गांव भादड़ा की दूसरी शरीरदानी बनी 88 वर्षीय सुरजीत कौर इन्सां

Body Donation
Body Donation गांव भादड़ा की दूसरी शरीरदानी बनी 88 वर्षीय सुरजीत कौर इन्सां

ओढां, राजू। Body Donation: इंसान की मृत्यु के बाद उसके शरीर को या तो जला दिया जाता है या फिर दफना दिया जाता है, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनका मृत शरीर मानवता के काम आता है। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा शुरू की गई मुहिम ‘अमर सेवा’ के तहत जहां हजारों डेरा अनुयायी मरणोपरांत शरीरदान एवं नेत्रदान कर चुके हैं तो वहीं बड़ी संख्या में अनुयायियों लोगों ने मरणोपरांत शरीरदान करने के प्रतिज्ञा पत्र भरे हुए हैं। इसी कड़ी में सोमवार को एक और नाम जुड़ा ब्लॉक रोड़ी के गांव भादड़ा निवासी सुरजीत कौर इन्सां का। जिनकी मृत देह को इलाही नारों के बीच फूलों से सजी गाड़ी में मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना कर दिया गया। 88 वर्षीय सुरजीत कौर इन्सां पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं। उन्होंने सोमवार अलसुबह अंतिम सांस ली।

मेरा शरीरदान जरूर कर देना | Body Donation

सुरजीत कौर इन्सां ने पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए मरणोपरांत शरीरदान करने के लिए प्रतिज्ञा पत्र भरा था। उन्होंने अपने बेटे जगदीश इन्सां व मक्खन सिंह को प्रतिज्ञा पत्र का स्मरण करवाते हुए कई बार कहा कि मेरे मरणोपरांत मेरा शरीरदान जरूर कर देना। इस पर चलते हुए उनके बेटों ने सोमवार को अपनी मां की अंतिम इच्छानुसार उनकी मृत देह अमृता इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर फरीदाबाद को मेडिकल शोध कार्यांे हेतु दान कर दी। सुरजीत कौर इन्सां को गांव भादड़ा की दूसरी शरीरदानी के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।

फूलों से सजी गाड़ी में दी अंतिम विदाई | Body Donation

सुरजीत कौर इन्सां को अंतिम विदाई देने हेतु ब्लॉक रोड़ी व श्री जलालआणा साहिब से शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सदस्य, साध-संगत एवं गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। साध-संगत ने ‘सचखंडवासी सुरजीत कौर इन्सां अमर रहे’ के नारे लगाकर व सैल्यूट कर उनकी मृत देह को फूलों से सजी गाड़ी में अंतिम विदाई दी। डेरा सच्चा सौदा की बेटा-बेटी एक समान मुहिम के तहत उनकी अर्थी को कंधा उनकी बेटी गिंदो कौर व गुड्डी कौर, पुत्रवधू वीरपाल कौर इन्सां, पौत्री गुरप्रीत इन्सां व हरप्रीत इन्सां ने दिया। इस कार्य की लोगों ने सराहना करते हुए कहा कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी वास्तव में मानवता के सच्चे सेवक हैं, जोकि जीते जी ही नहीं बल्कि मरने के बाद भी इंसानियत के काम आते हैं। Body Donation

मरने के बाद तो शरीर को जला ही देना होता है। ऐसे में सुरजीत कौर इन्सां के परिजनों ने उच्च सोच अपनाते हुए समाज की परवाह किए बगैर महान कार्य किया है। समाज में ऐसे उदाहरण डेरा अनुयायियों के रूप में ही देखने क ो मिलते हैं। देह दान से न केवल मेडिकल के विद्यार्थियों को शिक्षा में मदद मिलेगी बल्कि समाज में भी जागृति आएगी। डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाई गई शरीरदान की ये मुहिम काफी सराहनीय है।
— मंजीत सिंह डूडी, ग्राम सरपंच।

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