मुजफ्फरनगर (सच कहूँ/ अनु सैनी)। Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर के पचेड़ा गांव में इन दिनों एक पेड़ पर लटकते बुनकर पक्षियों (वीवर बर्ड) के घोंसले ग्रामीणों और राहगीरों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। गांव के एक पुराने मकान की जर्जर दीवार के पास उगे इस पेड़ पर दर्जनों घोंसले झूलते नजर आते हैं, मानो यह दृश्य किसी पुराने समय की जीवंत तस्वीर हो। दूर से ही इन घोंसलों की कतारें देखने वालों को अपनी ओर खींच लेती हैं।
बरसात के मौसम की पुरानी यादों का जिंदा चित्र | Muzaffarnagar News
पचेड़ा गांव का यह नजारा उन पुराने दिनों को ताजा कर देता है, जब बरसात के मौसम में खेतों, बागों और तालाब किनारे पक्षियों का बसेरा आम बात थी। उस समय गांव के बच्चे खेतों में खेलते-खेलते इन अनोखे घोंसलों को निहारते थे, जबकि बड़े-बुजुर्ग अपने किस्सों में बताते थे कि कैसे ये पक्षी घास, पत्तों और पेड़ की छाल के रेशों को बुनकर मजबूत और खूबसूरत घर बनाते हैं। Muzaffarnagar News
बुनकर पक्षियों की मेहनत और कला का नजारा
आज भी इस पेड़ पर बने घोंसले गांव के पुराने प्राकृतिक वातावरण की गवाही देते हैं। इन घोंसलों को बनाने में बुनकर पक्षियों की महीनों की मेहनत, उनकी अद्भुत कला और अपने बच्चों के लिए सुरक्षित जगह खोजने की जद्दोजहद साफ झलकती है। ग्रामीण बताते हैं कि हर साल बरसात के मौसम में यह पेड़ इन पक्षियों का स्थायी ठिकाना बन जाता है।
गांव की संस्कृति और प्रकृति का अनमोल संगम
पचेड़ा जैसे गांवों में यह दृश्य न केवल प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि यह एक तरह से गांव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। यह हमें यह संदेश देता है कि इंसान और प्रकृति के बीच पुराना रिश्ता आज भी जिंदा है। जरूरत बस इस रिश्ते को बचाने, संजोने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की है। Muzaffarnagar News
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