नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज़)। Skin Cancer: एक नवीनतम अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि बीते तीन दशकों में त्वचा कैंसर के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विशेषतः वृद्धजनों में यह बढ़ोतरी अधिक चिंताजनक रही है। यह अध्ययन चीन स्थित चोंगकिंग मेडिकल विश्वविद्यालय के प्रथम संबद्ध अस्पताल के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किया गया है। New Delhi
अनुसंधान में यह पाया गया कि आयु बढ़ने के साथ-साथ जनसंख्या वृद्धि भी त्वचा कैंसर के बढ़ते मामलों का प्रमुख कारण है। साथ ही, उन देशों में जहाँ सामाजिक और जनसांख्यिकीय सूचकांक (एसडीआई) ऊँचा है, वहां इस बीमारी का भार अन्य की तुलना में कहीं अधिक है।
शोधपत्र में यह भी कहा गया है कि वृद्ध पुरुषों और उच्च एसडीआई वाले क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को विशेष रूप से इस रोग का अधिक खतरा है। अतः आवश्यक है कि रोग की रोकथाम और उपचार के लिए योजनाएँ बनाते समय इन्हीं अधिक जोखिम वाले वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। New Delhi
सन् 2021 में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लगभग 44 लाख नए मामलों का विश्लेषण किया गया, जिनमें त्वचा कैंसर के तीन मुख्य प्रकार – मेलेनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा तथा बेसल सेल कार्सिनोमा – सम्मिलित थे। यह आँकड़े ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ 2021’ से लिए गए थे, जो विश्व के 204 देशों और क्षेत्रों को सम्मिलित करता है।
निष्कर्षों के अनुसार, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा – जो त्वचा की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि से उत्पन्न होता है – उसकी घटनाओं में 1990 से 2021 तक प्रति वर्ष लगभग 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी प्रकार, बेसल सेल कार्सिनोमा तथा मेलेनोमा के मामलों में भी तेज वृद्धि देखी गई। वर्ष 2021 में, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में वृद्ध जनसंख्या में मेलेनोमा की दर सर्वाधिक रही। वहीं, पूर्वी एशिया ने बेसल सेल कार्सिनोमा में सर्वाधिक तीव्र बढ़ोतरी का अनुभव किया।
शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि ये परिणाम वैश्विक स्तर पर वृद्ध जनसंख्या के मध्य त्वचा कैंसर की बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती की ओर संकेत करते हैं। इससे यह भी सिद्ध होता है कि रोकथाम की रणनीतियों को उचित दिशा में लक्षित करने और संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की तत्काल आवश्यकता है। New Delhi
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