Sindoor plant:सच कहूं, अनु सैनी। विश्व पर्यावरण दिवस के खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक आवास पर सिंदूर का पौधा लगाया। यह कोई साधारण पौधा नहीं था, बल्कि गुजरात के कच्छ क्षेत्र की उन वीरांगनाओं द्वारा प्रधानमंत्री को भेंट किया गया था, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अपने परिवार के पुरुषों को देश के लिए बलिदान होते देखा था।
वहीं प्रधानमंत्री ने इसे नारीशक्ति, शौर्य और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस पौधे को लगाना उनके लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि यह माताएं और बहनें हमारे देश की प्रेरणा हैं।
क्या है सिंदूर का पौधा? Sindoor plant
सिंदूर का पौधा जिसे बिक्सा ओरेलाना या “कुंकुम वृक्ष” भी कहा जाता है, एक औषधीय और सांस्कृतिक महत्व वाला पौधा है। इसके बीजों से प्राप्त लाल रंग का पाउडर परंपरागत रूप से सिंदूर, खाद्य रंग, कॉस्मेटिक्स और आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग होता है।
सिंदूर पौधे के फायदे और महत्व:-
1. सांस्कृतिक महत्व:- भारतीय परंपरा में विवाहित महिलाएं सिंदूर लगाती हैं, जो सौभाग्य और मंगलता का प्रतीक है। यह पौधा उसी भावना से जुड़ा है।
2. औषधीय गुण:- इसके बीज त्वचा रोगों में लाभकारी होते हैं।
इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं।
इसका उपयोग घाव भरने, बुखार और आंखों की समस्याओं में किया जाता है।
3. प्राकृतिक रंग का स्रोत:-इसके बीजों से प्राकृतिक लाल रंग प्राप्त होता है, जो भोजन और सौंदर्य प्रसाधनों में रासायनिक रंगों की जगह ले सकता है।
4. पर्यावरणीय लाभ:-यह पौधा मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और जैव विविधता बढ़ाने में मदद करता है।
प्रधानमंत्री का संदेश:-पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह पौधा केवल एक तोहफा नहीं, बल्कि वीर नारियों के साहस और उनके परिवारों के बलिदान की अमिट स्मृति है। साथ ही उन्होंने पर्यावरण दिवस की थीम – “प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति” को दोहराते हुए संसाधनों के संयमित उपयोग की अपील की।
1971 की वीरांगनाएं और “ऑपरेशन सिंदूर” का प्रतीक
इस पौधे को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भी जोड़ा जा रहा है, जो हाल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई का नाम था। यह नाम देश की रक्षा और माताओं के आशीर्वाद के प्रतीक स्वरूप चुना गया।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सिंदूर के पौधे का रोपण केवल पर्यावरण संरक्षण की पहल नहीं, बल्कि नारीशक्ति, बलिदान और सांस्कृतिक मूल्यों का सामूहिक सम्मान है। यह हमें याद दिलाता है कि हर पौधा सिर्फ प्रकृति नहीं, बल्कि इतिहास, भावना और भविष्य का प्रतीक भी हो सकता है।