Adani Group: अनु सैनी। देश का तीसरा सबसे बड़ा औद्योगिक घराना, अडानी ग्रुप, पिछले एक साल में अपने कर्ज में 20% की बढ़ोतरी दर्ज कर चुका है। घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर इसकी निर्भरता लगातार बढ़ रही है। सरकारी बैंकों का हिस्सा भी पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ गया है।
कर्ज में तेज़ी से इजाफा | Adani Group
गौतम अडानी की अगुवाई वाला अडानी ग्रुप, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा औद्योगिक घराना है, जून 2025 तक अपने कुल कर्ज में 20% की वृद्धि दर्ज कर चुका है। यह इजाफा मुख्य रूप से घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए लोन के कारण हुआ है। एक साल पहले जहां ग्रुप के कुल कर्ज में घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थानों की हिस्सेदारी 40% थी, वहीं अब यह बढ़कर करीब 50% हो गई है। इसका मतलब है कि अब अडानी ग्रुप का लगभग आधा कर्ज भारतीय बैंकों और एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों) से लिया जा रहा है।
सरकारी बैंकों का बढ़ता भरोसा
अडानी ग्रुप में सरकारी बैंकों का एक्सपोजर 2024 के 13% से बढ़कर 2025 में 18% हो गया है। एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थानों का हिस्सा भी 19% से बढ़कर 25% हो चुका है। इसके विपरीत, विदेशी बैंकों से लिए गए कर्ज में मामूली गिरावट आई है — 28% से घटकर 27%। डॉलर बॉन्ड का हिस्सा भी पहले के 31% से घटकर 23% रह गया है। प्राइवेट बैंक फिलहाल अपने 2% हिस्सेदारी पर कायम हैं।
भारतीय बैंकों का दो साल में 1.3 लाख करोड़ का एक्सपोजर
पिछले दो वर्षों में भारतीय बैंकों का अडानी ग्रुप में एक्सपोजर $15 अरब (लगभग ₹1.3 लाख करोड़) बढ़ा है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारतीय बैंक, विशेष रूप से सरकारी बैंक, अडानी ग्रुप को कर्ज देने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
कर्ज लेने में घरेलू बैंकों की अहमियत क्यों बढ़ी?
कर्ज में इस बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हैं:-
1. आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती – नीतिगत ब्याज दरों में कमी आने से देश में कर्ज लेना सस्ता हो गया है।
2. अच्छी क्रेडिट रेटिंग – अडानी ग्रुप की क्रेडिट रेटिंग मजबूत (AA- या उससे बेहतर) होने से बैंकों के लिए जोखिम कम है।
3. स्थिर आय स्रोत – ग्रुप ने पोर्ट और पावर सेक्टर में लंबे समय के कॉन्ट्रैक्ट कर रखे हैं, जिससे कमाई स्थिर रहती है।
कर्ज का करेंसी वितरण
जून 2025 तक अडानी ग्रुप के कर्ज में रुपये और डॉलर का हिस्सा बराबर, यानी 50-50% हो गया है।
पहले डॉलर में लिया गया कर्ज अधिक था, लेकिन हाल के समय में रुपये आधारित लोन का हिस्सा बढ़ा है।
विदेशी बैंकों और बॉन्ड से कर्ज में कमी
विदेशी बैंकों से डॉलर में लिया जाने वाला कर्ज 28% से घटकर 27% हुआ है। डॉलर बॉन्ड, जो पहले कर्ज का 31% हिस्सा थे, अब घटकर 23% रह गए हैं। इसका सीधा मतलब है कि ग्रुप अब विदेशी वित्तीय स्रोतों के मुकाबले घरेलू विकल्पों को ज्यादा तरजीह दे रहा है।
अडानी ग्रुप की वित्तीय स्थिति
अडानी ग्रुप ने वित्त वर्ष 2025 में ₹89,806 करोड़ का रिकॉर्ड एबिटा (EBITDA) दर्ज किया, जो पिछले साल की तुलना में 8.2% ज्यादा है। इस दौरान ग्रुप का प्रॉफिट ₹40,565 करोड़ रहा। पूंजीगत खर्च (Capex) भी बढ़कर ₹1.26 लाख करोड़ हो गया है।
ग्रुप की लिक्विडिटी मजबूत है — इसके पास ₹60,000 करोड़ का कैश रिजर्व है, जो इसके कुल कर्ज का लगभग 25% है।
नेट डेट-टू-एबिटा रेश्यो 2.6 पर बना हुआ है, जो उद्योग के औसत से कम है।
एयरपोर्ट और पोर्ट यूनिट्स में अंतरराष्ट्रीय कर्ज
अडानी एयरपोर्ट ने Barclays, DBS, First Abu Dhabi Bank और MUFG से $150 मिलियन का सिंडिकेटेड लोन लिया है। अडानी पोर्ट्स ने MUFG से $125 मिलियन का कर्ज लिया है। एयरपोर्ट यूनिट ने पहले घरेलू बैंकों से जो कर्ज लिया था, उसका भी रिफाइनेंस किया गया है।
कर्ज पर नियंत्रण की रणनीति
अडानी ग्रुप का कहना है कि वह कर्ज को उद्योग के औसत से नीचे रख रहा है और 90% से ज्यादा कमाई ऐसे एसेट्स से हो रही है जो AA-रेटेड या उससे बेहतर हैं। इस वजह से उसे घरेलू और विदेशी दोनों ही स्रोतों से कम ब्याज दर पर पूंजी मिल पा रही है।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि अडानी ग्रुप का घरेलू बैंकों पर बढ़ता भरोसा आने वाले वर्षों में और मजबूत हो सकता है।
हालांकि, ग्रुप के ऊपर बढ़ता कर्ज निवेशकों और नियामकों के लिए निगरानी का विषय रहेगा।