अबोहर(सुधीर अरोड़ा)।
एक तरफ सरकार का नारा है ह्यबेटी पढ़ाओ बेटी बचाओह्ण वहीं दूसरी ओर अबोहर के सरकारी अस्पताल में तीन तीन मासूम बेटियां दुराचार से पीड़ित पड़ी है। इनमें से 2 मामले तो 3 साल व 7 साल की बच्चियों के है। जैसे ही मेरा अबोहर के प्रमुख एडवोकेट अमित असीजा बावा व एडवोकेट तेजिंद्र सिंह खालसा टीम के इन दो बच्चियों का कुशलक्षेम जानने सरकारी अस्पताल पहुंचे तो स्तब्ध रह गये । एक ओर 16 वर्षीय बच्ची भर्ती के लिये अपने परिवार के सदस्यों के साथ आयी हुई थी । मेरा अबोहर की टीम जिनमें डॉ. विशाल तनेजा , डॉ ममता तनेजा सेशन कोर्ट वकील मुकेश पाल बिश्नोई आदी शामिल थे । सबसे पहले 7 साल की बच्ची के परिवार से मिले उनको हौसला दिया व आश्वस्त किया की किसी भी तरह की जरूरत के समय मेरा अबोहर फ्री लीगल सर्विस के सभी सदस्य उनके साथ खड़े हैं ओर सारा मामला भी वो बिलकुल मुफ्त लड़ेंगे , चाहे अबोहर ओर चाहे फाजिल्का सेशन कोर्ट । इसी तरह अन्य दोनों बच्चियों के परिवार वालों को भी हौसला ओर साथ देने का वायदा किया, व फ्री मुकदमा लड़ने का भरोसा भी दिया । अमित असीजा बावा का मानना है। इन सब में प्रशासन कसूरवार नहीं क्योंकि वो अपना काम बखूबी कर रहा है ओर गिरफ्Þतारिया भी हो रही हैं। इन सब में कसूर है घटिया मानसिकता का 70 साल की उम्र के करीब का एक बूढ़ा अगर 7 साल की बच्ची से दुराचार करता है तो किस हद तक उसकी मानसिकता में गिरावट आई होगी। डूब मरना चाहिए, ऐसी घटिया मानसिकता के लोगों को।
असल में ये लोग बीमार है, जिन्हें समाज से अलग कर देना चाहिए, ताकि इनकी ये बीमारी और ना फैले। असीजा ने कहा कि उनका प्रयास रहेगा ऐसे लोगों को कठोर से कठोर सजÞा मिले। ताकि इसके बाद कोई ऐसा काम करने की हिम्मत ना करें। डॉ. ममता तनेजा ने कहा के एक महिला होकर वो इन बच्चियों का दर्द खुद महसूस कर सकती है व एक मां होने के कारण वो इनकी मां पर क्या बीत रही वो भी भली-भांति महसूस कर रही है। आज बेटियां सुरक्षित नहीं। तजिंद्र खालसा ने कहा कि मोबाइल चैन खींचते खींचते ये गुंडातत्व अब इस हद तक पंहुच गये के इज्जत पर हाथ डालने लग गये। तभी इनका सही इलाजÞ हो जाता तो ये नौबत ना आती।
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