
नाखुश डिलीवरी पार्टनर्स देशव्यापी हड़ताल पर
नई दिल्ली। स्विगी, ज़ोमैटो, ज़ेप्टो और अमेज़न जैसे डिजिटल मंचों से जुड़े डिलीवरी एवं प्लेटफ़ॉर्म कर्मियों ने बुधवार को देशभर में कार्य बहिष्कार किया। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आयोजन इंडियन फ़ेडरेशन ऑफ़ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (आईएफ़एटी) द्वारा किया गया है। Delivery Workers Strike
हड़ताल के कारण कई शहरों में खाद्य और त्वरित डिलीवरी सेवाएं प्रभावित रहीं। प्लेटफ़ॉर्म कर्मियों का कहना है कि उन्हें मिलने वाला पारिश्रमिक लगातार घटता जा रहा है और कंपनियों द्वारा बीमा जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। डिलीवरी के लिए निर्धारित ‘रेट कार्ड’ को लेकर भी गहरी नाराज़गी है। कर्मियों का आरोप है कि वर्तमान भुगतान ढांचा उनके ईंधन, वाहन रखरखाव और दैनिक खर्चों को भी पूरा नहीं कर पा रहा है।
एक डिलीवरी एजेंट ने बताया कि कार्य के दौरान उन्हें अत्यधिक मानसिक दबाव झेलना पड़ता है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद मुस्कुराते हुए ग्राहकों से रेटिंग मांगनी पड़ती है। यदि कोई ऑर्डर रद्द हो जाता है, तो कई बार उसका दंड भी डिलीवरी कर्मी को ही भुगतना पड़ता है। लंबे समय तक, कभी-कभी 14 घंटे से अधिक काम करने के बाद भी उन्हें उनकी मेहनत के अनुरूप भुगतान नहीं मिलता।
बीमा और सुरक्षा पर सवाल | Delivery Workers Strike
कई डिलीवरी कर्मियों ने यह भी आरोप लगाया कि दुर्घटना की स्थिति में बीमा का लाभ उन्हें नहीं मिलता। एक एजेंट ने बताया कि हाल ही में दिल्ली के बाराखंभा क्षेत्र में एक डिलीवरी कर्मी दुर्घटनाग्रस्त हो गया, लेकिन कंपनी की ओर से कोई ठोस सहायता या बीमा दावा स्वीकृत नहीं किया गया। अंततः अन्य कर्मियों ने आपस में चंदा जुटाकर उसकी मदद की।
कर्मियों का कहना है कि शिकायत करने पर टीम लीडर या तो फोन नहीं उठाते या फिर नाराज़ होकर उनकी आईडी निलंबित कर दी जाती है। उनका आरोप है कि दिन-रात मेहनत करने के बावजूद औसतन 700–800 रुपये प्रतिदिन से अधिक आय नहीं हो पा रही है।
यूनियनों की मांग और सरकार से हस्तक्षेप की अपील | Delivery Workers Strike
तेलंगाना गिग एंड प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि सभी प्लेटफ़ॉर्म से 10 मिनट में डिलीवरी जैसी सेवाओं को समाप्त किया जाए और पहले लागू भुगतान ढांचे को पुनः लागू किया जाए। उनका कहना है कि तेज़ डिलीवरी की होड़ में कर्मियों की जान जोखिम में डाली जा रही है।
सलाउद्दीन के अनुसार, हालिया हड़तालों को देशभर में व्यापक समर्थन मिला है और लाखों गिग वर्कर्स इससे जुड़े हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कंपनियां आंदोलन को कमजोर करने के लिए कर्मियों पर दबाव बना रही हैं और नेताओं के खातों को अवरुद्ध किया जा रहा है।
राजनीतिक समर्थन
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भी गिग वर्कर्स के समर्थन में आवाज़ उठाई है। उन्होंने 10 मिनट डिलीवरी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा कि इस व्यवस्था में श्रमिकों का अत्यधिक शोषण हो रहा है। उनके अनुसार, जिन कर्मियों की मेहनत से ये कंपनियां अरबों डॉलर के मूल्यांकन तक पहुंची हैं, वही आज सबसे अधिक असुरक्षित और दबाव में हैं। चड्ढा ने यह भी सुझाव दिया कि गिग वर्कर्स के लिए कार्य के घंटे निर्धारित किए जाएं, ताकि प्रोत्साहन पाने की मजबूरी में 14–16 घंटे तक काम करने की प्रथा समाप्त हो सके और उन्हें सुरक्षित एवं सम्मानजनक कार्य परिस्थितियां मिल सकें। Delivery Workers Strike














