मेडिकल रिसर्च के काम आएगी बटेड़ी की शांति इन्सां की पार्थिव देह
- पिहोवा ब्लॉक की 7वीं देहदानी बनीं शांति देवी इन्सां
पिहोवा (सच कहूँ न्यूज़)। Body Donation: 90 वर्षीय शांति देवी मरणोपरांत शरीरदान कर अमर हो गई हैं। अब शांति देवी की पार्थिव देह मेडिकल रिसर्च के काम आएगी। सैंकड़ों शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर कमेटी के सदस्यों, रिश्तेदारों व ग्रामीणों की मौजूदगी में शांति देवी को अमर रहे नारों के बीच अंतिम विदाई दी गई। रविवार देर सायं उनके शरीर को मेडिकल शिक्षा और शोध कार्य के लिए वीरांगना अवंती बाई लोधी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय एटा, उत्तर प्रदेश के लिए एंबुलेंस के माध्यम से भेजा गया।
जानकारी के अनुसार पिहोवा के गांव बटेड़ी निवासी शांति देवी इन्सां की 90 वर्ष की उम्र में रविवार को मृत्यु हो गई थी। डेरा सच्चा सौदा की शिक्षाओं पर अमल करते हुए उन्होने जीते जी मरणोपरांत शरीरदान का फार्म भरा हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उसकी मृत्यु के बाद शरीर को शोध के लिए दान किया जाए। परिवार ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए उनके शरीर को मरणोपरांत मेडिकल कॉलेज में दान दिया है। Pehowa News
शांति देवी इन्सां अपने पीछे एक बेटा रामपाल व तीन बेटियों छोड़ गई हैं। शान्ति देवी ने अपना पूरा जीवन सादगी, सेवा और समर्पण में बिताया। इस मौके पर डेरा सच्चा सौदा के 85 मैंबर ज्ञान इन्सां, परिक्षित इन्सां व प्रेमी सेवक संतोष सुरमी, सरपंच विरेंद्र, सरपंच प्रतिनिधि गुरदेव, राजेश चहल, वासुदेव, संदीप अग्रवाल, गुरदेव, संतकुमार, साहिल, ईश्वर बटेड़ी, महिपाल, रिंकू, नाथा राम समेत अन्य मौजूद रहे।
अमर रहे के नारों से गूंजा पूरा गांव
जिस वक्त शांति देवी इन्सां की पार्थिव देह को दान के लिए एंबुलेंस तक ले जाया जा रहा था तो शंाति देवी इन्सां अमर रहे के नारों से पूरा आसमान गूंजायमान हो गया। इस दौरान ग्रामीणों का कहना था कि यह कार्य भावी पीढिय़ों को न केवल जागरूक करेगा, बल्कि मृत्यु के बाद भी जीवनदान का संदेश देगा। इस दौरान शांति देवी की बेटियों रानी, केलो, पुत्रवधु सुरेंद्र कौर, पौत्री किरणा व पौत्रवधु प्रीती ने उनकी अर्थी को कंधा दिया।
पिहोवा ब्लॉक में हुआ 7वां शरीरदान | Pehowa News
डेरा सच्चा सौदा के 85 मैंबर ज्ञान इन्सां, परिक्षित इन्सां व प्रेमी सेवक संतोष सुरमी ने जानकारी देते हुए बताया कि डेरा सच्चा सौदा की मुहिम के तहत पिहोवा ब्लॉक में शांति इन्सां का 7वां शरीदान हुआ है। शरीरदान महादान है, इस मुहिम के बाद मेडिकल के विद्यार्थियों को शोध के लिए शरीर मिल रहे हैं। ताकि भारत में ज्यादा से ज्यादा शोध हो सके। इससे समाज में एक नई चेतना का संचार हो रहा है।
लाखों साध-संगत इस अभियान से जुड़कर मृत्यु के बाद भी जीवनदायी योगदान देकर अमरता की ओर अग्रसर हो रही है। डेरा सच्चा सौदा की यह सोच इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है, को शांति इन्सां जैसे सेवाभावी आत्माओं ने सार्थक कर दिखाया है। यह केवल एक देहदान नहीं, बल्कि एक विचारधारा का विस्तार है।
पूरे गांव को गर्व महसूस हो रहा है: सरपंच
गांव के सरपंच प्रतिनिधि गुरदेव ने कहा कि शांति इन्सां ने जीते जी सोच रखा था कि उसकी मौत के बाद उसके शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए दान किया जाए। उनकी सोच के अनुसार परिवार ने शांति इन्सां के शरीर को दान किया है।
शांति देवी के इस कार्य पर पूरे गांव को गर्व महसूस हो रहा है। Pehowa News
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