सेवा के साथ, औलाद का फर्ज भी निभा रहे ‘इन्सां’

‘याद-ए-मुर्शिद परम पिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप’ में देखने को मिल रही अनूठी सेवा भावना

सरसा। (सच कहूँ/विजय शर्मा) शाह सतनाम जी धाम में चल रहे 31वें ‘याद-ए-मुर्शिद परम पिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप’ में जहां मरीजों के अंधरे जीवन में उजियारा लाने का काम किया जा रहा, वहीं इन मरीजों के प्रति डेरा श्रद्धालुओं की नि:स्वार्थ सेवा भावना एक अनूठी मिसाल पेश की रही है। बुजुर्ग मरीजों को देखभाल के साथ सेवादारों का जो प्यार, स्रेह व दुलार मिल रहा है उसे पाकर इनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। बता दें कि कैंप में आने वाले ज्यादातर बुजुर्ग अकेलेपन का शिकार हैं। आर्थिक तंगी की मार के साथ अपनों से बिछुड़ने का दर्द भी इनके चेहरे पर साफ झलक रहा था।

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ऐसे में इस कैंप में आंखों का चेकअप करवाने आए बुजुर्गों के सामने सबसे बड़ी समस्या तब खड़ी हुई जब उनका चयन आंखों के ऑपरेशन के लिए हुआ और इन बुजुर्गों के साथ कोई अपना नहीं था, जो उनकी मदद कर सके। ऐसे में शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार ये कहते नजर आए, घबराइये मत! ‘‘हम हैं ना’’, आप अपना आॅप्रेशन करवाईये हम आपकी औलाद से बढ़कर देखभाल करेंगे और कैंप के दौरान बड़ी संख्या में ये सेवादार मरीजों की देखभाल करने में दिन रात जुटे भी हुए हैं। सेवादारों की ऐसी नि:स्वार्थ सेवा भावना को सैल्यूट करते हुए ‘सच कहूँ’ ने इनसे बात की और उनके बुजुर्गों के प्रति विचार जाने।

मरीजों को घर जैसा माहौल मिल रहा है

मैं पिछले 10 सालों से ‘याद-ए-मुर्शिद परम पिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप’ में सेवा के लिए आ रही हूँ। यहां आने वाले बुजुर्गों की सेवा करके दिल को बड़ा सुकून मिलता है। यहां आने वाले ज्यादातर लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, कुछ मजदूर या दिहाड़ी करने वाले हैं। उनकों इस कैंप का पूरा फायदा मिल रहा है। सर्दी के चलते उनके रहने, खाने व सोने की पूरी व्यवस्था की गई है। यहां लाखों सेवादार उनकी दिन रात संभाल करने में जुटे हैं। इस कैंप में आने वाले मरीजों को घर जैसा महौल मिल रहा है और सबसे बड़ी बात ये हैं कि यहां सब एक दूसरे से अंजान हैं लेकिन पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा और शिक्षा का असर ऐसा है कि नि:स्वार्थ सेवा भावना ने सबको भाईचारे की डोर में पिरोया हुआ है।                                                                 -शालू इन्सां, कुरुक्षेत्र, हरियाणा।

पूज्य गुरु जी ने नि:स्वार्थ सेवा करने की दी शिक्षा

यूपीएससी की तैयारी कर रही दिल्ली के मुखर्जी नगर निवासी शालू वालिया का कहना है कि वह पिछले चार साल से कैंप में सेवा के लिए आ रही हैं। यहां कैंप के दौरान एक नहीं अनेक मानवता की मिसाल देखी जा सकती हैं। लेकिन इसके विपरित अगर दिल्ली जैसे बड़े महानगर की बात करूं तो इंसानियत दम तोड़ती नजर आती है। लेकिन मुझे गर्व है अपने सतगुरु जी पर जिन्होंने मुझे ही नहीं करोड़ों लोगों को दूसरों की नि:स्वार्थ सेवा करने की शिक्षा दी, दूसरों का दर्द कम करने की प्रेरणा दी, इन बुजुर्गों का सहारा बनने के लायक बनाया और इस कैंप में जरूरतमंदों की सेवा करने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है, मेरी विल पॉवर बढ़ती है। इस आत्मविश्वास के बल पर जो काम मैं सात से आठ घंटों में करती हूँ वो ही काम सेवा करने के बाद महज 3 से 4 घंटों में हो जाता है।     -शालू वालिया, दिल्ली।

