रहस्यों से भरा गोलकोंडा किला
वे इतनी जटिल रूप से डिजाइन किए गए थे कि ठंडी हवा किले के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंच सकती थी
कुत्ते जिहा ना कोई वफ़ादार
सुत्ता उठ के कोई नहीं ख़ुश हुंदा बुल्लेया
ते बड़े सुत्ते जगा के वेखिया ए
कुत्ते जिहा कोई नहीं वफ़ादार डिट्ठा
ते टुक्कर सुक्खा वी पा के वेखिआ ए
तोता जदों वी छड्डिए उड्ड जांदा
कईआं चूरिआं पा के वेखिआ ए
डंग मारनों कदे वी सप्प नहीं हटदा
कईआं दूध पिआ ...
अलग-अलग देशों में अभिवादन की अनोखी परंपरा
सच कहूँ डेस्क। अपने प्रियजनों या दोस्तों से मुलाकात होने पर, अजनबियों से मिलने पर, किसी व्यापारिक या व्यावसायिक समारोहों के दौरान लोग अक्सर एक दूसरे से हाथ मिलाकर (हैंडशेकिंग) अभिवादन करते हैं। यह स्वाभाविक रूप से पश्चिमी देशों की प्रथा रही है, और वि...
खुद की पहचान करो
एक बार की बात है, किसी गाँव के पास बहती नदी के किनारे बुद्ध बैठे थे। किनारे पर पत्थरों की भरमार थी, पर छोटी सी वह नदी अपनी तरल धारा के कारण आगे बढ़ती ही जा रही थी। बुद्ध ने विचार किया कि यह छोटी-सी नदी अपनी तरलता के कारण कितनों की प्यास बुझाती है, लेक...
माँ ही है इस संसार में साक्षात परमात्मा
लड़का एक जूते की दुकान पर आता है, गांव का रहने वाला लग रहा था बोलने के लेहजे से लेकिन बोली में ठहराव था उसके। दुकानदार की पहली नजर उसके पैर पर जाती है। उसके पैरों में लेदर के शूज थे, सही से पॉलिश किए हुए।दुकानदार —क्या सेवा करूं? लड़का — मेरी मां के लि...
पछतावे का पुरस्कार
कक्षा में उत्साह और डर का माहौल था। गणित के अध्यापक को परीक्षा लेनी थी। अध्यापक ने सवालों के सही हल करने वाले को पुरस्कार की घोषणा कर दी थी। सवाल थोड़े कठिन थे। इसलिए पुरस्कार को लेकर तो विद्यार्थियों में उत्साह था, लेकिन सवाल हल नहीं हो पाने के कारण ...
लघु कंथा : पिता का प्रेम
रमा जी के घर निर्माण कार्य चल रहा था। भोजन करने के वक्त श्यामू सबसे अलग-थलग बैठा था। क्या बात है श्यामू, आज तूं खाना लेकर नहीं आया? रमा जी ने पूछा। नहीं मालकिन, मेरी घरवाली बीमार चल रही है, इसीलिए मेरी बेटी ही कुछ दिनों से घर का काम देख रही है। रात म...
कविता : राष्ट्र जीवंत
राष्ट्र जीवंत रहे दिल में अरमान है
सब सुरक्षित रहें दिल में अरमान है
देश ही के लिए हों सब अच्छे कर्म
यह हर एक देशवासी की पहचान है।
तुम ग़रीबी मिटाओगे यह वादा करो
मुफ़लिसी को हराओगे वादा करो
एकता तुम दिखाओगे यह वादा करो
हर बुराई तुम मिटाओगे यह ...
कविता : किसान का बेटा हूँ…
किसान का बेटा हूँ ,
खेतों में किस्मत बोता हूँ।
खून पसीने से सींचता हूँ,
कुदरत की मार भी सहता हूँ ।
किसान का बेटा हूँ...
खेतों में अपनी किस्मत खोते देखा हूँ।
कभी सुखाड़ में तो कभी बाढ़ में,
पिता के आँखों मे आँसू देखा हूँ।
किसान का बेटा हूँ...
अ...
वो जलाकर बस्ती…
वो जलाकर बस्ती आशियानें की बात करते हैं,
मिटाकर हाथों की लकीरें मुक्कदर की बात करते हैं।
नादान थे हम चालाकियाँ समझ ही ना पाए,
अपना बनाकर हमें वो गैरों की बात करते हैं।
छुपाते रहें उम्र भर जिनकी गलतियों को हम,
वो महफ़िल में मेरी कमियों की बात...
हुआ उजाला
अंधकार की काली चादर,
धरती पर से सरकी।
हुआ उजाला जग में कोई,
बात नहीं है डर की।
चींची चींचीं चिड़िया बोली,
डाली पर कीकर की।
कामकाज बस शुरू हो गया,
सबने खटर-पटर की।
लाया है अख़बार ख़बर सब,
बाहर की, भीतर की।
घंटी बजी, दूध मिलने में,
दे...
बड़ो की डांट भी दुलार
पापा: ये क्या है। दादाजी ने सारे आॅफिस के सामने आपको डांटा और आप चुपचाप सुनते रहे। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। आप भी कंपनी में सारे कामकाज देखते हैं, क्या हुआ जो गलती से आर्डर इधर-उधर हो गया। आॅफिस में सभी आपका सम्मान करते हैं। ऐसे सबके सामने वो आपक...
संघर्ष भरे जीवन की अजीब दास्तां
‘‘भविष्य की तो कौन जानता है, पर किशोरवय की चंचलता के कारण उन्हें कई बार मां की ही नहीं, पिता की भी डांट खानी पड़ती। मां-पिता भविष्य देखते थे और वे किशोरियां वर्तमान, जिसमें भरे होते सपने-ही-सपने। असत्य तो उन सपनों के बीच समाता ही न था। हर लड़का राजा, ह...
