आधुनिक सुविधाओं में उलझा आज का युवा

Modern Facilities

लेट नाइट तक जागना

आज का युवा रात्रि में अगर फ्री है तो अपने आई पैड, मोबाइल, लैपटॉप पर बिजी रहता है। घंटों चेटिंग में व्यस्त रहने के कारण या इंटरनेट पर सर्च करने में उन्हें समय का पता नहीं लगता। लेट सोकर प्रात: भी देर से उठने की आदत बन जाती है जिससे उठते ही उनके शरीर में दर्द महसूस होता है, सिर भारी रहता है और देर से उठने के कारण काम पूरा नहीं हो सकता जिसका तनाव भी उनपर बना रहता है। अगर नींद पूरी न हो तो दिन भर दिमाग अशांत रहता है, इसका प्रभाव शरीर पर पड़ता है।

हद से ज्यादा बोलना नुकसानदायक, कम बोले, अच्छा बोलें

जितना हम इंटरनेट से पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ाते हैं, हम सबको शौक होता है कि अपना ज्ञान दूसरों के साथ शेयर करें। इस आदत के पड़ने से हमें ज्यादा बोलने की आदत पड़ जाती है जो दिमाग को बिना कोई ठोस कार्य किए थका देती है। लड़कियों में वैसे ही अधिक गप्पें मारने की आदत होती है। इसी प्रकार सेल्समेन या मार्केटिंग वाले युवाओं को भी बहुत बोलने की आदत पड़ जाती है जो बिना वजह भी बोलना पसंद करते हैं चाहे सामने वाला बोर क्यों न हो रहा हो।

ज्यादा बोलने से आप कभी कभी ऐसा कुछ भी बोल जाते हैं जो दूसरों को हर्ट कर सकता है जिससे रिश्तों में दरार आ जाती है। कई बार एक दूसरे की बात दूसरे के सामने रख देते हैं जो ठीक नहीं होता और कभी-कभी अपने सीके्रट भी खुल जाते हैं। इससे एनर्जी व्यर्थ जाती है। अपनी ऊर्जा को बचा कर रखने के लिए कम बोलना हर हाल में आपके लिए लाभप्रद होगा।

तेज म्यूजिक सुनना युवाओं का बना शौक

आज के युवा कानों में ईयर प्लग लगाकर तेज आवाज में म्यूजिक सुनना अपनी शान समझते हैं। उन्हें लगता है वे रिलैक्स महसूस कर रहे हैं जबकि लगातार तेज आवाज में म्यूजिक सुनना, वो भी ईयर प्लग के साथ उनके कान और दिल दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं। आज का म्यूजिक बहुत अजीबो गरीब आवाजों वाला होता है जो नुकसान अधिक पहुंचाता है, रिलेक्सेशन कम। लगातार उत्तेजित करने वाला म्यूजिक दिमाग में संतुलन की समस्या ला सकता हे। अगर आप म्यूजिक के शौकीन हैं तो धीमी आवाज में दिमाग को रिलैक्स करने वाला साफ्ट म्यूजिक सुनें जो आपके दिमाग को शांत बनाएगा। शांत दिमाग ही सही काम करने लायक होता है। इससे आपके कान और दिल दोनों को राहत महसूस होगी।

फास्ट फूड का अधिक सेवन

आज के युवा ने खाने पीने की आदतों को एकदम बदल दिया है। दूसरे देशों के फास्ट फूड को अपने खान-पान का अहम हिस्सा बना लिया है और अपने भारतीय व्यंजन उन्हें रास नहीं आते। आज के युवा वर्ग के नौकरी के घंटे भी भिन्न हैं। रात्रि में भी आफिस खुला रहता है। लेट ईवनिंग तक तो सभी प्राइवेट आफिस खुले रहते हैं। ऐसे में भूख मिटाने के लिए जंकफूड का सहारा लेना उनके लिए मजबूरी भी बन जाती है।

फास्ट फूड आउटलेट और काफी शाप्स और पिज्जा बर्गर की होम डिलिवरी के कारण युवाओं का जब मन करता है तो फोन पर आर्डर कर मंगवा लेते हैं और पेट की भूख को शांत करते हैं। जंक फूड में बैड फैट्स और कार्बोहाइडेÑटस की मात्र अधिक होने से मोटापा बढ़ता है, दिमाग की सक्रि यता कम होती है, असमय खाना खाने की आदत बनती है जो पेट और सेहत दोनों के लिए नुकसानदेह है।

आज की युवा पीढ़ी आधुनिक सुविधाओं से इतनी लैस हो चुकी है कि उनकी दिनचर्या उसी के चारों तरफ उलझ कर रह गई हैैं। जिसका परिणाम है उनकी सेहत और संस्कारों का सत्यानाश। वैसे युवा पीढ़ी काफी स्मार्ट ओर तेज बुद्धि वाली है। बहुत से युवा तो इन सुविधाओं का प्रयोग अपनी सहूलियत और जरूरत के लिए करते हैं लेकिन कुछ उनकी अति करके अपना नुकसान कर लेते हैं। इसी विषय को लेकर आज समाज में ज्ञान का दीपक जलाने वाली शिक्षका सुनीता इन्सां ने अपने विचार सच कहूँ के माध्यम से रखे। जिसका युवा पीढ़ी अनुसरण करे तो वह अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं। जो उनके भविष्य के लिये काफी सार्थक सिद्ध हो सकते हैं।
                                                                                                            सुनीता इन्सा, शिक्षका

 

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