भाकियू लगा चुकी मिलीभगत के आरोप
कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Kaithal News: ज़िले में बाहर से आने वाले धान की कथित सूचनाओं के दृष्टिगत लगाए गए नाकों का एसडीएम अजय सिंह ने सोमवार को औचक दौरा किया और आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
एसडीएम ने सबसे पहले कौल, रसीना और राजौंद क्षेत्र में लगाए गए नाकों (चेकपोस्टों) का सघन दौरा किया। उन्होंने ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से बातचीत की और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश दिए कि ज़िले की सीमा में बाहर से धान किसी भी सूरत में प्रवेश न करे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि केवल ज़िले के किसानों का धान ही निर्धारित मानदंडों के अनुसार ख़रीदा जाएगा। बाहरी धान की आवक को पूरी तरह से रोक है। इसके बाद वे ढांड स्थित एक राइस मिल में पहुंचे, जहाँ उन्होंने भौतिक सत्यापन शुरू करवाया। इस सत्यापन का उद्देश्य यह जांचना था कि मिल में सरकारी खरीद मानदंडों और भंडारण नियमों का ठीक से पालन हो रहा है या नहीं।
यूपी बिहार से आ रहे धान के ट्रंक | Kaithal News
बता दे कि पिछले कई दिनों से जिले की सीमा में रोजाना बड़ी संख्या में यूपी-बिहार से धान से भरे ट्रक पहुंच रहे थे। लगातार इन ट्रंको पर किसान संगठनों व मीडिया द्वारा सवाल उठाए जा रहे थे। आशंका है कि ये ट्रक जिले की विभिन्न राइस मिलों के लिए भेजे जा रहे हैं, ताकि जिन मिलों में धान का स्टॉक कम है, वहां कमी पूरी की जा सके। इस सीजन अब तक करीब 8 लाख 93 हजार मीट्रिक टन (एमटी) पीआर धान की आवक दर्ज की गई है, जो कि गत वर्ष से लगभग एक लाख एमटी अधिक है। सरकार ने संभावित घोटाले की आशंका के को देखते हुए जांच के आदेश दिए।
नाकों के बावजूद पहुंच रहे ट्रंक
करनाल-कैथल सीमा के गांव रसीना के पास रोजाना ऐसे ट्रक देखे जा रहे हैं, जहां पुलिस ने नाका भी लगाया हुआ है। इसके बावजूद शहर की कई मिलों में इन ट्रकों का पहुंचना गंभीर सवाल खड़ा करता है। नई मंडी, आईटीआई रोड, जींद रोड, पूंडरी और चीका क्षेत्र की राइस मिलों के सामने ऐसे ट्रक खड़े देखे जा रहे हैं। प्रबल आशंका है कि मिल संचालक पहले बाहर से सस्ता धान मंगवाकर स्टॉक पूरा कर रहे हैं, ताकि जांच के समय किसी गड़बड़ी का पता न चले। सवाल यह भी उठता है कि नाकों के बावजूद ये ट्रक शहर में कैसे प्रवेश कर रहे हैं।
भाकियू लगा चुकी मिलीभगत के आरोप
दो दिन पहले भाकियू नेताओं ने मामले को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इस बार पीआर की झाड़ पिछले वर्ष की तुलना में प्रति एकड़ 5 से 10 क्विंटल कम हुई है, जबकि मंडियों में आवक उससे कहीं अधिक दिख रही है। कई मिलों में धान गया ही नहीं, फिर भी गेटपास काट दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि खरीद एजेंसी, मंडी सचिव, आढ़ती और पंजीकृत राइस मिलर, सभी इस मिलीभगत के खेल में शामिल हैं। अब स्टॉक पूरा करने के लिए यूपी-बिहार से सस्ता पीआर धान ट्रको के जरिए मिलों में पहुंचाया जा रहा है। पीवी की प्रक्रिया जानबूझकर रोकी गई है ताकि मिलरों को स्टॉक बराबर करने का समय मिल सके। Kaithal News
एसडीएम ने मिल मालिकों को हिदायत दी कि वे नियमों का पालन सुनिश्चित करें। किसी भी प्रकार की अनियमितता मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।निरीक्षण के दौरान, एसडीएम ने स्टॉक रजिस्टर, खरीद रिकॉर्ड और मिल परिसर का गहन मुआयना किया।
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