नई दिल्ली। राज्यसभा ने असम के गुवाहाटी में भारतीय प्रबंधन संस्थान खोलने से संबंधित भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025 बुधवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही विधेयक पर संसद की मुहर लग गयी है लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। विपक्षी सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की मांग नहीं माने जाने पर जोरदार हंगामा किया और सदन से बहिर्गमन किया। विपक्ष के हंगामे के कारण दो बार के स्थगन के बाद पीठासीन उप सभापति भुवनेश्वर कलिता ने अपराह्न दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से भारतीय प्रबंधन संस्थान संशोधन विधेयक चर्चा और पारित करने के लिए कहा। प्रधान के बोलने के लिए खड़े होते ही विपक्षी सदस्यों ने मतदाता सूची के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग शुरू कर दी। विपक्षी सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे।
इस पर कलिता ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी बात रखने की अनुमति दी। श्री खरगे ने मतदाता सूची के मुद्दे को उठाने की कोशिश की लेकिन आसन ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। आसन ने कहा कि आप इस विधेयक के अलावा और किसी विषय पर बात नहीं रख सकते। विपक्ष के सदस्य इसके विरोध में नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गये। इसके बाद सदन ने संक्षिप्त चर्चा और शिक्षा मंत्री द्वारा उसका जवाब दिये जाने के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर संशोधन के प्रस्ताव दिये थे लेकिन सदस्यों के सदन से अनुपस्थित रहने के कारण इन्हें सदन में नहीं रखा जा सका। विधेयक में गुवाहाटी में भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना का प्रावधान है। संस्थान के पहले निदेशक मंडल के गठन तक इसका कामकाज केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति संभालेंगे। इस संस्थान पर 5500 करोड़ रुपए की लागत आयेगी। विधेयक में भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन के साथ-साथ भारतीय प्रबंधन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करने और उनके कामकाज को विनियमित करने के प्रावधान किये गये हैं।