
मीरापुर।(सच कहूं/कोमल प्रजापति) भगवंत इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के नर्सिंग विभाग में 12 व 13 सितंबर 2025 को “एआई संचालित स्वास्थ्य सेवा पारितंत्र में नर्सिंग रुझान, चुनौतियाँ और अवसर” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का भव्य आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देश-विदेश से ख्यातिप्राप्त नर्सिंग एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शिक्षाविद, शोधार्थी, नर्सिंग पेशेवर और तकनीकी विशेषज्ञ बड़ी संख्या में शामिल हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. उर्मिला कार्या (प्राचार्या, महात्मा विदुर स्टेट मेडिकल कॉलेज बिजनौर) और विशिष्ट अतिथि एवलिन पी. कन्नन (मुख्य संपादक एवं महासचिव, द ट्रेंड नर्सेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, नई दिल्ली) रहीं। अतिथियों का स्वागत प्राचार्या डॉ. विजया डी., निदेशक डॉ. अनुराग विजय अग्रवाल और चेयरमैन डॉ. अनिल सिंह ने पुष्पगुच्छ, शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर किया।
इस अवसर पर संस्थान द्वारा संपादित एवं प्रकाशित आईएसबीएन पुस्तक “नर्सिंग 2.0 – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ स्वास्थ्य सेवा का पुनर्गठन” का विमोचन भी किया गया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए चेयरमैन डॉ. अनिल सिंह ने कहा, “नर्सिंग स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ है। एआई तकनीक नर्सों को प्रतिस्थापित नहीं बल्कि सशक्त बनाएगी। भारत में प्रति 1000 जनसंख्या पर केवल 1.7 से 1.9 नर्स उपलब्ध हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक 3 नर्स प्रति 1000 है। दूसरी ओर, भारत का एआई हेल्थकेयर बाजार 2024 में 333 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो 2033 तक 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। यह आंकड़े नर्सिंग क्षेत्र के लिए चुनौतियाँ भी हैं और अवसर भी।”
उन्होंने आगे कहा कि नर्सिंग समुदाय को तकनीक से डरने के बजाय इसे अपना साथी बनाकर अपनाना चाहिए। संस्कृत श्लोक “सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे सन्तु सु-स्वास्थ्याः” उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि यही नर्सिंग का शाश्वत संदेश है कि सभी स्वस्थ और सुखी रहें।
प्रथम तकनीकी सत्र में सह-निदेशक डॉ. पुष्पनील वर्मा ने संस्थान की उपलब्धियों और कॉन्फ्रेंस की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रमुख वक्ताओं में फिलीपींस से एबिगेल रोम बिबे-कोल, यूनाइटेड किंगडम से मेलिसा क्रिस्टीन मिलान हैरिसन, आयरलैंड से क्रिस्टी बॉसवेल, नॉर्वे से विलथेर मार्क और फिनलैंड से डेनियल बायरमार्क शामिल रहे। इन विशेषज्ञों ने नर्सिंग शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बढ़ते उपयोग, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार और अनुभव साझा किए।
प्राचार्या डॉ. विजया डी. ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य नर्सिंग स्टाफ के लिए नई कौशल-आधारित शिक्षा एवं प्रशिक्षण रणनीतियाँ तैयार करना है, ताकि वे तकनीकी बदलावों के साथ कदम से कदम मिला सकें। डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस से प्राप्त विचार और सुझाव भविष्य की स्वास्थ्य नीति, नर्सिंग शिक्षा और अनुसंधान को सशक्त करेंगे।
दो दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में शोधपत्र प्रस्तुतियाँ, पैनल चर्चाएँ, इंटरैक्टिव वर्कशॉप और एआई आधारित हेल्थकेयर मॉडल्स पर डेमो आयोजित किए गए। पहले दिन नर्सिंग शिक्षा और रिसर्च में एआई की भूमिका पर चर्चा हुई, जबकि दूसरे दिन हेल्थकेयर सेवाओं में एआई के व्यावहारिक प्रयोग, चुनौतियाँ और रणनीतियों पर मंथन हुआ।
इस आयोजन को सफल बनाने में डॉ. शीतल राजपूत, डॉ. कावेन्द्र यादव, इंजीनियर निकुल चौधरी, गौरव राजपूत, प्रतिभा, नेहा, शालिनी कपूर, उर्वशी, रमा मालिक, रिहाना भट्ट, कलावती बिष्ट सहित अनेक विद्यार्थियों और स्टाफ सदस्यों का बहुमूल्य योगदान रहा। यह सम्मेलन न केवल मुजफ्फरनगर बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए गौरव का विषय बना।