Trump H-1B visa order: वॉशिंगटन। अमेरिका में काम कर रहे भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। अमेरिकी प्रशासन ने एच-1बी वीज़ा नियमों में व्यापक बदलाव की घोषणा की है। इन प्रावधानों के तहत अब हर आवेदन के साथ कंपनियों को भारी शुल्क अदा करना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए स्पष्ट किया कि इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय नागरिकों के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ाना है। उनका कहना था कि अमेरिकी नौकरियों को प्राथमिकता देना सरकार की जिम्मेदारी है। US Visa News
अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने भी इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि नई व्यवस्था के बाद बड़ी कंपनियां सस्ते विदेशी श्रमिकों पर निर्भर नहीं रह पाएंगी। अधिकारियों का मानना है कि इससे अमेरिकी विश्वविद्यालयों से निकलने वाले नए स्नातकों को अधिक मौके मिलेंगे।
नए प्रावधानों के अनुसार, एच-1बी वीज़ा की अधिकतम अवधि छह वर्ष तय कर दी गई है, जिसमें नवीनीकरण भी शामिल होगा। प्रशासन ने यह भी कहा कि लंबे समय से इस वीज़ा का दुरुपयोग हो रहा था, जिससे स्थानीय श्रमिकों को नुकसान पहुँच रहा था। इसके अतिरिक्त, एक नई योजना “गोल्ड कार्ड प्रोग्राम” भी शुरू की गई है। इस प्रावधान में निर्धारित राशि जमा करने के बाद विशेष वीज़ा प्राप्त किया जा सकेगा।
हर वर्ष लगभग 85 हज़ार एच-1बी वीज़ा जारी किए जाते हैं, जिनमें सबसे अधिक हिस्सेदारी भारतीय नागरिकों की होती है। हाल के वर्षों के आँकड़े बताते हैं कि इस श्रेणी में भारतीयों का प्रतिशत 70 से अधिक रहा है। नए नियमों के लागू होने से न केवल हज़ारों भारतीय पेशेवर प्रभावित होंगे, बल्कि अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र पर भी इसका सीधा असर पड़ सकता है। US Visa News