याद-ए-मुर्शिद फ्री आई कैम्प के बारे में सुनिए डॉक्टर के विचार

Free Eye Camp

आँखों का रखें खास ख्याल, रोजाना डेढ़ घंटा धूप में जरूर बिताएं’

  • ‘‘याद-ए-मुर्शिद’’ परम पिता शाह सतनाम जी महाराज 31वां फ्री नेत्र जांच शिविर बना वरदान, चिकित्सकों ने दिए अमूल्य सुझाव
  • बेतहाशा स्क्रीन टाइम से बचने की सलाह
  • विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ के साथ-साथ हरी सब्जियों का करें सेवन

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। ‘याद-ए-मुर्शिद’ परमपिता शाह सतनाम जी महाराज 31वां नि:शुल्क नेत्र जांच शिविर जरूरतमंद मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस शिविर में जहां देश के जाने-माने विशेषज्ञ चिकित्सक जरूरतमंद नेत्र रोगियों को अपनी बहुमूल्य सेवाएं दे रहे हैं। इसके साथ ही ये कुदरत के अनमोल तोहफे हमारी आँखों को सुरक्षित रखने के लिए टिप्स भी दे रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार हम छोटी-छोटी सावधानियां बरत कर अपनी आँखों को सुरक्षित रख सकते हैं। आइए जानते हैं विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा दिए गए टिप्स…

कोरोना काल के बाद से बच्चों में आँखों की समस्याएं बहुत ज्यादा बढ़ी हैं। इसका मुख्य कारण बच्चों का धूप में बाहर न निकलना है। बच्चे ज्यादातर वक्त घरों के अंदर रहते हैं और वे स्मार्ट फोन और टीवी देखने में व्यस्त हो जाते हैं, जिससे उनकी आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों के धूप में न निकलने की वजह से मायोपिया रोग बढ़ रहा है। इसलिए सभी को कम से कम डेढ़ घंटा सूर्य की धूप में जरूर निकलना चाहिए। इसके साथ ही दो साल से कम के बच्चों को मोबाइल बिल्कुल नहीं देना चाहिए। वहीं दो से पाँच साल के बच्चों को आधे घंटे से ज्यादा मोबाइल नहीं देना चाहिए। आजकल मनोरंजन के तौर पर मोबाइल की बहुतायत इस्तेमाल होता है, इससे बचना चाहिए, इसके बेतहाशा प्रयोग से भैंगापन रोग होने का खतरा भी रहता है।
-डॉ. प्रदीप शर्मा, प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं एम्स के पूर्व प्रोफेसर तथा वर्तमान में सेंटर फॉर साइट में कार्यरत

कैंप में मरीजों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की गई हैं। सेवादारों का सेवाभाव और अनुशासन काबिले तारीफ है। प्रत्येक मरीज को उच्च क्वालिटी का इलाज नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। न सिर्फ जांच बल्कि मरीज की काउंसलिंग से लेकर आॅप्रेशन और सार-संभाल सहित सभी प्रबंध अच्छी क्वालिटी के हैं।
                                                   -डॉ. अविनाश, मेडिकल कॉलेज, कोटा (राज.)

इतने बड़े लेवल के कैंप में पहली बार सेवाएं दे रहा हूँ। यहां के वालंटियर्स की सेवा भावना बहुत अच्छी है। पूरा कैंप वैल आर्गेनाइज्ड है। मरीजों की सेवा अपने माता-पिता की तरह की जा रही है। यहां मेरा शानदार एवं यादगार इक्सपीरियंस रहा है। समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करके बहुत खुशी हो रही है। आँखों को सुरक्षित रखने के लिए मोबाइल स्क्रीन का समय घटाया जाना चाहिए। विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘सी’ से भरपूर फलों और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही स्क्रीन पर काम करने वाले शख्स 20-20 मिनट के अंतराल पर दो मिनट के लिए दूर देखें और एंटी ग्लेयर का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही सुबह सवेरे उठकर योगाभ्यास भी जरूर करें।
                                                                                    -डॉ. राम मोहन मिश्रा बरेली मेडिकल कॉलेज

ये कैंप जरूरतमंद मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। वर्तमान दौर में 50 से 60 फीसदी तक लोगों को आँखों के चश्मे की जरूरत है, लेकिन डॉक्टर के बताने के बावजूद लोग चश्मा नहीं लगाते, जिसकी वजह से उनकी नजर और ज्यादा कमजोर होती चली जाती है। इस ओर ध्यान देने की बहुत ज्यादा जरूरत है। इसके साथ ही जीवनशैली का भी इसमें बहुत बड़ा रोल है। इसलिए सभी को रूटीन एक्सरसाइज और अच्छे खान-पान को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही मोबाइल सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल करें।
                                                                     -डॉ. बृजेश, नोएडा

यहां कैंप में बच्चे, युवा और बुजुर्ग हर आयु वर्ग के मरीज आ रहे हैं, इससे पता चलता है कि यहां आँखों के प्रति लोग कितने जागरूक हैं। कैंप में आँखों के हर प्रकार के मरीज आ रहे हैं। संपूर्ण जांच के बाद उनका आॅपरेशन के लिए चयन किया जा रहा है। कैंप में मरीजों और डॉक्टरों के लिए हर प्रकार की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। नेत्र रोगियों को जांच के साथ-साथ आँखों को स्वस्थ रखने के लिए योगा और एक्सरसाइज आदि भी बताई जा रही है, ताकि वे नियमित तौर पर उन्हें अपनाकर अपनी नेत्र ज्योति को सुरक्षित रख सकें। आजकल गाजर और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
                                                                 -डॉ. पारस अरोड़ा

बहुत अच्छे कैंप का आयोजन किया गया है। यहां आकर जरूरतमंदों की मदद करने की प्रेरणा मिलती है। बुजुर्गों के प्रति सेवा और सम्मान का जो भाव यहां देखने को मिलता है, वो काबिले तारीफ है। इतने विशाल स्तर पर कैंपों का आयोजन होते रहना चाहिए, क्योंकि ये कैंप धन अभाव में उपचार से महरूम रहने वाले मरीजों के लिए वरदान से कम नहीं है।
                                                                                   -डॉ. आरजू, दिल्ली

 

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