फरलो पूज्य गुरु जी का कानूनी अधिकार, होंगे सभी केसों में बाइज्जत बरी

Furlough sachkahoon

विशेष साक्षात्कार में बोले एडवोकेट हरीश छाबड़ा

  • डेरा विरोधी ताकतों से सचेत रहे साध-संगत: डेरा प्रवक्ता

सरसा। वीरवार को पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के केसों से संबंधित एक याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सुनवाई कर निर्णय दिया था कि पूज्य गुरु जी के केसेज हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं आते, और फरलो (Furlough) उनका अधिकार है। इस विषय में सच कहूँ संवाददाता रविन्द्र रियाज ने डेरा सच्चा सौदा के प्रवक्ता एडवोकेट जितेन्द्र खुराना इन्सां व एडवोकेट हरीश छाबड़ा इन्सां से विशेष बातचीत की। आप भी जानिए कि उन्होंने क्या कहा।

सवाल : फरलो को लेकर क्या मुद्दा उठाया गया?

जवाब : जेल मैन्युअल में सुधार प्रक्रिया के तहत प्रोविजन दी हुई है कि जो लंबी सजा काट रहे हैैं उनको एक निर्धारित अवधि के दौरान, अगर जेल में उनका अच्छा बर्ताव रहता है तो उनको आबोहवा बदलने और परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए कुछ दिनों की छुट्टी पर भेजा जाए। इसके लिए कोई रीजन देने की जरूरत नहीं होती। सिर्फ एक ही आधार है कि उनका जेल में अच्छा आचरण होना चाहिए।

सामान्य कैदियों के लिए ये तीन साल की अवधि है, यानि तीन साल तक उन्हें अच्छा आचरण दिखाना पड़ता है, उसके बाद उन्हें छुट्टी मिलती है। जो गंभीर मामले होते हैं, जिनके बारे में एक्ट में परिभाषा दी हुई, अगर उनमें आते हैं तो उनके लिए पाँच साल की अवधि तक अच्छा आचरण निर्धारित किया हुआ है। यानि पाँच साल की सजा के बाद उनको फरलो (Furlough) दी जाएगी। पहली फरलो 21 दिन की होती है और अगले साल से ये 14 दिन की होती है। तो क्योंकि गुरु जी का आचरण जेल में बहुत अच्छा रहा है, जो शर्तें थी, वो पूरी कर चुके थे, उन्होंने अर्जी लगाई। उसके बारे में जेल प्रशासन ने एडवोकेट जनरल ऑफिस से ओपिनियन लिया कि क्या गुरु जी हार्ड कोर में आते हैं या नहीं।

एडवोकेट जनरल ऑफिस ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं की जांच की, नियमों की जांच की और ये निर्णय दिया कि गुरू जी हार्ड कोर में नहीं आते। इसलिए तीन साल के बाद उनका अधिकार बन जाता है कि उन्हें फरलो (Furlough) पर छुट्टी मिले। तो उसको सरकार ने स्वीकार किया, जो कानूनी है। जहां तक सवाल है इस याचिका का, जो परमजीत सिंह सहोली ने डाली तो उनका कोई लोकहित ही नहीं था और ये साफ दिखाई देता है कि मोटिवेटिड पिटीशंस हैं, जो पहले भी गुरु जी के खिलाफ, डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ जो डेरा विरोधी ताकतें हैं, जो गुरु जी की खिलाफत करते हैं वो डालते रहते हैं।

तो इसका भी निर्णय पहले वाली याचिका की तरह ही हुआ। माननीय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के निर्णय को सही ठहराया कि गुरु जी को जो फरलो (Furlough) मिली है वो कानून के नियमों के तहत मिली है और जो इन्होंने आधार दिया था, कि इनको जो फरलो मिली है, वो मेरा इलेक्शन प्रभावित करेगी। तो कोर्ट ने विशेषकर पूछा कि उन्होंने फरलो के दौरान रहना गुड़गांव में है, गतिविधियां उनकी चैक हो रही हैं, पुलिस प्रशासन चैक कर रहा है, परिवार के अलावा वो किसी से मिल नहीं सकते, तो आप बताइए कि किस तरह से आपका इलेक्शन प्रभावित होगा।

जिस पर वो अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाए। तो अदालत ने उनके आधार को गलत मानते हुए ये तय किया कि जो फरलो मिली है, वो बिल्कुल वाजिब है और गुरु जी का अधिकार है। और जो परमजीत सिंह सहोली का आधार है वो मान्य नहीं है।

गुरु जी के आने पर कुछ कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाते हैं, इसको लेकर क्या कहेंगे?

