जींद (गुलशन चावला)। नरवाना की सब्जी मंडी को समस्याओं की मंडी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी, सब्जी मंडी में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, लाइट रहती नही, पीने के पानी कें लिए कोई उचित व्यवस्था नही है,जिसको लेकर आढ़तियों ने लामबन्द होकर मार्कीट कमेटी मुदार्बाद के नारे लगाए व सब्जी मंडी का नाम बदलकर समस्याओं की मंडी रखने की मांग की। सब्जी मंडी के पूर्व प्रधान चरणजीत छाबड़ा ने कहा कि इतनी गन्दगी है जीना दूभर हो गया है , गन्दगी के ढेर लगने के कारण महामारी फैलने का भय है , पीने के लिए कोई वाटर कूलर नही है, शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है , सीवरेज ठप्प पड़े है अधिकारियों के आगे गुहार लगाकर थक चुके है किसी के सिर पर ज्यु तक नही रेंगती ।

सब्जी मंडी असोसिएशन के सचिव राजेश कुमार ने रोष प्रकट करते हुये कहा कि लाखों रुपये का राजस्व देते है लेकिन सुविधा के नाम पर मार्किट कमेटी विभाग जीरो है । आढ़ती मजबूरी वश पलायन करने पर मजबूर होंगे । सरकार कहती है जल ही जीवन है लेकिन पीने को जल मिलता नही,स्वच्छ भारत का नारा फेल साबित हो रहा है मंडी में । सोच के लिए खुले में जाना पड़ता है , मंडी में महामारी फैलने का भय बना हुआ है ।
मंडी के आढ़ती बंसी ने कहा कि सब्जी मंडी समस्याओं की मंडी न पानी की व्यवस्था, न सीवरेज की व्यवस्था, सरकार नारा देती है जल है तो जीवन है लेकिन जल है ही नहीं। गन्दगी इतनी है खड़े होना भी दुर्भर हो गया है। लाइट का ये आलम है चली गयी तो अगले दिन से पहले नही आएगी । लेकिन सुनने वाला कोई नही है। सब्जी मंडी के आढ़ती दुआ ने कहा कि सरकार नारा देती है स्वच्छ भारत का लेकिन मंडी में सफाई नाम की चीज नही है , गन्दगी का आलम छाया है । शौचालय केवल नाम के लिए बनाए हुए है अधिकारियों से गुहार लगाते हुए कहा कि एक बार आकर मंडी का हाल स्वयं की आंखों से देखे । नही तो सब्जी मंडी का नाम बदलकर समस्याओं की मंडी रख दे या हाईटेक मंडी बना दे।