
पूज्य गुरु जी ने फरमाया, दोनों जहान का ज्ञान देने वाला ही सच्चा गुरु होता है
सरसा (सच कहूँ ब्यूरो)। Dera Sacha Sauda: डेरा सच्चा सौदा में वीरवार को गुरु पूर्णिमा पर्व श्रद्धाभाव से मनाया गया। इस सुअवसर पर शाह सतनाम शाह मस्ताना जी धाम, डेरा सच्चा सौदा सरसा में नामचर्चा सत्संग का आयोजन किया गया। कविराज भाइयों ने भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर समस्त साध-संगत ने ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ नारे के रूप में सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गुरु पूर्णिमा पर्व की बधाई दी। Dera Sacha Sauda
तत्पश्चात पूज्य गुरु जी के पावन वचनों को साध-संगत ने बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से एकाग्रचित होकर श्रवण किया। नामचर्चा सत्संग में सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि सत्संग में जब इन्सान चलकर आता है तो अपने आप में बहुत बड़ी बात है। आज घोर कलियुग का समय है और इस समय में राम-नाम में बैठना बेमिसाल बात है, बहुत बड़ी बात है। भागों वाले, नसीबों वाले ही सत्संग में चलकर आते हैं और सत्संग में संत, पीर-फ़कीर, गुरु क्या बताते हैं, क्या सिखाते हैं? और सत्संग सच्चा कौन सा होता है? पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि गुरु यानि संत, पीर-फ़कीर उस परमपिता परमात्मा की बात सुनाते हैं।
गुरु कौन होता है? कैसे बनता है? गुरु कहा किसे जाता है? ‘गु’ शब्द का मतलब है अंधकार और ‘रु’ का मतलब है प्रकाश यानि गुरु का मतलब जो अज्ञानता रूपी अंधकार में ज्ञान का दीपक जला दे। अब गुरु तो बहुत हैं, माँ गुरु है पहला, पापा हैं, बहन-भाई हैं जिनसे बंदा सीखता है, बहुत सारा ज्ञान लेता है। फिर टीचर, मास्टर, लैक्चरार इसी श्रेणी में आ जाते हैं। लेकिन गुरु शब्द जो पुरातन समय से बना था, उसका मतलब था कि वो दुनियावी ज्ञान भी दे और रूहानी ज्ञान का ख़जाना हो। कैसे आपने जीना है? जीते जी कैसे खुशियां हासिल कर सकते हो? किस तरह से जीवन यापन करना चाहिए? और कैसे मरणोपरांत मोक्ष मिलता है, मुक्ति मिलती है? तो ये बातें जो बता दे, पुरातन समय में उसे ही गुरु कहा जाता था। दोनों जहान का ज्ञान देने वाला ही सच्चा गुरु होता है। Dera Sacha Sauda
बदले में किसी से कुछ ना ले, न धर्म छुड़वाए, न जात मज़हब, न काम-धंधा छुड़वाए। गुरु का काम हर क्षेत्र में रहने वाले के लिए बात बताना होता है। ये नहीं कि आप अपना काम-धंधा छोड़ें, घर गृहस्थ त्याग दें। त्यागना बेइंतहा मुश्किल है, पर जो सच्चा त्याग कर देते हैं। सच्चा त्याग यानि अगर घर-परिवार छोड़ा है तो छोड़ा है। त्यागी हैं, तो हैं। और फिर अपनी ज़िंदगी सारे समाज के लिए, परमपिता परमात्मा के लिए लगाना इसी का नाम त्यागी है, इसी का नाम ब्रह्मचार्य है। ये बड़ा मुश्किल काम है। कहना बड़ा आसान और करना बड़ा मुश्किल है। गुरु का काम चाहे कोई घर-गृहस्थ में रहता है, चाहे कोई त्यागी है, सबका मार्गदर्शन करना है। सबको रास्ता दिखाना है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जैसे अंधकार होता है, आप किसी जगह पर हैं जहां पर आपको पता ही नहीं कि रास्ते किस जगह पर हैं।
