Nomination Rules India: क्या नॉमिनी बनने पर मैं संपत्ति का एकमात्र मालिक बन सकूंगा?

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नई दिल्ली। एक पाठक ने पूछा है कि उनके पिता ने अपनी सभी सावधि जमाओं (FDs) में उन्हें नामांकित कर रखा है। ऐसे में यदि भविष्य में पिता का निधन हो जाए और उन्होंने वसीयत न बनाई हो, तो क्या जमा राशि पर अधिकार केवल नामांकित व्यक्ति का होगा, या फिर माता तथा अन्य भाई-बहन भी इसके समान हकदार होंगे? Nomination Rules India

सबसे पहले यह मानकर चलते हैं कि ये सभी सावधि जमाएँ आपके पिता के एकल खाते में हैं। यदि खाता संयुक्त होता, तो उसके अधिकार खाताधारकों के बीच निर्धारित अनुबंध के अनुसार तय होते। कई संयुक्त खातों में उत्तरजीविता खंड (Survivorship Clause) होता है, जिसमें जीवित खाताधारक को जमा राशि का पूरा अधिकार मिल जाता है, और नामांकन तब लागू होता है जब सभी संयुक्त धारकों का देहांत हो जाए।

एकल खाताधारक की सावधि जमा के संदर्भ में भारतीय कानून स्पष्ट है—नामांकित व्यक्ति का दर्जा मालिक का नहीं, बल्कि एक ट्रस्टी का होता है। नामांकित व्यक्ति केवल बैंक से राशि प्राप्त करने का अधिकारी होता है, लेकिन रकम का वास्तविक स्वामित्व खाताधारक के कानूनी उत्तराधिकारियों का होता है या फिर वसीयत में लिखे लाभार्थियों का।

बैंक अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जमा राशि आपको सौंप देगा

अर्थात्, आपके पिता के निधन के बाद बैंक अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जमा राशि आपको सौंप देगा, क्योंकि आप नामांकित व्यक्ति हैं। बैंक को यह प्रक्रिया कानूनी उत्तराधिकार तय किए बिना पूरी करने का अधिकार होता है, जब तक कि अदालत कोई रोक न लगाए। Nomination Rules India

लेकिन बैंक से राशि प्राप्त कर लेने के बाद आप इस धन को अपना व्यक्तिगत अधिकार नहीं मान सकते, यदि उत्तराधिकार कानून के अनुसार अन्य परिवारजन भी उत्तराधिकारी हों। यदि आपके पिता बिना वसीयत के देहांत होते हैं, तो लागू व्यक्तिगत कानून के मुताबिक आपकी माता, आप तथा आपके दोनों भाई-बहन सभी समान हिस्से के अधिकारी होंगे। यदि आपके पिता भविष्य में वसीयत तैयार करते हैं और उसमें किसी विशिष्ट व्यक्ति या व्यक्तियों को जमा राशि का वारिस बताया जाता है, तो वही वसीयत मान्य होगी और उसी के आधार पर स्वामित्व तय किया जाएगा।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसी भी भ्रम या विवाद से बचने के लिए नामांकन और वसीयत—दोनों में एक-रूपता होना आवश्यक है। बेहतर होगा कि आपके पिता समय रहते किसी योग्य विधि-विशेषज्ञ से परामर्श लेकर एक स्पष्ट वसीयत तैयार करें, ताकि उनकी संपत्ति का प्रबंधन भविष्य में सहज और विवाद-रहित रूप से हो सके। Nomination Rules India