कुरुक्षेत्र सच कहूँ/देवीलाल बारना। Haryana News: हरियाणा एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (हमेटी) द्वारा 10वीं पास युवाओं को डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विसेज फॉर इनपुट डीलर (डेसी) कराया जाएगा। इसके तहत 48 सप्ताह के सफलतापूर्वक प्रशिक्षण करने के बाद हमेटी की तरफ से डिप्लोमा दिया जाएगा। इसके लिए सप्ताह में एक दिन क्लास लगेगी। इस डिप्लोमा के आधार पर भारत के किसी भी राज्य में बीज खाद व दवाई बेचने का लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. प्रदीप मील ने जानकारी देते हुए बताया कि यह लाइसेंस कृषि विभाग के जिला उप कृषि निदेशक द्वारा दिया जाएगा।
- सप्ताह में एक दिन कक्षा में दिया जाएगा प्रशिक्षण
- 48 सप्ताह के कोर्स के बाद मिलेगा एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विसेज फॉर इनपुट डीलर का डिप्लोमा
इस डिप्लोमा की फीस 20 हजार रुपए है। अब तक केवल उन्हीं व्यक्तियों का डिप्लोमा कराया जाता था, जो लोग व पहले ही इस व्यवसाय को कर रहे हैं। और उनके पास लाइसेंस हैं। पहले खाद, बीज व दवाई की डीलर के लाइसेंस के लिए डिप्लोमा की कोई शर्त नहीं थी। कुछ साल पहले भारत सरकार ने खाद, बीज व दवाई के डीलर्स के लिए ये डिप्लोमा अनिवार्य कर दिया था। इस डिप्लोमा का उद्देश्य किसानों को अधिक से अधिक नवीनतम कृषि संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाना है। ये कदम किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से उठाया गया है। किसान अपने खेत के लिए बीज, उर्वरक और कीटनाशक बीज, कीटनाशक और उर्वरक की दुकान से खरीदता है। ऐसे में जरूरी है कि इस संबंध में उन्हें बुनियादी ज्ञान हो। Haryana News
विक्रेताओं को कीटनाशक दवाइयोंं का मिलेगा ज्ञान
डॉ. मील ने कहा कि अगर डीलरों को इस प्रकार का पाठ्यक्रम प्रदान किया जाता है तो वे बुनियादी ज्ञान को किसानों के साथ सांझा कर सकेंगे। किसानों को सही किस्म और बुनियादी ज्ञान मिलेगा और तकनीक किसान के दरवाजे तक जाएगी। साथ ही बाजार में नकली खाद-बीज की समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल जाएगा। विक्रेताओं को फसल में लगने वाले रोगों के बारे में जानकारी होगी। इससे उनका सही उपचार होगा। डिप्लोमा के बिना लाइसेंस नहीं बनेगा। इसके लिए व्यापारियों को डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विस फॉर इनपुट डीलर डिप्लोमा करना होगा। इसके बाद ही नए व पुराने लाइसेंस रिन्यू हो पाएंगे।