अचानक कोई टॉर्च लेकर आ जाए और वो रास्ता दिखा दे तो कितना अच्छा लगता है, कितना सुकून मिलता है, सारी टैंशन चली जाती है। उसी तरह ये संसार एक अंधकार की तरह है जब तक ज्ञान का दीपक कोई जलाएगा नहीं, रास्ता नज़र आएगा नहीं। तो अलग-अलग टीचर, मास्टर, उस्ताद ज्ञान का दीपक जलाते हैं। माँ, खाना-पीना, रहना, बोलना सब सिखाती है। बाप साथ रहता है साये की तरह, रास्ता दिखाता है, पढ़ने-लिखने का इंतजाम करना, बच्चों की रक्षा करना और यही नहीं हर बात बताता है। फिर दूसरे टीचर आ जाते हैं। कोई गेम का आ गया, कोई स्टडी करवाने वाला आ गया, कोई गाना सिखाने वाला आ गया, कोई साज़ सिखाने वाला आ गया। Sirsa News
तो ये गुरु, उस्ताद, मास्टर, टीचर उस श्रेणी में आ गए। पर ज़िंदगी कैसे जी जाए? आपको मिल जाएंगे इसके बहुत सारे टीचर। ये आप कोर्सिस कर लो, ज़िंदगी सफल हो जाएगी, ये करलो, ये हो जाएगा। परमात्मा की भी बात बताने वाले, आपका भविष्य बताने वाले बहुत मिल जाएंगे और बहुत फिसलते देखे हैं हमने। इसका माथा ये कह रहा है, इसका हाथ ये कह रहा है, मेरा तोता ये बोला, उसका तोता वो बोला। मतलब आपकी ज़ेब तक है। आपकी ज़ेब से पैसे निकलें और तोते से जो मर्जी बुलवा लो, सो ये सारा सिस्टम है दुनिया में, उसमें लगी हुई है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि रूहानियत, सूफियत और हमारे धर्मों के अनुसार सच्चा गुरु वो होता है जो धर्म का रास्ता बताए, कर्म का रास्ता बताए, ज्ञान का रास्ता बताए और आत्मा का परमात्मा तक जाने का रास्ता बताए। बदले में किसी से भी कुछ ना ले। गुरु अपनी पदवी पर होता है जैसे सच्चे सौदे की रीत है। तो सार्इं मस्ताना जी महाराज आए तो सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज, और कोई गुरु नहीं। परमपिता शाह सतनाम जी दाता रहबर उस बॉडी में आए तो शाह सतनाम जी दाता रहबर। सच्चे सौदे में कोई दूसरा गुरु नहीं होता। ऐसे ही अब आप ये नहीं कह सकते। अब क्योंकि परमपिता जी ने उस चीज़ को बदल दिया है।
हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे। तो अब आपके सामने जो ये बॉडी, शरीर बैठा है, हम उस रूप में बोलें जिसमें ये शरीर आया, इसका जो नाम रखा गया, तो खाक सार हैं, चौकीदार हैं, वो रहेंगे हमेशा और बोलते भी रहेंगे, क्योंकि तीनों बॉडियों ने बोला है। लेकिन दूसरे शब्दों में बोलें तो शाह सतनाम, शाह मस्तान दाता रहबर और ये मीत के रूप में आपके सामने जो बैठा है। तो आपको पहले भी बोला हम गुरु थे, हैं और हम ही रहेंगे और आगे भी हम हैं। यानि भ्रम का कोई चक्कर ही नहीं है। गुरु महिमा को दर्शाती एक डॉक्यूमेंट्री भी चलाई गई, जिसमें समाज उत्थान में गुरु के महत्व को दर्शाया गया। इस दौरान नशों के खिलाफ अलख जगाते पूज्य गुरु जी के दो भजन ‘जागो दुनिया दे लोको’ और ‘आशीर्वाद मांओ का’ भी चलाए गए। इसके पश्चात आई हुई साध-संगत को पूज्य गुरु जी के वचनानुसार प्रसाद बांटा गया और लंगर-भोजन भी खिलाया गया। Dera Sacha Sauda
यह भी पढ़ें:– गुरु पुर्णिमा को महाराष्ट्र के डेरा श्रद्धालुओं ने ये कार्य कर मनाया, जानकर आप खुश हो जाओगे