Language Dispute: पुणे। महाराष्ट्र के कल्याण पूर्व स्थित तिसगांव नाका क्षेत्र में भाषा विवाद ने एक बेहद दुखद घटना को जन्म दिया है। यहाँ 19 वर्षीय छात्र अर्णव खैरे ने कथित उत्पीड़न और अपमान के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। आरोप है कि लोकल ट्रेन में बातचीत के दौरान वह मराठी के बजाय हिंदी का प्रयोग कर रहा था, जिसके चलते कुछ लोगों ने उसके साथ मारपीट की और उसे बेइज्जत किया। इस घटना से आहत होकर अर्णव ने घर लौटकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। Maharashtra News
इस हृदयविदारक घटना पर सामाजिक कार्यकर्ता और इंटरनेट पर्सनालिटी तहसीन पूनावाला ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। पूनावाला ने कहा कि जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उनके अनुसार अर्णव को महज़ भाषा के आधार पर निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि एक 19 वर्ष का युवक इस तरह के अपमानजनक अनुभव से किस मानसिक वेदना से गुजरा होगा, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। उन्होंने अर्णव के परिवार के प्रति भी सहानुभूति जताई।
पूनावाला ने महाराष्ट्र में जारी भाषा-आधारित तनाव को बेहद खतरनाक करार दिया और इस माहौल के लिए कुछ राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि भाषा के नाम पर भड़काऊ माहौल तैयार करना समाज को गहरी खाई में धकेल सकता है, और अर्णव की मौत इसी प्रवृत्ति का दुखद परिणाम है। Maharashtra News
उन्होंने अपने बयान में कुछ पुराने मामलों का भी उल्लेख किया और यह पूछा कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई कितनी हुई। पूनावाला ने राज्य की राजनीति पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि कई नेता आम लोगों की समस्याओं से दूर रहते हैं और उनकी राजनीति जनता के वास्तविक मुद्दों की बजाय सत्ता व संस्थागत नियंत्रण पर केंद्रित रहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाषा एवं क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने से समाज में विभाजन और हिंसा को बल मिलता है।
इसके अलावा, उन्होंने कर्नाटक की राजनीतिक परिस्थितियों पर भी विचार व्यक्त किए और कहा कि कांग्रेस को आंतरिक मतभेदों को शांतिपूर्वक सुलझाकर एकजुटता बनाए रखनी चाहिए। उनके अनुसार, पार्टी नेतृत्व को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के साथ मिलकर समाधान तलाशना चाहिए ताकि अनावश्यक विवाद पैदा न हों। Maharashtra News















