सरसा। पूज्य गुरु संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि ओम, हरि, वाहेगुरू, गॉड जिसके करोड़ों नाम हैं, वह जर्रे-जर्रे में रहता है, उसके प्यार मोहब्बत में इतना आनंद है जो लिख-बोल कर बताया नहीं जा सकता। उसके प्यार में असीम शांति मिलती है। भाग्यशाली इन्सान ही उसकी भक्ति के रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आज का इन्सान धन-दौलत, जमीन-जयदाद व औरत-मर्द के लिए दौड़ रहा है, इनमें बहुत आकर्षण है। पूज्य गुरू जी ने आगे फरमाया कि यह सोचने वाली बात है कि जिस परमात्मा ने इन सब चीजों को बनाया है, उसके प्यार मोहब्बत में कितना आकर्षण होगा, यह कल्पना से परे है। उसके प्यार में असीम शांति मिलती है।
भाग्यशाली इन्सान ही इस रास्ते पर आगे बढ़ते हैं, यह रास्ता बहुत कठिन मार्ग है। इस कलियुगी समय में सत्संगी के रास्ते में मित्र-रिश्तेदार भी कई बार रूकावट डालते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि ‘आप किसी को भी गलत मत बोलें, चुपचाप हाथी की मानिंद राम नाम की ओर बढ़ते जाओ, निंदक लोग आप के जन्मों-जन्मों के कर्माें की मैल धोते रहते हैं, आप के कर्म कटते रहते हैं। आप जी ने फरमाया कि पुरातन युगों में भी, जो भगवान के रास्ते पर चले, लोग आज भी उन्हें याद करते हैं उनका नाम बड़े सत्कार से लेते हैं। वंश-दर-वंश उनकी कहानियां मशहूर हो जाती हैं। उदाहरण के तौर पर मीरां बाई को आज कौन नहीं जानता, वह संसार में प्रसिद्घ हुई। उन पर जुल्म करने वालों को कोई जानता तक नहीं।















