
Haryana Latest News: नारनौल। हरियाणा का नारनौल क्षेत्र विकसित भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी भूमिका निभाने की ओर बढ़ रहा है। यहां के आसपास के लगभग एक दर्जन गांवों — दौचाना, रायपुर, मोहनपुर, जाखनी, बदोपुर, भाखरी, शिमला और जादूपुर सहित कई इलाकों में यूरेनियम के भंडारों की खोज जोरों पर है। परमाणु ऊर्जा विभाग के परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (AMD) द्वारा चलाया जा रहा यह प्रोजेक्ट अब ड्रिलिंग और टेस्टिंग फेज में प्रवेश कर चुका है।
यह अन्वेषण कार्य 2020 में हुए हवाई सर्वेक्षण से प्रारंभ हुआ था। उस समय भूवैज्ञानिकों ने नारनौल की पहाड़ियों और आस-पास के क्षेत्रों में यूरेनियम की संभावनाओं को देखते हुए अधोसतही सर्वेक्षण की तैयारी की थी। अब यहां बोरिंग कर चट्टानों का गहराई से अध्ययन किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र न केवल भारत बल्कि विश्व के मानचित्र पर भी एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सकता है।
किसानों और ग्रामीणों के लिए जागरूकता कार्यक्रम | Haryana Latest News
सोमवार को गांव दौचाना स्थित राजवंशी स्कूल में विभाग की ओर से एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य था — ग्रामीणों, किसानों और जनप्रतिनिधियों को परमाणु ऊर्जा के महत्व और यूरेनियम की भूमिका से अवगत कराना। इस कार्यक्रम में विभाग के सेवानिवृत्त अपर निदेशक एवं कोऑर्डिनेटर ओमप्रकाश यादव, उत्तरी क्षेत्र इंचार्ज ए.के. पाठक, उपक्षेत्रीय निदेशक राकेश मोहन, ड्रिलिंग प्रभारी रामअवधराम सहित कई वरिष्ठ भूवैज्ञानिक व अधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों और ग्रामीणों के लिए एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें इस क्षेत्र में मिली विभिन्न चट्टानों जैसे उभयचर, शिट्स, मैग्नेटाइट, एल्बिटाइज्ड कैल्क-सिलिकेट रॉक्स और क्वार्टाइट की नमूने प्रदर्शित किए गए। विशेषज्ञों ने बताया कि इन चट्टानों की संरचना और रासायनिक तत्व यूरेनियम की उपस्थिति की संभावना को मजबूत करते हैं।
“एक किलो यूरेनियम से बनती है तीन हजार टन कोयले जितनी बिजली”
कोऑर्डिनेटर ओमप्रकाश यादव ने बताया कि यूरेनियम ऊर्जा का सबसे बड़ा और प्रभावी स्रोत है। “केवल एक किलो यूरेनियम से उतनी बिजली उत्पन्न की जा सकती है, जितनी तीन हजार टन कोयले से होती है,” उन्होंने कहा। यह एक स्वच्छ और हरित ऊर्जा स्रोत है, जो कार्बन उत्सर्जन को भी कम करता है।
भारत सरकार के “विकसित भारत @2047” लक्ष्य के तहत बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा परमाणु ऊर्जा से जोड़ने की योजना है। वर्तमान में देश की लगभग 70 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित संयंत्रों से आती है, लेकिन सरकार ने आने वाले वर्षों में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।
यूरेनियम का उपयोग: सिर्फ हथियार नहीं, शांति का माध्यम भी
अक्सर यूरेनियम को केवल बम और हथियारों से जोड़ा जाता है, लेकिन विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि इसका उपयोग शांतिपूर्ण और सामाजिक कार्यों में अधिक होता है। उत्तरी क्षेत्र इंचार्ज ए.के. पाठक ने बताया कि यूरेनियम का प्रयोग बिजली उत्पादन के अलावा मेडिकल सेक्टर में कैंसर के इलाज के उपकरण बनाने में किया जाता है। साथ ही, परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा सेना के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट, देश की चुनावी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में भी इसका उपयोग होता है।
उन्होंने कहा, “नारनौल और इसके आसपास के इलाके न केवल यूरेनियम की संभावनाओं से समृद्ध हैं, बल्कि यह क्षेत्र क्रिटिकल मिनरल्स की खोज में भी योगदान दे सकता है। आज वैश्विक स्तर पर इन मिनरल्स को लेकर प्रतिस्पर्धा चल रही है और भारत को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में यह क्षेत्र अहम भूमिका निभा सकता है।”
क्षेत्रवासियों का सहयोग है जरूरी
उपक्षेत्रीय निदेशक राकेश मोहन ने कहा कि यह पूरा प्रोजेक्ट तभी सफल हो पाएगा जब स्थानीय लोगों का सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा, “विकसित भारत की संकल्पना में ग्रामीणों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि क्षेत्रवासी इस अभियान में अपना समर्थन और समझदारी दिखाएंगे, तो यह क्षेत्र पूरे देश के लिए ऊर्जा उत्पादन का केंद्र बन सकता है।”
छात्रों और ग्रामीणों को जागरूक किया गया
कार्यक्रम में डॉ. आर.एन. यादव, विद्यालय प्रबंधक दिनेश कुमार, और अन्य शिक्षाविदों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन और शैक्षणिक प्रदर्शनी के माध्यम से स्कूली छात्रों व ग्रामीणों को बताया गया कि परमाणु ऊर्जा किस तरह भारत के भविष्य की दिशा तय कर रही है और इसमें हरियाणा की धरती का योगदान कितना अहम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यूरेनियम के ये भंडार व्यावसायिक रूप से उपयोगी साबित होते हैं, तो नारनौल से फतेहाबाद तक की यह पूरी पट्टी हरियाणा की “एनर्जी बेल्ट” कहलाएगी। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता भी नई ऊंचाइयों को छूएगी।