Monkey Animal Facts: अनु सैनी। “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद!” ये कहावत आपने कई बार सुनी होगी—कभी किसी नासमझ इंसान के लिए तो कभी किसी नालायक उत्तराधिकारी के लिए। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये कहावत बनी क्यों? क्या वाकई बंदर को अदरक का स्वाद नहीं आता, या फिर इसके पीछे कोई गहरी वैज्ञानिक वजह है? आइए जानें इस दिलचस्प विषय पर पूरी कहानी—मसालेदार फैक्ट् के साथ।
1. कहावत की जड़ें: बंदर और अदरक की अनबन | Monkey Animal Facts
यह कहावत भारतीय लोकजीवन में गहराई से रची-बसी है। जब कोई अनमोल चीज किसी ऐसे के हाथ लग जाए जिसे उसकी कद्र न हो, तब कहा जाता है: “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।” पर क्या सच में बंदर को अदरक पसंद नहीं या वो उसका महत्व नहीं समझ सकता?
2. स्वाद की समझ: इंसान और बंदर में बड़ा फर्क
इंसान के जीभ पर लगभग 10,000 स्वाद कलिकाएँ होती हैं जो मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा और तीखा स्वाद पहचानती हैं। वहीं बंदर की स्वाद कलिकाएँ इतनी विकसित नहीं होतीं, खासकर तीखे स्वाद के लिए। अदरक में मौजूद “जिंजरोल” नामक कंपाउंड उसे तीखा और गर्म बनाता है। यह कंपाउंड इंसान के मस्तिष्क में ‘स्पाइसी’ अलर्ट भेजता है, जबकि बंदर के सिस्टम में इसकी पहचान इतनी तेज नहीं होती।
3. तीखा स्वाद: चेतावनी या पसंद? Monkey Animal Facts
इंसान ने अदरक को भोजन का हिस्सा बनाकर उसके औषधीय गुणों को सराहा है। अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीआॅक्सीडेंट और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है। मगर जानवर, खासकर बंदर, अक्सर तीखी या कड़वी चीजों को खतरे की घंटी समझते हैं। उनके दिमाग में ये संदेश जाता है कि यह चीज नुकसानदायक हो सकती है—इसलिए वे उससे दूर रहते हैं।
4. प्रयोग बताते हैं: बंदर और अदरक की दूरी
कुछ वैज्ञानिक प्रयोगों में यह देखा गया है कि जब बंदरों को विभिन्न फलों और सब्जियों के साथ अदरक दी गई, तो उन्होंने अदरक को या तो सूंघकर छोड़ दिया या बिल्कुल नहीं खाया। इससे साफ होता है कि या तो उन्हें उसका स्वाद पसंद नहीं आया, या फिर उन्होंने इसे खतरनाक समझा।
5. सिर्फ स्वाद ही नहीं, गंध भी बड़ी वजह
अदरक की तीखी गंध भी बंदरों को अप्रिय लग सकती है। उनकी सूंघने की शक्ति काफी तेज होती है और वे गंध के आधार पर खाद्य वस्तुओं को पहचानते हैं। अदरक की तीखी सुगंध उन्हें झटका देती है—इसलिए वे इससे दूरी बनाते हैं।
6. इंसान ने बनाई कला, बंदर ने छोड़ी कड़वाहट
इंसान ने अदरक को मसाले से लेकर दवा तक में इस्तेमाल कर इसे अमूल्य बना दिया। अदरक वाली चाय से लेकर कढ़ी में उसके तड़के तक—हमने इसके स्वाद को जी-जान से अपनाया। लेकिन बंदर आज भी इसे कड़वी, तीखी और अजीब चीज समझता है।
7. कहावत बनी सच, लेकिन मजेदार अंदाज में | Monkey Animal Facts
कहावत सिर्फ ताना नहीं, बल्कि गहरी समझ का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि हर किसी की समझ और स्वाद अलग-अलग होता है। और जो चीज हमारे लिए अनमोल हो, वो जरूरी नहीं कि दूसरों को भी उतनी ही समझ में आए।
“न स्वाद, न समझ—अदरक से कोसों दूर है बंदर”
बंदर को अदरक का स्वाद नहीं आता—ये सिर्फ कहावत नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी काफी हद तक सही है। बंदर की स्वाद कलिकाएँ, गंध के प्रति प्रतिक्रिया और उसके खाने के पैटर्न अदरक को नकारते हैं। इसलिए अगली बार जब कोई आपकी मेहनत या काबिलियत की कद्र न करे, तो कहिए—”बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद!”—अब आपके पास इसका वैज्ञानिक आधार भी है।
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