इस बार बेहद कम है सफेद मक्खी का प्रकोप

White fly, Outbreak, Scientists, Farmers, Crop, Agriculture, Haryana

राहत। केंद्रीय कपास अनुसंधान द्वारा 3 राज्यों में किए गए सर्वे रिपोर्ट में हुआ खुलासा

  • कृषि वैज्ञानिकों व किसानों ने ली राहत की सांस

सरसा(सुनील वर्मा)। हरियाणा, राजस्थान व पंजाब में कपास की फसल में सफेद मक्खी अभी आर्थिक कगार से कम है। केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र व कृषि वैज्ञानिकों ने प्रथम सर्वे का कार्य पूरा कर लिया है। इस सर्वे में मौजूदा समय में कपास की फसल में आर्थिक कगार से कम होने पर फसलों को कोई नुकसान नहीं है।

ज्यादा सफेद मक्खी का प्रकोप नहीं होने से कृषि वैज्ञानिकों व किसानों ने राहत की सांस ली है। गौरतलब है कि कपास की फसल में सफेद मक्खी से निपटने के लिए प्रबंध नीति तैयार की गई है, जिससे सफेद मक्खी से समय पर फसल को बचाया जा सके। केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र सरसा, कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक इस नीति पर कार्य कर रहे हैं।

पिछले दो वर्ष पूर्व में सफेद मक्खी से काफी नुकसान हुआ, जिसके चलते प्रदेश सरकार किसानों को सफेद मक्खी से प्रभावित जिलों में मुआवजा भी बांट रही है, जिसके लिए 967 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि मंजूर हुई थी।

प्रथम सर्वे का कार्य पूरा

सफेद मक्खी से फसल को बचाने के लिए हरियाणा, राजस्थान, पंजाब में वैज्ञानिकों ने सर्वे किया, जिसमें सफेद मक्खी आर्थिक कगार से कम मिली यानी सफेद मक्खी नाममात्र 3-4 मिली, जिससे फसलों को मौजूदा समय में कोई नुकसान नहीं है। इसके लिए किसानों को वैज्ञानिकों ने सचेत रहने की सलाह दी है। अगर इससे ऊपर आकर सफेद मक्खी बढ़ती है तो किसानों को तुंरत प्रभाव से नीम की स्प्रे करनी होगी।

हरियाणा, राजस्थान व पंजाब में सफेद मक्खी अभी आर्थिक कगार पर है। इससे फसलों को नुकसान नहीं है। अभी प्रथम सर्वे रिपोर्ट आई है। कृषि वैज्ञानिक समय समय पर आगे भी सर्वे करते रहेंगे, जिससे सफेद मक्खी के प्रकोप को रोका जा सके।
डॉ. दलीप मोंगा, निदेशक, केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र सरसा

एडीओ को दिया प्रशिक्षण

केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र में जिले में तैनात एडीओ (कृषि विकास अधिकारी) को प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें 70 एडीओ को सफेद मक्खी फैलने पर किसानों की कैसे मदद करनी है। वहीं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किस कीटनाशक का प्रयोग करना है। वहीं किसानों को जानकारी देने के लिए परजीवी जैसे एनकारशिया व एरीटमोसीरस व परभक्षी लेडीबर्ड भृंग, क्राइसोपा का संरक्षण व संवर्धन करने के लिए बताया जाएगा। क्योंकि ये प्राकृतिक तौर पर सफेद मक्खी के बच्चे व प्यूपो को खाते हैं इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।