प्रकाश सिंह बादल’ को हराने के लिए पूरी ताकत लगाएगी भाजपा, कबड्डी में नहीं होता कोई ‘नियम’

gajendra singh shekhawat
  • हरसिमरत कौर ने नहीं किया कैबिनेट में कोई विरोध, कृषि कानूनों को लेकर बोल रही है झूठ
  • केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत बोले, पहले पूरी ताकत साथ थी और अब पूरी ताकत के साथ हम आमने-सामने

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनावों में पंजाब प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने साफ कर दिया है कि राजनीति में कोई दोस्त या फिर सगा-संबंधी नहीं होता है। जो भी विपक्ष के तौर पर सामने आए, उसे कुलचने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी जाए। पंजाब विधानसभा चुनावों में प्रकाश सिंह बादल या फिर कोई अन्य बड़ा नेता, हर किसी को हराने के लिए भाजपा पूरा जोर लगाएगी। चंडीगढ़ से पंजाब ब्यूरो चीफ अश्वनी चावला के साथ हुए इंटरव्यू दौरान गजेन्द्र सिंह शेखावत ने खुलकर अपनी बात रखी।

भाजपा के अजीज रहे प्रकाश सिंह बादल चुनावी मैदान में हैं तो क्या भाजपा उनको हराने के लिए उनके खिलाफ प्रचार करेगी?

जब तक हम साथ थे तो हम पूरी ताकत के साथ लड़े थे और अब आमने-सामने हैं तो हम पूरी ताकत के साथ आमने-सामने हैं। प्रकाश सिंह बादल को चुनावों में हराने के लिए भाजपा के बड़े नेताओं को भी लम्बी भेजा जाएगा। राजनीति में कोई ‘क’, ‘ख’ नहीं होता, इसलिए सामने कौन है, यह बिल्कुल भी मायना नहीं रखता है।

हरसिमरत कौर बादल ने कृषि कानूनों के खिलाफ कैबिनेट में कैसे विरोध किया था, क्या वह विरोध करने की बात सच बोल रहे हैं?

कैबिनेट मीटिंग में क्या हुआ है या फिर क्या नहीं हुआ, यह बाहर आकर बताना कैबिनेट की मर्यादा के खिलाफ है परंतु हरसिमरत कौर बादल ने कोई विरोध किया होता तो अब तक वह कोई सुबूत क्यों पेश नहीं कर पाए कि उन्होंने यह ‘डिसैंट नोट’ दिया था। कैबिनेट से लेकर कानून जब दोनों संसद में आए तो उनके बीच का समय देखा जाए, इस समय दौरान हरसिमरत कौर बादल और अकाली सरकार कानून के हक में प्रचार कर रहे थे। यदि उन्होंने विरोध किया था तो आम लोगों में कानून के हक में प्रचार कैसे कर रहे थे? यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए कि अगर कैबिनेट में उन्होंने विरोध किया था तो पब्लिक में आकर क्यों किया था प्रचार?

पंजाब में भाजपा चुनावी मैदान में 2022 की लड़ाई लड़ रही है या फिर 2027 की तैयारी कर रही है?

भारतीय जनता पार्टी केवल चुनाव लड़ने या फिर सत्ता में आने के लिए चुनाव नहीं लड़ती है। केवल 2022 में सरकार बनाने के लिए यह लड़ाई नहीं है। हम 2022 से लेकर आने वाले समय दौरान पंजाब के विकास और पंजाब की देश के महत्तता को लेकर ही चुनाव लड़ रहे हैं।

अगर पंजाब में भाजपा को बहुमत नहीं मिलता है तो चुनावों के बाद भाजपा किसी पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई जाएगी?

