Kisan News: गाय और भैंस जैसे दुधारू पशुओं का सफल प्रजनन और प्रसव एक सुचारु डेयरी प्रबंधन की रीढ़ है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि डेयरी फार्म पर प्रजनन से संबंधित रिकॉर्ड व्यवस्थित ढंग से संकलित किया जाए, तो गाभिन पशु की अनुमानित प्रसव तिथि का निर्धारण सरल हो जाता है। इससे न केवल समय पर देखभाल संभव होती है, बल्कि प्रसव के दौरान किसी आपात स्थिति से भी बचा जा सकता है।
गर्भकाल की अवधि और देखभाल की शुरूआत | Kisan News
डॉ. सुजॉय खन्ना, विशेषज्ञ विस्तार शिक्षा निदेशालय, लुवास, हिसार बताते हैं कि गाय का गर्भकाल औसतन 270 से 290 दिन होता है, जबकि भैंस का गर्भकाल लगभग 308 से 330 दिनों के बीच होता है। जैसे ही प्रसव की संभावित तिथि करीब आए, यानी लगभग 10 से 15 दिन पूर्व, गर्भवती पशु को अन्य पशुओं से अलग करके साफ, सुरक्षित और हवादार बाड़े में रखा जाना चाहिए।
गर्भनाल न निकले तो अपनाएं ये कारगर मिश्रण
प्रसव के 8 से 12 घंटे बीतने के बाद भी यदि गर्भनाल स्वत: बाहर नहीं आती, तो पशु को ‘अरगट’ नामक आयुर्वेदिक औषधि का मिश्रण पिलाना उपयोगी सिद्ध हो सकता है। यदि 12 घंटे बाद भी गर्भनाल नहीं निकले, तो पशु चिकित्सक की मदद से उसे हाथ से निकाला जाना चाहिए। Kisan News
प्रसव के बाद बाहर निकले गर्भीय झिल्लियों को खेत में फेंकने की बजाय मिट्टी में दबा देना चाहिए, ताकि संक्रमण का खतरा न रहे। स्वस्थ गाय या भैंस सामान्यत: स्वाभाविक रूप से प्रसव कर लेती है। लेकिन यदि प्रसव की शुरूआत के चार घंटे बाद भी बच्चा बाहर नहीं आता, तो यह भ्रूण की स्थिति में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। ऐसे में देर किए बिना तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाएं।
प्रसवोत्तर स्वच्छता है अनिवार्य
प्रसव के बाद मादा पशु के बाह्य जननांग, पूंछ और उसके आस-पास के अंगों को गुनगुने पानी से धोएं। इस पानी में नीम की पत्तियों का उबाला हुआ अर्क मिलाएं, जो संक्रमण से बचाव करता है। विशेष ध्यान रखें कि पशु गलती से अपनी गर्भनाल न खा जाए, क्योंकि इससे उसके शरीर में अत्यधिक प्रोटीन पहुंच सकता है, जिससे दूध उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
देखभाल से बढ़ेगा उत्पादन | Kisan News
गर्भवती पशुओं की समय पर देखभाल, प्रसव के दौरान सतर्कता और प्रसवोत्तर स्वच्छता न केवल पशु को स्वस्थ बनाए रखती है, बल्कि डेयरी फार्म की समग्र उत्पादकता और लाभ में भी वृद्धि करती है। जागरूकता और विशेषज्ञ सलाह के साथ की गई पशु सेवा, हर पशुपालक के लिए वरदान साबित हो सकती है।
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