जवाब : कानून व्यवस्था की जो ड्यूटी होती है, वो राज्य सरकार की होती है। राज्य सरकार में एक तानाबाना बना हुआ है। जहां छुट्टी व्यतीत करनी है, वहां के स्थानीय प्रशासन से, पुलिस प्रशासन से रिपोर्ट मांगी जाती है और उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही पेरोल या फरलो मंजूर की जाती है। और पुलिस प्रशासन ने कभी भी ऐसी आशंका नहीं जताई कि गुरु जी के आने से कानून व्यवस्था की दिक्कत पैदा हो सकती है। पहले भी गुरू जी मेडिकल ग्रांउड पर, माता जी के इलाज के लिए एक-एक दिन की पैरोल पर जाते रहे हैं, आते रहे हैं।

कोई कानून व्यवस्था की कोई दिक्कत नहीं बनी। ये तो जो डेरा विरोधी ताकतें हैं, जो गुरु जी के केसों को प्रभावित करना चाहते हैं, इन लोगों ने कुछ यूटूबर्स को इस्तेमाल करके, छोटे मीडिया हाउसिस, जिनकी प्रैक्टिस नियमों के अनुसार नहीं है, उनको इस्तेमाल करके अफवाहें फैलाते हैं। सिर्फ और सिर्फ जो सक्षम अधिकारी होता है, उनकी सोच दूषित करने के लिए, कि ताकि गुरु जी का जो अधिकार है, जो कानूनी अधिकार है उसको प्रभावित किया जा सके। लेकिन कानून अपना काम करता है। तो कानून ने हर तरफ से देखा, गुरु जी अधिकारी थे तो उन्हें फरलो (Furlough) मिली और आगे भी मिलेगी।

फरलो क्या होती है?

जवाब : जिनको लंबी कैद होती है, कानून में लिखा है चार साल से ऊपर की कैद वाले। चार साल से नीचे की जिसको कैद होती है उसको फरलो (Furlough) या पैरोल नहीं मिलती। जिसको इससे ज्यादा की सजा मिलती है तो एक अवधि निश्चित किया हुआ है कि अगर इस अवधि के दौरान उनका जेल में आचरण बहुत अच्छा रहता है और अधिकारी ये लिखकर देते हैं कि उनका आचरण बहुत अच्छा है तो उन्हें परिवार से मिलने के लिए, समाज से मिलने के लिए, ताकि वो समाज के बीच में रहना सीखें फिर से।

ताकि जब वो सजा काट के आएंगे तो उसी समाज में स्थापित होना है, तो उन्हें छुट्टी पर भेजा जाता है, एक नीति के तहत। इसके कानून के अनुसार नियम बने हुए हैं, उसके अनुसार उनको छुट्टी पर भेजा जाता है और इसके लिए किसी तरह के कारण की जरूरत नहीं होती। पैरोल के लिए कारण बताना पड़ता है, पैरोल के लिए विशेष कारण लिखे हुए हैं, खेती के लिए पैरोल मिलती है, मकान मरम्मत करवाने के लिए पैरोल मिलती है, बच्चों के एडमिशन के लिए पैरोल मिलती है और सक्षम अधिकारी को कोई भी पर्याप्त कारण बताया जाए तो भी पैरोल मिलती है।

सवाल: डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु उम्मीद लगा रहे हैं कि उन्हें जल्द पूज्य गुरु जी के दर्शन होंगे, इसको लेकर क्या कहेंगे?

जवाब : पूज्य गुरु जी पैरोल और फरलो (Furlough) के अधिकारी हैं, और हमें पूरी उम्मीद है कि उन्हें नियमित पैरोल और छुट्टी मिलती रहेगी।

सवाल : कुछ लोग पूज्य गुरु जी के कानून के सम्मान को लेकर सवाल उठा रहे थे, क्या कहेंगे?

जवाब : ऐसे लोग पूज्य गुरु जी और डेरा सच्चा सौदा की इमेज को खराब करने के लिए ऐसा बोलते हैं और बार-बार करवाया जाता है। ये एक षड्यंत्र के तहत, ट्रोलिंग के तहत करवाया जाता है कि गुरु जी की इमेज खराब हो सके। आप रिकॉर्ड निकलवाइए, रिकॉर्ड को समयबद्ध कीजिए, जांच कीजिए, एक भी तारीख ऐसी नहीं है, जिसमें गुरू जी कोर्ट में हाजिर न हुए हों।

गुरु जी से ज्यादा कोर्ट का सम्मान कोई भी नहीं करता। गुरु जी कोर्ट के हर आदेश की पालना करते हैं। और जो पूज्य गुरु जी की छवि खराब करने की छोटी हरकतें करते हैं, उनका किसी तरह से कानूनी कार्रवाई पर असर नहीं पड़ेगा। उनकी कोशिश सदा असफल रही है, ये बात पूज्य गुरु जी के अनुयायी भी जानते हैं, आप भी जानते हैं और हर व्यक्ति जानता है।

सवाल : संगत के बीच कई साल उठते हैं कि पूज्य गुरु जी के जो और मामले चल रहे हैं, उनकी क्या कार्रवाई चल रही है?

