ग्राम पंचायत सचिवों ने ऑनलाइन हाजिरी का किया विरोध, हाथों में काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन

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Bulandshahr News: ग्राम पंचायत सचिवों ने ऑनलाइन हाजिरी का किया विरोध, हाथों में काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन

सांकेतिक सत्याग्रह, अन्य विभागों के काम थोपने का भी किया विरोध

बुलंदशहर (सच कहूँ/कपिल देव इन्सां)। Bulandshahr News: सोमवार को स्याना के खण्ड विकास परिसर में ग्राम पंचायत सचिवों ने ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली के विरोध में सांकेतिक सत्याग्रह शुरू किया है। यह विरोध मुख्य विकास अधिकारी के बुलन्दप्रदेश स्तरीय आह्वान के बाद शुरू हुआ है। संगठन ने ऑनलाइन उपस्थिति को अव्यवहारिक और शासकीय कार्यों में बाधा डालने वाला बताया है।

शासनादेश के अनुसार पंचायत सचिवों की उपस्थिति को ऑनलाइन किए जाने का आदेश जारी किया गया है। पंचायत सचिवों के संगठन का कहना है कि वर्तमान परिवेश में यह प्रणाली व्यावहारिक नहीं है और इससे सरकारी कामकाज प्रभावित होगा। Bulandshahr News

संगठन ने घोषणा की है कि जब तक इस विषय पर सफल वार्ता या समाधान नहीं होता, तब तक सत्याग्रह कार्यक्रम जारी रहेगा। इसके तहत, पंचायत सचिव काली पट्टी बांधकर विरोध करते हुए अपने शासकीय कार्यों का विरोध करेंगे।

जनपद के समस्त विकास खण्डों में ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली के विरोध में संगठन के बैनर तले विकास खण्ड मुख्यालयों पर फर्श पर बैठकर शांतिपूर्ण ढंग से सांकेतिक सत्याग्रह किया जाएगा। इस दौरान पंचायत सचिवों पर थोपे गए अन्य विभागों के कार्यों का भी विरोध किया जाएगा।

सत्याग्रह के उपरांत, खण्ड विकास अधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को जिलाधिकारी के माध्यम से एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। ज्ञापन सौंपने के बाद, जनपद के समस्त पंचायत सचिव अपने व्यक्तिगत फोन नंबरों पर बनाए गए सभी शासकीय जनपदीय और विकास खण्ड स्तरीय व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर हो जाएंगे। इसके बाद भी वे अपने विभागीय दायित्वों का निर्वहन करेंगे।

एक निश्चित तिथि से सचिवों द्वारा इंजन चालित वाहन से क्षेत्रीय भ्रमण नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, अनुमन्य साइकिल भत्ता 200 रुपये मिलने के कारण साइकिल, टेम्पो या बस द्वारा क्षेत्रीय भ्रमण किया जाएगा। संगठन शासन से साइकिल भत्ता के स्थान पर मोटरसाइकिल भत्ता प्रदान करने की मांग करेगा और इस ओर ध्यान आकर्षित करेगा।

जटिल ई-ग्राम स्वराज और गेटवे प्रणाली प्रक्रिया का भी विरोध किया जा रहा है। संगठन ने इसके स्थान पर मोबाइल ऐप के माध्यम से भुगतान प्रक्रिया निर्मित करने की मांग की है। उनका तर्क है कि ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों की कोई शैक्षिक योग्यता निर्धारित नहीं है, ऐसे में उनसे डीएससी (डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट) संचालन की अपेक्षा करना व्यावहारिक नहीं है। इसी दिन, इस प्रक्रिया के कुशल प्रबंधन तक के लिए समस्त ग्राम पंचायतों के डीएससी/डोंगल एडीओ (पंचायत) कार्यालय में जमा कर दिए जाएंगे। Bulandshahr News

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