प्रश्न ही नहीं उठता है कि हम पंजाब में कामयाब नहीं होंगे। कम से कम आज तो यह सवाल खड़ा नहीं होता है। हम पंजाब में जरूर सफल होंगे और हम सरकार बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिस तरीके से पंजाब की जनता का समर्थन मिल रहा है, उससे लगता है कि पंजाब में भाजपा की सरकार बनेगी।

क्या भाजपा के उम्मीदवारों की सीटों पर ही केन्द्रीय नेता प्रचार करेंगे या फिर गठबंधन की सीटों पर भी जाएंगे?

अमित शाह जी जल्द ही पटियाला और लहरागागा में प्रचार करने के लिए जाएंगे और इस संबंधी तैयारी भी चल रही है। अमित शाह के अलावा जेपी नड्ढा जी, पियूष जी, स्मृति रानी जी, नीतिन गडकरी जी, मनोहर लाल खट्टर जी, जय राम ठाकुर जी और अनुराग जी उन सीटों पर प्रचार करेंगे, जिन सीटों पर उम्मीदवारों की ओर से डिमांड की जा रही है। यह सभी दिग्गज नेता जल्द ही पंजाब चुनाव प्रचार में दिखाई देंगे।

पंजाब में किसानों के गुस्से का सामना अब भी करना पड़ रहा है, कैसे मनाओगे उनको?

पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में आज कल में शायद ही एक दो जगहों पर ही विरोध की बात सामने आई होगी, लेकिन इसे कृषि कानूनों के साथ जोड़कर दिखाना गलत है, क्योंकि उम्मीदवार के खुद का भी विरोध हो सकता है और आम तौर पर पार्टी की जगह पर किन्हीं कारणों के चलते उम्मीदवार का विरोध हो जाता है। पंजाब में कृषि कानून को लेकर किसानों में कोई भी नाराजगी या फिर गुस्सा नहीं है।

700 के करीब किसानों की मौत को लेकर कोई मुआवजा देने पर आपका क्या विचार है?

इस मामले में लगभग फैसला हो गया है लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते आखिरी निर्णय जनता के सामने नहीं आ पाया है। चुनाव आयोग की ओर से मुआवजा देने संबंधी स्वीकृति मांगी गई थी लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से इस संबंधी स्वीकृति नहीं दी गई है। इसलिए मुआवजा दिया जाएगा या फिर कितना दिया जाएगा, इस संबंधी अभी कोई ऐलान नहीं किया जा सकता है लेकिन इस संबंधी लगभग निर्णय और फॉर्मूला तय हो गया है।

भाजपा चुनावों में पिछली सरकार को लेकर घेरती है, लेकिन अमरेन्द्र सिंह उनके साथ बैठे होते हैं, क्या इससे भाजपा के लिए परेशानी नहीं खड़ी हो गई है?

सरकार कभी भी एक व्यक्ति की नहीं होती है, सरकार हमेशा ही सामूहिक होती है। पार्टी विचारधारा के साथ भी सरकार चलती है। यह पंजाब और देश भी मानता है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के लिए पंजाब और देश की सुरक्षा पहले जरूरी है, क्योंकि वह आर्मी में भी तैनात रहे हैं और उनके लिए देश की सुरक्षा सबसे पहले है। भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा भी यही है कि देश पहले, पार्टी और सरकार बाद में होती है। इसलिए कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के साथ उनका अच्छा साथ है। अमरेन्द्र सिंह को गलत ठहराना ठीक नहीं है, क्योंकि सरकार में सभी कैबिनेट मंत्री भागीदार होते हैं।

पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में आज कल में शायद ही एक दो जगहों पर ही विरोध की बात सामने आई होगी, लेकिन इसे कृषि कानूनों के साथ जोड़कर दिखाना गलत है, क्योंकि उम्मीदवार के खुद का भी विरोध हो सकता है और आम तौर पर पार्टी की जगह पर किन्हीं कारणों के चलते उम्मीदवार का विरोध हो जाता है। पंजाब में कृषि कानून को लेकर किसानों में कोई भी नाराजगी या फिर गुस्सा नहीं है।

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