BJP New President: ये महिला होंगी भाजपा की नई राष्ट्रीय अध्यक्ष? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन

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BJP New President: ये महिला होंगी भाजपा की नई राष्ट्रीय अध्यक्ष? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन

BJP New President: अनु सैनी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। पार्टी पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले पर पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के भीतर सहमति बनती दिखाई दे रही है। यदि ऐसा होता है, तो यह भाजपा के संगठनात्मक इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम होगा।

जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त, अब नए नेतृत्व की तलाश

जेपी नड्डा का राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल जनवरी 2023 में ही समाप्त हो चुका था, लेकिन पार्टी ने उन्हें जून 2024 तक का विस्तार दिया था, ताकि वे लोकसभा चुनाव 2024 तक संगठन की कमान संभाले रहें। अब जब चुनाव खत्म हो चुके हैं और नई सरकार बन गई है, पार्टी संगठन में बदलाव की प्रक्रिया भी तेज हो गई है।

महिला मतदाताओं की ओर बढ़ता भाजपा का झुकाव

पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने महिला मतदाताओं को बड़ी संख्या में अपने पक्ष में किया है। विशेषकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में महिला वोटरों की भागीदारी और समर्थन ने पार्टी को मजबूती दी है। इसे देखते हुए भाजपा अब महिला नेतृत्व को आगे लाकर 2029 की तैयारी करना चाहती है।

तीन प्रमुख महिला नेता रेस में

भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जिन तीन महिला नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, वे हैं: निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी और वनाथी श्रीनिवासन। ये तीनों नेता अलग-अलग क्षेत्रों से आती हैं और संगठन में अपनी गहरी पकड़ तथा अनुभव के लिए जानी जाती हैं।

1. निर्मला सीतारमण: अनुभव और दक्षता की प्रतीक

निर्मला सीतारमण वर्तमान में भारत की वित्त मंत्री हैं और इससे पहले वे रक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं। वे भाजपा की उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जिन्होंने संगठन और सरकार दोनों में बड़ी भूमिकाएं निभाई हैं।
उनकी सबसे बड़ी ताकत है—केंद्रीय राजनीति में अनुभव, ठोस निर्णय क्षमता और दक्षिण भारत से संबंध। वे तमिलनाडु से आती हैं और उनका अध्यक्ष बनना भाजपा के दक्षिण भारत विस्तार मिशन के लिए फायदेमंद हो सकता है। हाल ही में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ महत्वपूर्ण बैठक भी की थी, जिससे उनके नाम की चर्चा और तेज हो गई है।

2. डी. पुरंदेश्वरी: भाषाई विविधता और राजनयिक अनुभव वाली नेता

डी. पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश भाजपा की पूर्व अध्यक्ष रही हैं और एक अनुभवी राजनेता हैं। वे भाजपा से पहले कांग्रेस में भी मंत्री रह चुकी हैं। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेंकटगिरी की बेटी हैं और उन्हें देश-विदेश की राजनीति और प्रशासन का लंबा अनुभव है।
डी. पुरंदेश्वरी को बहुभाषी नेता के रूप में भी जाना जाता है, जो दक्षिण भारत की राजनीति में भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण चेहरा हो सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का अनुभव उन्हें और प्रभावशाली बनाता है। वे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे राजनयिक अभियानों का भी हिस्सा रह चुकी हैं।

3. वनाथी श्रीनिवासन: युवा ऊर्जा और संगठनात्मक पकड़

वनाथी श्रीनिवासन तमिलनाडु की कोयंबटूर दक्षिण सीट से विधायक हैं। वे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं और संगठन में 1993 से सक्रिय हैं। वनाथी ने संगठन के हर स्तर पर काम किया है—युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, प्रदेश कार्यकारिणी और अब विधायक के रूप में।
2022 में उन्हें केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनाया गया था और वह ऐसा करने वाली पहली तमिल महिला नेता बनीं। संगठन पर उनकी पकड़ और दक्षिण भारत में उनकी पहचान भाजपा के लिए उपयोगी साबित हो सकती है। उनकी छवि साफ-सुथरी और जमीनी है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का भी समर्थन

सूत्रों के अनुसार, आरएसएस भी इस विचार के पक्ष में है कि भाजपा को अब महिला नेतृत्व की ओर बढ़ना चाहिए। संघ मानता है कि महिला अध्यक्ष का चयन न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से व्यावहारिक है, बल्कि यह पार्टी की आधुनिक सोच और समावेशी नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा संकेत होगा।

महिला आरक्षण कानून से मेल खाता कदम

भारतीय संसद में पारित 33% महिला आरक्षण कानून की पृष्ठभूमि में यदि भाजपा कोई महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त करती है, तो यह कदम उसी भावना को दर्शाएगा। यह भाजपा की उस छवि को और मजबूत करेगा जिसमें वह महिला सशक्तिकरण की पक्षधर पार्टी मानी जाती है। इससे आगामी वर्षों में पार्टी को और अधिक महिला समर्थन मिलने की संभावना भी प्रबल होगी।

क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा अगर इस बार महिला अध्यक्ष को चुनती है तो यह केवल प्रतीकात्मक निर्णय नहीं होगा, बल्कि रणनीतिक और दीर्घकालिक सोच से जुड़ा कदम होगा। भाजपा की चुनावी रणनीतियों में महिलाओं की बड़ी भूमिका रही है—फिर चाहे वह उज्ज्वला योजना हो या लाडली बहना योजना जैसी राज्य स्तरीय नीतियां।

भाजपा के नेतृत्व में एक नया युग

भारतीय राजनीति में महिलाओं की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। अगर भाजपा एक महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाती है, तो यह न केवल पार्टी के भीतर एक ऐतिहासिक बदलाव होगा, बल्कि देश की राजनीति में भी एक नई दिशा की शुरुआत होगी। तीनों महिला दावेदार अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली हैं और भाजपा के लिए संभावनाओं से भरी हुई हैं। अब देखना यह है कि पार्टी किसे नेतृत्व सौंपती है और क्या यह वाकई महिला अध्यक्ष के युग की शुरुआत होगी।