जवाब : कानूनी प्रक्रिया चल रही है। पूज्य गुरु जी पर लगाए गए एक-एक इल्जाम पूरी तरह झूठे हैं, ये सारी दुनिया जानती है। अगर आप फैक्ट्स पढ़ें, जो भी तथ्य पढ़ेगा उन्हें पता चलेगा कि किस तरह से झूठी गवाहियां बनाकर पूज्य गुरु जी को फंसाया जा रहा है। मैंने पहले भी सच कहूँ के माध्यम से अपील की थी कि आप उन अपीलों का आधार पढ़िए। तीनों केसों में की गई अपीलों के आधार पढ़िए। अपनी आत्मा से पूछिए कि क्या पूज्य गुरु जी को झूठा नहीं फंसाया गया। उनके तथ्य आपको खुद-ब-खुद बोलेंगे कि यह अन्याय हुआ है और हमें पूरी उम्मीद है कि हाईकोर्ट में की हुई अपील में हमारी सुनवाई होगी और पूज्य गुरु जी बिल्कुल निर्दोष साबित होंगे।

डेरा सच्चा सौदा के प्रवक्ता एडवोकेट जितेन्द्र खुराना

सवाल: जैसा कि एडवोकेट हरीश छाबड़ा ने बताया कि पूज्य गुरु जी की छवि खराब करने के लिए बेतुकी याचिकाएं डाली जा रही हैं, डेरा इस मामले पर क्या राय रखता है।

जवाब : पूज्य गुरु जी ने हमेशा कानून की पालना की है, कानून की सम्मान किया है और आज भी वो कानून का सम्मान करते हैं। और उन्हें जो ये 21 दिन की फरलो (Furlough) दी गई थी, ये कानूनी प्रक्रिया थी, कानूनी प्रक्रिया के तहत ही उन्होंने एप्लीकेशन लगाई, कानूनी प्रक्रिया के तहत ही उन्हें वो फरलो मिली और जो भी प्रशासन ने, उसमें नियम व शर्तें लगाई थी , फरलों के दौरान आपने इन नियमों का पालन करना है, तो उस फरलो की अवधि 21 दिन को पूज्य गुरु जी ने गुरुग्राम नामचर्चाघर में नियमों की पूर्णत: पालना करते हुए पूरा किया और 21 दिन की फरलो के बाद वो चले गए। तो ऐसा तो सवाल ही नहीं उठता कि पूज्य गुरु जी कानून का सम्मान नहीं करते। पूज्य गुरु जी हमेशा से कानून का सम्मान करते थे, करते हैं और करते रहेंगे।

सवाल : जैसा कि फरलो और पैरोल पूज्य गुरु जी का कानूनी अधिकार है। अब साध-संगत उनके दर्शनों के लिए इंतजार कर रही है, डेरा सच्चा सौदा इसको लेकर क्या कहेगा?

जवाब : फरलो को लेकर हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की कि फरलो (Furlough) उनका मानवीय अधिकार है और हम डेरा सच्चा सौदा की सारी साध-संगत और समस्त समाज माननीय हाईकोर्ट के इस आदेश का सम्मान करते हैं और हमें माननीय हाईकोर्ट पर पूरा भरोसा है कि हमें आगे भी ऐसे ही न्याय मिलेगा। बाकी के जो हमारे तीन मामले हैं, उनकी अपील भी हाईकोर्ट में डाली हुई हैं, उसमें भी पूज्य गुरु जी पूर्णत: निर्दोष हैं।

क्योंकि ऐसा नहीं होता कि निचली अदालत ने जो फैसला कर दिया वो अटल है। उसके बाद हाईकोर्ट है, सुप्रीम कोर्ट है। पहले भी देखा गया है कि निचली अदालतों के फैसले अनेक बार गलत भी साबित हुए हैं। हमें माननीय हाईकोर्ट पर पूर्णत: भरोसा है कि जल्द ही कानूनी प्रक्रिया को पूरा करते हुए पूज्य गुरु जी उन केसों में भी बाइज्जत बरी होंगे।

सवाल : साध-संगत में कई बार अर्नगल, अप्रमाणित चीजें चली जाती हैं, उसके बारे में क्या कहेंगे?

जवाब : मैं समस्त समाज और डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत को इतना ही कहना चाहूँगा कि डेरा सच्चा सौदा के जो ऑफिशियल साइट्स हैं, उन पर ही आपको जो जानकारी दी जाती है आपने उसी को सत्य मानना है। अफवाहें तो कोई भी कुछ फैला सकता है। साध-संगत अफवाहों पर ध्यान ना दे, जो भी सही जानकारी होगी, आपको डेरा सच्चा सौदा के ऑफिशियल साइट्स पर मिल जाएगी और आपने उसी पर विश्वास करना है। अफवाहों में साध-संगत बिल्कुल भी ध्यान ना दे।

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