36वां सूरजकुंड मेला: शिल्पकार बाबूराम यादव की कला का बना गवाह

पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनी धातु व लकड़ी की अनूठी कृतियां

  • शिल्प गुरु पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं राष्ट्रपति

सूरजकुंड/फरीदाबाद। (सच कहूँ/सागर दहिया) 36वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में एक तरफ जहां देशी व विदेशी कलाकार अपनी संस्कृति से पर्यटकों का मन मोह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिल्पकार अपने उत्पादों पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के 74 वर्षीय बाबूराम यादव अपने स्टाल नंबर 1030 पर धातु व लकड़ी की अनूठी कृतियों से लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। बाबूराम यादव को अपने पिता भुगनलाल यादव से जीवन में विशेष कार्य करके पहचान बनाने की प्रेरणा मिली थी, जिसके बाद उन्होंने वर्ष 1962 में यह कार्य शुरू किया। उन्हें शिल्पकला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन संत कबीरदास पुरस्कार के तहत शिल्पगुरु के गोल्ड मेडल से नवाजा था।

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बाबूराम यादव को सबसे पहले 1985 में राज्य पुरस्कार भी मिला था। बाबूराम यादव लगातार 1995 से सूरजकुंड मेले में पहुंच रहे हैं। इस स्टाल में पीतल धातु से पक्षियों के जानदार चित्र बनाए गए हैं, जिन पर नक्काशी का कार्य काबिले तारीफ है। बाबूराम यादव द्वारा कॉपर के जार, दीपक, दीवार घड़ी, रसोई के बर्तन, फूलदान इत्यादि प्रदर्शित किए हैं। बाबूराम यादव द्वारा पीतल से महाराणा प्रताप व शिवाजी की ढाल व तलवारों की बनाई गई अनुकृति भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। बाबूराम यादव द्वारा सफेद धातु एलुमिनियम से पेड़ों की अनुकृति बनाई गई हैं। आज उनका पूरा परिवार इस क्षेत्र में लगातार नाम कमा रहा है। इसमें उनके बेटे हरिओम, चंद्रप्रकाश व पौत्र प्रणव यादव अपना हाथ बंटा रहे हैं।

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