लघुकथा: सब कुछ तुम्हारे हाथ में है!
एक आदमी रेगिस्तान से गुजरते वक्त बुदबुदा रहा था, कितनी बेकार जगह है ये, बिलकुल भी हरियाली नहीं है और हो भी कैसे सकती है। यहां तो पानी का नामो-निशान भी नहीं है। तपती रेत में वो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था। अंत में वो आसमान की...
सुनाओ एक ऐसी कहानी
उनकी दयनीय दशा देखकर मणिपाल ने बुद्धराम की पत्नी से हंसते हुए पूछा-अब बताओ मामी कि तुम्हारी कहानी वाली शर्त पूरी हुई कि नहीं? जो कहानी मैंने चलाई है, वह तुमने कभी सुनी नहीं होगी। इसके शुरू होने के पहले मैं भी इसके बारे में कुछ नहीं जानता था।
माता कभी कुमाता नहीं होती
मां! पता नहीं क्यों, तू हर समय मुझे डांटती रहती है। अब मैं बड़ा हो गया हूं। तेरी प्रताड़ना मुझे अखरती है। हां रे सोहन? मंै तो भूल गयी थी...अच्छा याद दिलाया। अब तो तू बड़ा हो गया है। मैं तो शायद उतनी की उतनी ही हूं । ...तेरे और मेरे में अन्तर जरूर घट गया...
मोह
पिताजी अब नहीं रहे। बस, अस्सी साल की बूढ़ी माँ है। उसे यह घर छोड़ना होगा। हफ्ते भर से बेटा आया हुआ है। माँ को ले जाने से पहले उसे सारा सामान ठिकाने लगाना है, लेकिन कैसे लगाए? जिस अलमारी को खेलों, वहीं पर सामान मुंबई की लोकल ट्रेन की तरह ठुंसा पड़ा है। ब...
कहानी : बाग का माली
लेखक: आंनद बिल्थरे
वैभव ने, बी.एस.सी. की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली थी। वह आगे पढ़ना चाहता था, किंतु वीनू से घर की स्थिति और केशव का टूटता स्वास्थ्य छिपा नहीं था। वीनू, चाहती थी कि वैभव, अब कहीं भी छोटी-मोटी नौकरी कर केशव का हाथ बंटाए। वीनू की...
अकबर इलाहाबादी शायरी
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ 'अकबर'
यही वो दर है कि ज़िल्लत नहीं सवाल के बाद
जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख
हुक्म होता है कि अपना नामा-ए-आमाल देख
अकबर इ...
Studies : पढ़ाई
मार्कशीट और सर्टिफिकेट को फैलाए उसके ढेर के बीच बैठी कुमुद पुरानी बातों को याद करते हुए विचारों में खोई थी। सारी पढ़ाई, मेहनत और खर्च उस दिन उसे व्यर्थ लग रहा था। पागलों की तरह पहला नंबर लाने के लिए रात-दिन मेहनत करती, पहले नंबर की बधाई के साथ मिलने व...
जब राजू सन्नाटे की कब्र फाड़ कर निकला बाहर…
एक प्राथमिक स्कूल में अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं। वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा में आते ही हमेशा ‘आई लव यू आॅल’ बोला करतीं थी। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही। वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थीं। ...
शब्द भेदी बाण कला में निपूर्ण थे पृथ्वीराज चौहान
बहादुर और बुद्धिमान और तेज सैन्य कौशल से दुश्मनों को देते थे मात
नाम पृथ्वीराज चौहान
जन्मतिथि 1149 ईस्वी
जन्म स्थान अजमेर
प्रसिद्धी कारण चौहान वंश के राजपूत राजा
पिता का नाम सोमेश्वर चौहान
माता का नाम कमलादेवी
पत्नी का नाम संयुक्ता
धर्म हिंदू...
गीत: तेरे जैसा दुनियां में इन्सान नहीं
उर्वर भूमि के मालिक उद्यम कृषक सुन।
नींव के सृजक प्रभाकर श्रमिक सुन।
तेरे खून पसीने में तो सूरज है।
सुन्दर कायनात तेरी ही मूर्त है।
रीस तेरी कर सकता भी भगवान नहीं।
तेरे जैसा दुनिया में इन्सान नहीं।
कर्मठता का सारा तन्मय तेरा है।
अम्बर भीतर तेर...
एक ही कामवाली के कई-कई रूप और अनेकानेक व्याख्याएं
मेरी गली में भी कामवालियों को लेकर रोज ही चकल्लस चला करतीं। गली की मेमसाहबें कभी उनकी तारीफें करते न अघातीं तो कभी बुराइयां करते-करते। एक ही कामवाली के कई-कई रूप और अनेकानेक व्याख्याएं। बुराई-भलाई करने का भी एक अलग निंदारस चला करता जैसे कि शेयर बाजार...
प्रेरक प्रसंग: जरूरतमंद को अपनी क्षमता अनुसार शरण दीजिए
एक गरीब आदमी की झोपड़ी, जहां रात को जोरों की वर्षा हो रही थी। सज्जन था, छोटी सी झोपड़ी थी। स्वयं और उसकी पत्नी, दोनों सोए थे। आधी रात किसी ने द्वार पर दस्तक दी। उन सज्जन ने अपनी पत्नी से कहा-उठ! द्वार खोल दे। पत्नी द्वार के करीब सो रही थी। पत्नी ने कहा...