काश! सारी दुनिया ऐसी हो जाए

आज की युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गों और माता पिता की सेवा करना तो दूर, उनका तिरस्कार कर घर से बे-घर करने में जुटी है। लेकिन डेरा सच्चा सौदा में आयोजित इस कैंप में अनोखी रीत देखने को मिल रही हैं। पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षा की बदौलत यहां बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी भाई-बहन अपने मां-बाप से बढ़कर मरीजों की सेवा करने में जुटे हुए हैं। काश! सारी दुनिया ऐसी हो जाए। जहां अनाथ या बेघर बुजुर्गों, मां-बाप को बेटों सा प्यार मिल सके। मुझे भी यहां सेवा करके इन बुजुर्गों का ढेर सारा आशीर्वाद मिल रहा है। और धन्य है मेरा मुर्शिद जो इस स्वार्थी कलयुग में भी इंसानियत व मानवता का दीप जलाए हुए है।                                            -रेनू इन्सां, आगनवाड़ी वर्कर, एमएसजी कॉम्पलेक्स, सरसा।

डेरा सच्चा सौदा में इंसानियत व मानव सेवा की शिक्षा दी जाती है। ये पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा का ही कमाल है कि इस स्वार्थी युग में भी बिना स्वार्थ के सच्ची भावना से डेरा श्रद्धालुओं द्वारा मरीजों की सेवा की जा रही है। मैं कई सालों से यहां सेवा के लिए आ रही हूँ। जरूरतमंदों की मदद करके दिल को अच्छा लगता है।
                                                           -हरप्रीत इन्सां, जिला मुक्तसर, पंजाब।

…जो देखे वो सैल्यूट करने पर मजबूर हो जाए

यहां सेवा करके मुझे अंदर से बेहद शांति और सुकून मिल रहा है। मैं चार साल से लगातार कैंप में सेवा करने आ रही हूँ। जरूरतमंदों के प्रति सेवा की भावना और जुनून जो यहां देखने को मिलता है वो कहीं ओर नहीं। दुनिया की बात करें तो हर इंसान पैसों की पीछे भाग रहा है, पैसों के लिए किसी को भी ठग सकता है। लेकिन यहां बड़े से बड़ा व्यक्ति चाहे वो डॉक्टर हो, शिक्षक हो, बिजनसमैन हो या सरकारी कर्मचारी, हर व्यक्ति अपना काम-धंधा छोड़कर सिर्फ सेवा के मकसद से यहां आया है। ये सेवादार बिना पैसे, बिना किसी लालच के इस कैंप में अपनी सेवाएं देने में जुटे हैं और यह सब संभव हो पाया है पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बदौलत। जिन्होंने अपने शिष्यों में सेवा की भावना इस कदर भरी है कि जो देखे वो सैल्यूट करने पर मजबूर हो जाए।                                                  -रिंकी, पत्नी गुरमेल, कंझावला, दिल्ली।

जरूरतमंदों के काम आकर मिलती है खुशी

हर बार इस कैंप में सेवा के लिए आता हूँ, लेकिन इस बार छुट्टी नहीं मिल रही थी, लेकिन पूज्य गुरु जी की ऐसी रहमत हुई कि मुझे यहां सेवा करने का मौका मिल ही गया। जरूरतमंद लोगों की सेवा करके जो सुकून मिलता है उसे बताना असंभव है। एक तरफ जहां आज की युवा पीढ़ी नशों और बुराइयों की गिरफ्त में अपना जीवन बर्बाद कर रही हैं वहीं मेरे जैसे करोड़ों नौजवान पूज्य गुरु जी की रहमत एवं पावन शिक्षा के कारण आज जरूरतमंद लोगों के काम आ रहे हैं। इस कैंप में आने वाले हर मरीज को रोशनी तो मिल ही रही है साथ ही हमें भी सेवा करके उन बुजुर्गों का आशीर्वाद मिल रहा है किसी भी कीमत पर खरीदा नहीं जा सकता।                                                                 -हिमांशु इन्सां, दिल्ली।

गरीब लोगों के लिए वरदान है ये नि:शुल्क आई कैंप

‘याद-ए-मुर्शिद परम पिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप’ उन लोगों के लिए वरदान है जो पैसा न होने की वजह से अपनी आंखों का आॅप्रेशन नहीं करवा पाते। यहां दवाइयों से लेकर, मरीजों के खाने-पीने, रहने तक की हर व्यवस्था नि:शुल्क की गई है। इस कैंप में सबसे बड़ी बात ये देखने को मिल रही है कि यहां अधिक मरीज ऐसे आए हुए हैं जो असहाय हैं या उनको अपनों ने ठुकरा दिया है। अकेले पन के कारण उन्हें इस बात का डर ज्यादा सता रहा था कि आॅप्रेशन के दौरान उनकी देखभाल कौन करेगा, लेकिन डेरा सच्चा सौदा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार इन बुजुर्गों की ऐसी सेवा कर रहे हैं जैसे मानो इनकी ही औलाद हों। आंखों के चेकअप से लेकर आॅप्रेशन थियेटर तक पल-पल इनकी संभाल की जा रही है।        -साधू सिंह, टिब्बी, हनुमानगढ़, राजस्थान (सीनियर नर्सिंग ऑफिसर)

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