US Protests: अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों लोग, “नो किंग्स” आंदोलन हुआ तेज

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US Protests: अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों लोग, “नो किंग्स” आंदोलन हुआ तेज

‘No Kings’ Movement in US: न्यूयॉर्क। अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump Protest)के विरुद्ध एक बार फिर विरोध की लहर उठी। देशभर में “नो किंग्स” (No Kings) अभियान के तहत लाखों लोगों ने सड़कों पर उतरकर यह संदेश दिया कि लोकतंत्र में किसी एक व्यक्ति के पास असीमित शक्ति नहीं हो सकती। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ट्रंप देश को सत्तावाद और केंद्रीकृत शासन की दिशा में ले जा रहे हैं। US Protests

यह विरोध प्रदर्शन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व में आयोजित किया गया, जो इसी वर्ष जून में हुए पहले “नो किंग्स प्रोटेस्ट” के बाद दूसरी बड़ी लहर थी। इस बार लोगों की संख्या पहले से कहीं अधिक रही।

कमला हैरिस ने किया समर्थन, जनता से शांतिपूर्ण विरोध की अपील

पूर्व उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “मैं सभी नागरिकों से आग्रह करती हूँ कि वे ‘नो किंग्स’ आंदोलन में शांतिपूर्वक शामिल हों और लोकतांत्रिक आवाज़ बुलंद करें। हमारे संविधान में सत्ता जनता की है, किसी एक व्यक्ति की नहीं।” इस आंदोलन की थीम अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित है, जिसने ब्रिटिश राजशाही से अलग होकर लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की थी।

राष्ट्रपति ट्रंप ने इस अभियान को “राजनीतिक नाटक” करार दिया। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, “वे मुझे राजा कह रहे हैं, जबकि मैं केवल जनता की सेवा करने वाला नेता हूँ।” ट्रंप के अनुसार, यह विरोध विपक्ष द्वारा जानबूझकर फैलाया जा रहा भ्रम है।

सरकारी गतिरोध और असंतोष ने बढ़ाई नाराज़गी | US Protests

विरोध प्रदर्शनों का यह सिलसिला उस समय तेज़ हुआ, जब सीनेट में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स के बीच विवाद के कारण अमेरिकी सरकार का अधिकांश हिस्सा अस्थायी रूप से बंद पड़ा है। डेमोक्रेटिक नेता चाहते हैं कि स्वास्थ्य बीमा और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं में की गई कटौतियों को वापस लिया जाए। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ऐसा करने से राजकोष पर 1.5 ट्रिलियन डॉलर का बोझ बढ़ जाएगा। सीनेट में समझौता न होने से सरकारी कामकाज ठप है और कई राज्यों में केंद्र द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता भी रोक दी गई है।

ट्रंप द्वारा कुछ डेमोक्रेट-शासित राज्यों में संघीय बल भेजने और अवैध प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई की घोषणा के बाद स्थिति और बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर संविधान की भावना के खिलाफ कार्य कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा था कि “जहाँ स्थानीय प्रशासन विफल है, वहाँ संघीय सरकार को हस्तक्षेप करना ही होगा।” इस बयान के बाद विरोध और तीव्र हो गया।

देशभर में प्रदर्शन | US Protests

न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर, लॉस एंजिल्स, शिकागो और वॉशिंगटन डीसी समेत लगभग 2,500 स्थानों पर विरोध रैलियाँ आयोजित की गईं। न्यूयॉर्क में हजारों प्रदर्शनकारियों ने हाथों में “No Kings, Only People’s Power” के बैनर लेकर मार्च निकाला। लॉस एंजिल्स में आप्रवासन नीतियों के खिलाफ प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हल्की झड़पें हुईं।

शिकागो में गवर्नर जे.बी. प्रित्जकर ने ट्रंप प्रशासन पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया। विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। “नो किंग्स” आंदोलन ने अमेरिका में लोकतंत्र और राष्ट्रपति के अधिकारों की सीमाओं पर नई बहस छेड़ दी है। समर्थकों का कहना है कि यह आंदोलन नागरिकों को याद दिलाता है कि अमेरिका एक “जनता का गणराज्य” है, न कि किसी व्यक्ति की सत्ता का विस्तार। US Protests