देशभर में सुरक्षा चाक-चौबंद , आतंकी मॉड्यूल पर बड़ी कार्रवाई जारी
Jaish-e-Mohammed network: नई दिल्ली। राजधानी में सोमवार शाम हुए धमाके के बाद देश के कई संवेदनशील स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है। लाल किले के निकट हुए इस भीषण विस्फोट में कम-से-कम 13 लोगों की मृत्यु हो गई, जिसके बाद श्री बद्री-केदार धाम, श्री जगन्नाथ मंदिर तथा बागेश्वर बाबा की संतान एकता यात्रा मार्ग सहित प्रमुख धार्मिक स्थलों पर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात कर दी गई है। Red Fort Blast
यह विस्फोट सोमवार लगभग शाम 7 बजे लाल किले के पास सुभाष मार्ग चौराहे के निकट हुआ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी दी कि दुर्घटना एक धीमी गति से चल रही हुंडई i20 कार में हुई, जिसमें विस्फोटक सामग्री मौजूद होने का संदेह है। गृह मंत्री ने कहा कि इस घटना की “सभी संभावित पहलुओं” से जाँच की जा रही है। फिलहाल कई केंद्रीय तथा स्थानीय एजेंसियाँ विस्फोट के वास्तविक कारण और उसके उद्देश्य को समझने में जुटी हुई हैं। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में यूएपीए की धारा 16 व 18, विस्फोटक अधिनियम तथा भारतीय न्याय संहिता की उपयुक्त धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
प्रारंभिक जाँच में मिले संकेत | Red Fort Blast
अधिकारियों के अनुसार, शुरुआती जाँच से यह संभावना सामने आई है कि अंतर्राज्यीय आतंकी मॉड्यूल पर हुई हालिया कार्रवाई के बाद कोई संदिग्ध व्यक्ति विस्फोटक उपकरण को जल्दबाजी में एक स्थान से दूसरे स्थान ले जा रहा था, और इसी दौरान अनजाने में विस्फोट हो गया।
जाँच टीम की निगाहें अब पुलवामा निवासी डॉक्टर उमर नबी पर केंद्रित हैं, जो उसी वाहन को चला रहा था जिसमें विस्फोट हुआ और जिसमें 12 लोगों की जान गई। प्राथमिक जानकारी से पता चलता है कि उमर नबी का संबंध हरियाणा के फरीदाबाद क्षेत्र में भंडाफोड़ किए गए आतंकी नेटवर्क से हो सकता है।
आतंकी जाल का पर्दाफाश | Red Fort Blast
धमाके से कुछ ही घंटे पहले सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए आठ संदिग्धों को पकड़ा था, जिनमें तीन डॉक्टर भी शामिल थे। इस कार्रवाई में करीब 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। यह नेटवर्क जैश-ए-मोहम्मद और अंसार ग़ज़वत-उल-हिंद से जुड़े कथित “सफेदपोश” मॉड्यूल का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसकी गतिविधियाँ कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक विस्तारित थीं।
गिरफ्तार किए गए जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें डॉ. मुज़म्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद प्रमुख हैं। दोनों फरीदाबाद स्थित अल-फ़लाह विश्वविद्यालय से जुड़े थे, जहाँ से भारी मात्रा में — लगभग 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट-जब्त किया गया था।















