नई दिल्ली। अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों की नजरें शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी होने वाले चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर टिकी हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि सितंबर तिमाही में वैश्विक आर्थिक मंदी और अमेरिकी टैरिफ के दबाव के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 7 प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि दर दर्ज कर सकती है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी, और मौजूदा संकेतों के अनुसार इस बार भी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत प्रदर्शन कर सकती है। India Economy
एसबीआई की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत घरेलू मांग, कम मुद्रास्फीति का दबाव, निवेश गतिविधियों में सुधार, ग्रामीण उपभोग और सेवा तथा विनिर्माण क्षेत्र में विकास के कारण अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं। रिपोर्ट में जीएसटी 2.0 सुधार को भी आर्थिक गतिविधियों और घरेलू उपभोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 50 प्रमुख आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण किया गया। इनमें से तेजी के संकेत देने वाले संकेतकों की संख्या पहली तिमाही के 70 प्रतिशत से बढ़कर 83 प्रतिशत हो गई है। अनुमानित मॉडल के आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरी तिमाही में रियल जीडीपी वृद्धि 7.5-8 प्रतिशत और ग्रॉस वैल्यू एडेड 8 प्रतिशत रहने की संभावना है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि वैश्विक कमोडिटी बाजार में अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाधाओं के कारण कुछ जोखिम बने हुए हैं। इसके बावजूद, भारत का अल्पावधि आर्थिक आउटलुक मजबूत बना हुआ है और मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता मध्यम अवधि में विकास को समर्थन देती रहेगी। इस बीच, केयरएज इकोनॉमिक मीटर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज कर रहा है, जो पहली तिमाही में दर्ज 3.3 प्रतिशत वृद्धि के समान है। India Economy















