोध हुआ है। एक शोध में पाया गया है जिन बच्चों को पिट फिशर सीलेंट लगाया गया था, उनके दांत अन्य बच्चों के दांतों से ज्यादा सुरक्षित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जैसे मोबाईल पर ग्लास गार्ड लगा देते हैं और स्क्रीन सुरक्षित हो जाती है। इसी प्रकार पिट फिशर सीलेंट दांतों के खाली भाग को भरता है, जिससे खाना दांतों में नहीं फंसता व दांत सुरक्षित रहते है। पिट फिशर सीलेंट दूध के दांतों के बाद आने वाले दांतों पर लगाया जाता है।
सफेद दांतों को स्वस्थ कहना सही नहीं है
डॉ. राकेश शर्मा ने कहा कि सफेद दांत होना स्वच्छ दांत नहीं माना जा सकता। दांतों के अलग-अलग शेड्स हो सकती हैं। दांतों को यदि अच्छे से मेंटेन करके रखते हैं तो नेचूरल शेड्स रहेगी। सफेद दांत भी अस्वस्थ हो सकते हैं। मसूड़े स्वस्थ हो तों कह सकते हैं कि दांत स्वस्थ है। इसलिए जरूरी है कि दांतों को सुरक्षित रखा जाए।















