मकान मालिक और किरायेदारों के लिए यूपी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

Uttar Pradesh News
Suresh Khanna

Rent agreement registration UP: लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदारी व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित, स्पष्ट और विवाद-रहित बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य कैबिनेट ने 10 वर्ष तक की अवधि वाले किरायानामा विलेखों पर स्टांप शुल्क और पंजीयन शुल्क में विशेष छूट देने का निर्णय लिया है। सरकार का मानना है कि इस फैसले से मकान मालिक और किरायेदार दोनों किरायेदारी समझौते को लिखित रूप में तैयार करने और उसकी विधिवत रजिस्ट्री कराने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे भविष्य में उत्पन्न होने वाले विवादों में कमी आएगी। Uttar Pradesh News

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के अनुसार, वर्तमान नियमों में एक वर्ष से अधिक की किरायेदारी के लिए रजिस्ट्री कराना आवश्यक है, किंतु वास्तविकता यह है कि अधिकांश किरायानामे या तो मौखिक होते हैं या यदि लिखित भी हों तो पंजीकृत नहीं कराए जाते। कई बार विभागों द्वारा की गई जांच-पड़ताल में ऐसे मामलों का पता चलता है और तब स्टांप शुल्क की कमी की वसूली करनी पड़ती है।

अधिक शुल्क होने के कारण लोग रजिस्ट्री कराने से बचते हैं

सरकार का यह भी तर्क है कि अधिक शुल्क होने के कारण लोग रजिस्ट्री कराने से बचते हैं, जिससे किरायेदारी अधिनियम का प्रभाव कम हो जाता है। इसी समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने शुल्क में व्यापक राहत देने का निर्णय लिया है। नई व्यवस्था के तहत किरायेदारी विलेख पर लगने वाले अधिकतम स्टांप शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क की सीमा स्पष्ट रूप से तय कर दी गई है। औसत वार्षिक किराए की गणना के लिए अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये निर्धारित की गई है। हालांकि टोल पट्टे और खनन पट्टों को इस छूट में शामिल नहीं किया गया है, ताकि राजस्व हानि न हो।

स्टाम्प एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने कहा कि यह नई व्यवस्था आम नागरिकों के लिए अत्यंत सहायक होगी। शुल्क की अधिकतम सीमा निर्धारित होने से रजिस्ट्री की प्रक्रिया सरल होगी और किरायेदार तथा मकान मालिक दोनों बिना किसी अतिरिक्त आर्थिक बोझ के किरायेदारी विलेख निष्पादित कर सकेंगे। Uttar Pradesh News