मृतक परिजनों की याद में दो परिवारों ने गौैशाला को दुकानें की समर्पित
भट्टू कलां (सच कहूँ/मनोज सोनी)। समाज में गहराई से जमी कुरीतियों को त्यागकर जब शोक संवेदना सेवा में परिवर्तित होती है, तो वह पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन जाती है। ऐसा ही एक सराहनीय उदाहरण भट्टू कलां खंड के गांव जांडवाला बागड़ में सामने आया है, जहां ग्रामीणों ने मृत्यु भोज जैसी परंपरा को नकारते हुए दिवंगत आत्माओं की स्मृति में गौसेवा को प्राथमिकता दी। Fatehabad News
गांव की श्री कृष्ण गोवंश गौशाला में दो दुकानों का शिलान्यास कर यह संदेश दिया गया कि सच्ची श्रद्धांजलि दिखावे से नहीं, बल्कि सेवा और जीवदया से दी जानी चाहिए। इस पहल ने न केवल मृत्यु भोज के बहिष्कार का मजबूत संदेश दिया, बल्कि फिजूलखर्ची छोड़कर जनकल्याण की राह अपनाने का आह्वान भी किया।
शिलान्यास कार्यक्रम में बंसीलाल भिगासरा (प्रधान, गौशाला), बलबीर सिहाग (उप-प्रधान), बलबीर आर्य (पूर्व सरपंच), रिछपाल भादू, सुभाष सिहाग, भूप भादू, शीशपाल भरत सहित अनेक गणमान्य ग्रामीण उपस्थित रहे। गौशाला कमेटी ने दोनों परिवारों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्य न केवल गौशाला को आत्मनिर्भर बनाते हैं, बल्कि समाज को रूढ़ियों से मुक्त कर सकारात्मक सोच की ओर अग्रसर करते हैं। जांडवाला बागड़ की यह पहल निश्चित रूप से अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी और मृत्यु भोज जैसी कुप्रथा के अंत की दिशा में एक सशक्त कदम सिद्ध होगी।
शोक से सेवा की ओर प्रेरक कदम | Fatehabad News
गांव के दो परिवारों ने अपने निजी दुख को समाजहित में बदलते हुए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। मास्टर निहाल सिंह ने अपनी धर्मपत्नी स्वर्गीय मूर्ति देवी की पुण्य स्मृति में गौशाला को एक दुकान दान की, जबकि फौजी रणधीर सिंह मास्टर ने अपने भाई स्वर्गीय युद्धवीर आर्य की याद में दूसरी दुकान गौसेवा के लिए समर्पित की। इन दुकानों से होने वाली आय का उपयोग गौशाला में गायों के चारे, पानी और रख-रखाव पर किया जाएगा, जिससे गौशाला को स्थायी आय का साधन मिलेगा। ग्रामीणों ने इस पहल की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि मृत्यु भोज पर हजारों रुपये खर्च करने की बजाय यदि वही राशि गौसेवा या जनकल्याण में लगाई जाए, तो यही दिवंगत आत्मा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।















