नई दिल्ली (एजेंसी)। दुनिया के कईं देशों में मंकीपॉक्स ने हाहाकार मचा रखा है। इस बीच भारत में भी मंकीपॉक्स के मामले आ रहे हैं। आज देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स पहला मामला सामने आया है। इससे पहले केरल में तीन मामले आ चुके हैं। ये तीनों ही मरीज यूएई से लौटे थे। आपको बता दें कि दिल्ली में मिला पहला मरीज मौलाना मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरीजा की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।
इटली में मंकीपॉक्स से प्रभावित होने वालों की संख्या 400 के पार पहुंची
इटली में मंकीपॉक्स के 400 से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है। इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय के रोकथाम महानिदेशक जियानी रेजा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंकीपॉक्स के प्रकोप को लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के बाद यह जानकारी दी। रेजा ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इटली में अब तक 407 मंकीपॉक्स के मामले दर्ज किए हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है।
क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने शनिवार को घोषणा की कि मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है और एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का प्रतिनिधित्व करता है। घेब्रेयसस ने जोर देकर कहा कि मौजूदा समय में मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है और एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है। उन्होंने कहा, “फिलहाल यह एक ऐसा प्रकोप है, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में केंद्रित है।” उन्होंने इस संक्रमण से प्रभावित देशों से मिलकर काम करने, जागरूकता अभियान चलाने और भेदभाव के खिलाफ चेतावनी जारी करने का आह्वान किया।
आखिर है क्या मंकीपॉक्स?
- मंकीपॉक्स एक वायरल बुखार है।
 - ये अफ्रीका में देखा गया है।
 - पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग देशों से जैसे सिंगापुर, यूके और अमेरिका से भी कुछ केस रिपोर्ट किए गए हैं।
 - इसलिए लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर कई सवाल हैं।
 - मंकीपॉक्स के लक्षण स्मॉलपॉक्स जैसे होते हैं।
 - पर ये उतना भीषण बुखार नहीं है।
 - 1950 में ये बीमारी अफ्रीका में रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बंदरों में पाई गई थी। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ गया।
 
लक्षण
- पेशेंट को बुखार आता है।
 - बदन में दर्द होता है।
 - सिर में दर्द होता है।
 - मांसपेशियों में दर्द होता है।
 - ये लक्षण आने के 3-4 दिन बाद शरीर पर रैशेज पड़ जाते हैं।
 - ये बाद में फफूंद की तरह बन जाते हैं।
 - देखने में ये बड़ा भयंकर लगता है।
 - पूरे शरीर में फफोले बन जाते हैं।
 - ये फफोले 8-10 दिन तक अलग-अलग स्टेज से होते हुए झड़ जाते हैं।
 - 4 हफ़्ते लगते हैं पेशेंट को ठीक होने में।
 - ये बीमारी 100 में से 10 लोगों में भयानक रूप ले लेती है।
 - मौत भी हो सकती है।
 - पर ये बहुत रेयर बीमारी है।
 - इससे डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इससे होने वाला संक्रमण बहुत सरल है।
 
कारण
- अगर कोई इंसान ऐसे जानवर के संपर्क आए जिसे मंकीपॉक्स है, तो उसे ये बीमारी हो सकती होे।
 - अगर कोई ऐसा जानवर काट ले जिसे मंकीपॉक्स है तो भी ये बीमारी हो सकती है।
 - अगर मंकीपॉक्स से ग्रसित कोई पेशेंट किसी और इंसान के संपर्क में आता है।
 - जिसमें आपस में स्किन कॉन्टैक्ट होता है, उसके कारण संक्रमण होता है।
 - मतलब इसका संक्रमण लिमिटेड है।
 - ये कोविड जैसी बीमारियों के मुकाबले कम फैलता है और इसके संक्रमण का तरीका भी अलग है।
 
मंकीपॉक्स का इलाज बिल्कुल आसान
- इसका इलाज बाकी वायरल बीमारियों के तरह किया जाता है।
 - पैरासिटामॉल की गोलियां दी जाती हैं ताकि बुखार न आए।
 - शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा रहे, रेस्ट मिले
 - इस बीमारी को ठीक होने में 3-4 हफ़्ते लगते हैं।
 - इस बीमारी का मृत्युदर कम है।
 - मंकीपॉक्स से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिसको लगाने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
 - हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।
 - ये बीमारी अफ्रीका के देशों में फैली है। वहां से आने वाले लोगों के संपर्क में आने से हो सकती है। हालांकि एयरपोर्ट पर जांच की जाती है।
 - इस बीमारी के लक्षण 3-4 दिन के अंदर दिख जाते हैं। इसलिए पेशेंट को आराम से पहचाना जा सकता है और आइसोलेट किया जा सकता है।
 - इस तरह से इसको फैलने से रोका जा सकता है।
 - घबराने की जरूरत नहीं है, चौकन्ना रहने की जरूरत है।
 - अगर कोई भी इंसान इन देशों में सफर करता है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करे, वैक्सीन ले।
 - इन देशों से कोई आ रहा है और उस इंसान में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो उससे दूर रहें।
 
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