Barnawa: भीषण गर्मी भी नहीं रोक पाई राम-नाम की दीवानगी, बड़ी तादाद में पहुंची साध-संगत

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Barnawa: भीषण गर्मी भी नहीं रोक पाई राम-नाम की दीवानगी, बड़ी तादाद में पहुंची साध-संगत छाया: सुशील कुमार

Barnawa: बरनावा, रकम सिंह। एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केंद्र शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा जिला बागपत (यूपी) में रविवार को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की साध-संगत ने पावन एमएसजी सत्संग भंडारा धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया। पावन एमएसजी सत्संग भंडारे की खुशी में आयोजित नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम में चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी की परवाह किए बगैर दोनों राज्यों के भिन्न-भिन्न जिलों से बड़ी तादाद में साध-संगत राम-नाम रूपी ठंडी फुहारे लेने पहुंची और गुरुयश गाकर पावन माह की खुशियां मनाई। सुबह से ही साध संगत का आश्रम में आना प्रारंभ हो गया था और कार्यक्रम की समाप्ति तक यह सिलसिला निरंतर जारी रहा।

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नामचर्चा सत्संग के दौरान पूज्य गुरु जी द्वारा 29 अप्रैल को डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना दिवस पर भेजा गया 19वां रूहानी पत्र (चिट्ठी) साध-संगत को पढ़कर सुनाया गया। जिसे सुनकर साध-संगत भाव-विभोर हो गई। सुबह 11 बजे पवित्र नारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा के साथ समस्त साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पवित्र भंडारे की बधाई के साथ नामचर्चा सत्संग का आगाज किया। कविराजों ने भक्तिमय भजनों से सतगुरु की महिमा का गुणगान किया। बाद में सत्संग पंडाल में लगाई गई बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनों द्वारा साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को एकाग्रचित होकर श्रवण किया। नामचर्चा सत्संग की समाप्ति पर स्थानीय साध-संगत की ओर से क्लॉथ बैंक मुहिम के तहत 76 जरूरतमंद बच्चों को कपड़े वितरित किए गए। Barnawa

पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को संबोधित करते हुए फरमाया कि समय हमेशा से कीमती रहा है। किसी को इसका बचपन में अहसास हो जाता है, वो बहुत ही भाग्यशाली है। कोई जवानी में अहसास कर लेता है, वो भी भाग्यशाली है। कोई अधेड़ अवस्था में आकर अहसास कर लेता है, वो भी अच्छा है। कोई बुर्जुग अवस्था में जाकर अहसास करता है तो ना से तो वो भी अच्छा है। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि समय ऐसी अनमोल वस्तु है जो अगर निकल गई तो वो वापिस नहीं आती। पूज्य गुरु जी फरमाया कि आप तारीख की बात करते है कि यह दोबारा नहीं आती। तारीख को तो छोड़िए जो पल निकल जाता है वो भी दोबारा नहीं आता। आज की तारीख, आज का दिन, आज का सन और आज का यह पल, ये जब गुजर गया तो फिर कभी नहीं आएगा। Barnawa

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समय कभी भी किसी के लिए ना तो कभी रुका था, ना रुका है और ना ही कभी रूकेगा। यह तो चलता रहता है। टाइम एक ऐसी चीज है अगर यह रूक गया तो सब कुछ रुक जाएगा। पर मनुष्य एक ऐसा जीव है तो इस टाइम के साथ चल सकता है। चल तो और भी सकते है, लेकिन उनको इतनी अकल ही नहीं होती कि वो समय के साथ चल सके। समय के अनुसार चलना बेहद जरूरी है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि पीर-फकीर समय के अनुसार अपनी बातों में थोड़ा-थोड़ा चेंज करते रहते है। लेकिन हम आपसे आह्वान करते है कि आप गंदगी कभी ना देखे। अच्छी चीज देखो। अगर सीखना है तो इन्हीं डिवाइस पर बहुत कुछ अच्छा सिखा जा सकता है। Barnawa

इसलिए मनाया जाता है एमएसजी सत्संग भंडारा | Barnawa

जिक्रयोग है कि डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की और मई महीने में पहला सत्संग फरमाया था। इसलिए मई महीने को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत एमएसजी सत्संग भंडारे माह के रूप में मनाती है और रविवार को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की साध-संगत ने इसे एमएसजी सत्संग भंडारे के रूप में मनाया है।

डॉक्यूमेंट्री से पक्षियों के लिए चोगा-पानी का प्रबंध करने की दी शिक्षा

डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पवित्र शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानवता भलाई के 163 कार्य कर रही है। इन्हीं कार्यों में 37वें कार्य के रूप में शामिल पक्षियों उद्धार मुहिम यानी पक्षियों के लिए घरों की छतों पर दाना (चोगा) व पानी की व्यवस्था करना से संबंधित एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से आमजन को गर्मी के मौसम में बेजुबान पक्षियों के लिए चोगा-पानी की व्यवस्था करने के लिए प्रेरित किया गया।

सॉन्ग से दिया नशा छोड़ने का संदेश

नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम के दौरान पंडाल में लगाई गई एलईडी स्क्रीनों पर युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक करने के लिए पूज्य गुरु जी द्वारा नशों से दूर रहने के लिए प्रेरित करते गाए गए सॉन्ग मेरे देश की जवानी और आशीर्वाद मांओं को चलाया गया। सॉन्ग के माध्यम से नशे में बर्बाद होते युवाओं को राम-नाम का जाप कर नशा छोड़ने का सशक्त संदेश दिया गया। इसके अलावा इन भजनों पर साध-संगत ने नाचगाकर जमकर खुशियां मनाई। इन शब्दों को सुनकर हजारों युवा नशों से तौबा कर चुके है।